राजपथ - जनपथ
भाजपा की रणनीति फ्लॉप ?
भाजपा में अंतर्कलह यदा-कदा सामने आ जा रही है। बड़े नेताओं की आपसी खींचतान का सीधा असर पार्टी के कार्यक्रमों पर पड़ रहा है, और कई कार्यक्रम इसकी वजह से फ्लाप-शो बनकर रह जा रहे हैं।
हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव ने अपने करीबी दोनों महामंत्री ओपी चौधरी, और विजय शर्मा से मिलकर सरकार की गौठान योजना की पोल खोलने की रणनीति तैयार की थी। इससे बाकी बड़े नेताओं को अलग रखा गया। यह तय किया गया कि रायपुर के 25 किमी की परिधि में स्थित दो-तीन गौठान में जाकर मीडिया के जरिए आम लोगों तक पहुंचाएंगे।
रायपुर ग्रामीण के एक-दो नेताओं से चर्चा कर खराब तरीके से चल रहे कुछ गौठान चिन्हित किए गए। इनमें महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस के गृहग्राम गोढ़ी का गौठान भी था। नेताओं ने तय किया कि सबसे पहले गोढ़ी में ही छापेमारी करेंगे, और अनियमितता को उजागर करेंगे। सारे पत्रकारों को 2 बजे पार्टी दफ्तर आमंत्रित किया गया, और साथ लेकर गोढ़ी जाने का फैसला लिया गया। कहां जाना है, यह गोपनीय रखा गया था।
चर्चा है कि पार्टी के मीडिया सेल के जिम्मेदार लोगों ने मीडियाकर्मियों को सुबह-सुबह जानकारी दे दी, और फिर बात इतनी तेजी से फैली कि सुबह 10 बजे तक ग्राम गोढ़ी तक बात पहुंच गई। प्रदेश अध्यक्ष के आने से पहले एक-दो पदाधिकारी चुपचाप गौठान देखने पहुंचे थे कि बड़ी संख्या में गौठान के लोग, और ग्रामवासी एकत्र हो गए। इसके बाद भाजपा पदाधिकारियों के साथ झूमा झटकी हो गई। तब तक आसपास के गांव के कांग्रेस के कार्यकर्ता गोढ़ी पहुंच गए, और अध्यक्ष अरूण साव की टीम के पहुंचने से पहले विरोध में नारेबाजी शुरू हो गई।
साव गोढ़ी पहुंचे तब तक एक-दो कार्यकर्ताओं की पिटाई हो चुकी थी। उन्हें वहां विरोध का सामना करना पड़ा। बाद में वो थाने पहुंचकर कांग्रेस के लोगों के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई, लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ता पीछा करते वहां तक पहुंच गए, और उन्होंने थाने के बाहर नारेबाजी करने लगे। साथ ही कॉउंटर रिपोर्ट भी लिखवा दी। मुश्किल में फंसे अरूण साव ने मीडिया से चर्चा में गोठान योजना में 13 सौ करोड़ का आरोप लगाकर किसी तरह से निकल पाए। पार्टी के कई लोग मीडिया सेल को ही इस फ्लाप-शो के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
इस पूरे कार्यक्रम से सांसद सुनील सोनी, और विधायक बृजमोहन अग्रवाल को दूर रखने से उनके समर्थक नाराज हैं, सो अलग।
नेताम के दिन फिरे
भानुप्रतापपुर उपचुनाव के बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम की पूछपरख बढ़ गई है। अरविंद नेताम को भाजपा अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है। पार्टी नंदकुमार साय के भाजपा छोडऩे से काफी दबाव में हैं। दूसरी तरफ, नेताम कह चुके हैं कि सर्व आदिवासी समाज अजजा सीटों के अलावा जनजाति मतदाताओं की बाहुल्यता वाली सीट पर प्रत्याशी उतारेंगे।
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि अरविंद नेताम, सीएम भूपेश बघेल से व्यक्तिगत तौर पर नाराज हैं। यही वजह है कि भाजपा अब उन्हें साथ लेकर अजजा सीटों पर अपना दबदबा कायम करना चाहती है।
बताते हैं कि प्रदेश प्रभारी ओम माथुर की पिछले दिनों पूर्व केन्द्रीय मंत्री नेताम से लंबी चर्चा हुई है। दोनों के बीच बातचीत का माहौल पूर्व राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम ने तैयार किया। चर्चा है कि नेताम कुछ शर्तों के साथ भाजपा का साथ देने के लिए तैयार भी हो गए हैं। अब नेता भाजपा की मदद कैसे, और किस तरह करते हैं, यह देखना है।
रेलवे के बर्ताव में कोई भेदभाव नहीं
रेलवे में सफर करने वाले आम यात्री हों या खास, युवा हो या बुजुर्ग, सभी एक जैसी तकलीफ से दो-चार हो रहे हैं। दो दिन के भीतर हुई दो घटनाओं का जिक्र। एक यात्री एसी फर्स्ट क्लास में अपने 70 वर्षीय पिता के साथ रायपुर से हावड़ा जा रहे थे। उनकी ट्रेन मुंबई हावड़ा मेल के बारे में बताया गया कि वह रात 19.50 बजे जगह अगले दिन सुबह 3 बजे रवाना होगी। अमूमन यात्री इस तरह के घंटों लेट के आदी हो चुके हैं। शुक्रिया कि रेलवे ने एसएमएस भेजकर जानकारी दे दी। यह तो हुआ लेकिन ट्रेन इस नए समय पर भी नहीं आई। पहुंचने पर जब उन्हें अपना जगह खोजने लगे।तब बताया गया कि उनकी दोनों सीटें कहीं? बदल दी गई है। यहां तक की श्रेणी भी बदलकर 3ए से 3ई कर दी गई है। बुजुर्ग के साथ पूरे प्लेटफार्म पर अपना डिब्बा ढूंढते यात्री परेशान हुए। ट्रेन पर चढऩे के बाद 70 साल के बुजुर्ग पिता को लिए वे एक घंटे तक अपनी जगह तलाशते रहे। उन्होंने 139 नंबर पर कॉल किया, जवाब नहीं मिला। टीटीई, जिन्हें आजकल टेबलेट से लैस कर दिया गया है, उनका भी रूखा जवाब। आखिरकार खुद ही नई सीट ढूंढकर वे बैठे। इसकी शिकायत उन्हें रेल मंत्री और मंत्रालय से की है लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है।
बालोद के एक पैसेंजर के साथ तो और बुरा हुआ। उनकी पैसेंजर ट्रेन समय पर नहीं आई उन्होंने स्टेशन मास्टर के पास शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, क्योंकि उनको ड्यूटी में रायपुर पहुंचने में देर हो गई। मैनेजर ने शिकायत दर्ज की नहीं उल्टे धमकाया कि आप यही आखिरी विकल्प क्यों चुनते हैं। पैसेंजर बार-बार यह जानना चाह रहा था कि आंखें ट्रेन लेट क्यों हैं, स्टेशन मास्टर यही कहते रहे कि कई कारण होते हैं। यह भी कहा कि समय पर सिर्फ राजधानी और वंदे भारत जैसी गाडिय़ां चलती हैं। यानि बाकी ट्रेनों में सफर करने वाले यात्री चाहे ए 1 क्लास में चलें या जनरल डिब्बों में रेलवे के लिए दूसरे दर्जे के नागरिक हैं।
जिलों के लंबे-लंबे नाम
जिलों के नाम छत्तीसगढ़ में इतने लंबे लंबे हो गए हैं कि सरकारी कागजातों में भी समाता। शिक्षा विभाग की ओर से जारी परीक्षा केंद्र संबंधी इस पत्र में नए जिलों का नाम तो ठीक लिखा गया है मगर कुछ पुराने जिलों का पूरा नाम लिखना रह गया है। जैसे बलरामपुर के साथ रामानुजगंज छूट गया। बलोदा बाजार के साथ भाटापारा नहीं लिखा गया है। पहले जिलों के कई नाम ऐसे तय किए जा चुके हैं जिससे पूरे क्षेत्र की विशेषता का पता चल जाता है। जैसे कबीरधाम, कोरिया, सरगुजा और बस्तर। इधर कुछ नए जिलों का नाम लोगों ने संक्षेप में लिखना शुरू कर दिया है। जैसे गौरेला पेंड्रा मरवाही को जीपीएम, मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर को एमसीबी। अब सरकारी दस्तावेजों में भी ये संक्षिप्त नाम दिखाई देने लगे हैं। पर खैरागढ़ साथ छुईखदान और गंडई भी शामिल है, यह लिखते समय ध्यान रखना होगा। मोहला के साथ मानपुर और अंबागढ़ चौकी भी जोडऩा होगा। इन जिलों के लिए संक्षिप्त नामों की तलाश होनी चाहिए। ऐसे नाम जिससे पूरे क्षेत्र की पहचान स्पष्ट हो।
बेकार सामानों का इस्तेमाल
आर आर आर। नाम फिल्मी लग रहा है लेकिन ऐसा नहीं है। स्वच्छता अभियान पर पूरे देश में पहचान बना चुके अंबिकापुर में यह एक नया सेंटर खोला गया है। यहां पर अनुपयोगी सामानों की रिसाइक्लिंग पहले से की जाती थी लेकिन अब तीसरा काम लिया गया है। किसी एक के लिए कोई सामान अनुपयोगी हो तो वह उसे यहां जमा कर दे और जिसे जरूरत हो यहां से ले जाए। केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण में यह योजना लाई गई है, जिसका छत्तीसगढ़ में प्रयोग अंबिकापुर से शुरू हुआ है। ([email protected])