राजपथ - जनपथ
खाना कैसे लेट करें?
पिछले 4 साल से एक के बाद एक हो रही बैठकों से भाजपा नेता ऊबने लगे हैं। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक बीच में छोडक़र कई नेता बाहर निकल गए थे। इसके लिए उन्हें फटकार भी सुननी पड़ी।
हुआ यूं कि कार्यसमिति की बैठक से पहले ही बता दिया गया था कि तीन बजे भोजन होगा। बैठक मोदी सरकार के 9 साल का कार्यकाल पूरे होने के पर प्रदेशभर में सभा-सम्मेलनों के आयोजन के लिए बुलाई गई थी।
बैठक में बड़े नेताओं के भाषण के बीच कुछ पदाधिकारी चुपके से बाहर निकल गए, और भोजन शुरू कर दिए। एक के बाद एक पदाधिकारियों को निकलते ही महामंत्री (संगठन) पवन साय की नजर उन पर पड़ गई। पवन साय ने कुछ नहीं कहा, और वो भी चुपचाप पदाधिकारियों के पीछे हो लिए। साय ने देखा कि भोजन अवकाश से पहले ही कुछ ने खाना शुरू कर दिया है। साय को देखते ही पदाधिकारी थाली छिपाने लगे। फिर क्या था, साय का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया।
और उन्होंने महत्वपूर्ण बैठक को गंभीरता से नहीं लेने पर पदाधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। इसके बाद पदाधिकारी खाना अधूरा छोड़ बैठक में जाना पड़ा। सायजी को कौन समझाए कि बीपी, शुगर से जूझ रहे एक-दो पदाधिकारियों के दवाई खाने का समय हो गया था। खाली पेट तो दवाई खा नहीं सकते थे। इसलिए उन्होंने खाना शुरू कर दिया। इससे नाराज पदाधिकारी आपस में बतियाते निकले कि पार्टी के कर्णधार अब भी छोटे नेताओं, और कार्यकर्ताओं की समस्याएं नहीं समझ पा रहे हैं।
असंतुष्ट मंत्रियों की गुहार
सरकार के मंत्री टीएस सिंहदेव, जयसिंह अग्रवाल, और रूद्र कुमार गुरु की अपनी समस्याएं हैं। चर्चा है कि उन्होंने प्रदेश प्रभारी सुश्री शैलजा को अवगत करा दिया है। जयसिंह पहले भी प्रशासनिक अड़चनों को लेकर काफी कुछ कह चुके हैं।
नई खबर यह है कि चुनाव से पहले असंतुष्ट नेताओं की समस्याओं के निराकरण का फार्मूला तैयार हो रहा है। चर्चा है कि पुलिस और प्रशासनिक फेरबदल में इसकी छाया देखने को मिल सकती है। फेरबदल की सूची जल्द जारी होने की संभावना है।
इसी बीच रुद्र गुरु एक और बात को लेकर खफा हो गए हैं। शैलजा ने सीएम हाउस की बैठक के लिए नाम खुद तय किए थे, लेकिन रुद्र गुरु बिना बुलाए पहुंच गए थे। उन्हें मीटिंग में शामिल नहीं किया गया, वापस आना पड़ा। शिकायत के लिए गए थे, एक और शिकायत लेकर लौटे।
खिलाडिय़ों के खाने के साथ खेल
एक केला, एक उबला अंडा और थोड़ा सा अंकुरित मिलेट। यह किसी बीमार-बुजुर्ग का नाश्ता लग रहा हो लेकिन यह उन खिलाडिय़ों क है जो रायगढ़ में चल रहे ग्रीष्मकालीन खेलों में अपनी ताकत झोंक रहे हैं। जानकारी यह भी आई है कि ऐसी एक प्लेट के पीछे कांट्रेक्टर को 75 रुपए भुगतान किया जा रहा है। ऐसी प्लेट खिलाडिय़ों की पेट भरे न भरे, जो लोग फंड संभाल रहे हैं उनकी सेहत जरूर बन जाएगी।
पटवारी से बचें तो एसडीएम दफ्तर में भटकें
प्रदेश के पटवारी 15 मई से बेमियादी हड़ताल पर हैं। 2 साल पहले भी इन्होंने 10 दिन की हड़ताल की, फिर राजस्व मंत्री के आश्वासन पर वापस लौट गए। बीते 24 अप्रैल को एक दिन की हड़ताल करके इन्होंने याद दिलाया कि 2 साल पहले का आश्वासन अब तक पूरा नहीं हुआ है।
आगामी चुनाव के मद्देनजर बहुत से कर्मचारी संगठन आंदोलन कर अपनी मांगें मनवाने की आखिरी कोशिश में हैं।
वैसे तो पटवारियों की वेतन विसंगति, प्रमोशन, मुख्यालय में रहने की बाध्यता, स्टेशनरी भत्ता जैसी करीब 8 मांगे हैं मगर इनमें से एक भुइयां सॉफ्टवेयर से होने वाली परेशानी का हल निकालने की मांग है। यह समस्या ऐसी है जिसे दूर करने की शासन से कोई पहल नहीं हो रही है। यह सॉफ्टवेयर किसानों को पटवारी के चक्कर लगाने से बचाता है ने लेकिन इसमें दर्ज हो जाने वाली त्रुटियों को लेकर वे काफी परेशान हैं। किसान की जाति, जमीन का रकबा दर्ज कुछ और किया जाता है और एंट्री कुछ अलग हो जाती है। इसमें जो त्रुटि होती है उसका संशोधन नीचे कोई अधिकारी-कर्मचारी नहीं कर सकता। एसडीएम के पास आवेदन करना पड़ता है। राजस्व विभाग किसानों का ख्याल रखते हुए कम से कम इस सॉफ्टवेयर को तो ठीक करा दें। अभी पटवारी से तो राहत मिल रही है, पर त्रुटि में सुधार के लिए एसडीएम ऑफिस का चक्कर लगाना पड़ता है।
रूट दोगुनी, बोगियां आधी
वंदे भारत एक्सप्रेस की जगह नागपुर-बिलासपुर के बीच तेजस एक्सप्रेस चलाने का निर्णय अस्थायी है, यह तो रेलवे ने बताया था लेकिन इतनी जल्दी यू-टर्न होगा इसका किसी को अनुमान नहीं था। तेजस तीन दिन ही चली अब दोबारा वंदे भारत की ही स्पेशल बोगियां दौड़ रही है। मगर एक बड़ा बदलाव यह हुआ है कि ट्रेन की बोगियां घटकर आधी हो गई हैं। पहले इसमें एग्जीक्यूटिव क्लास के 2 कोच और 14 चेयर कार थे। अब जो कल से वंदे भारत दौड़ रही है उसमें एग्जीक्यूटिव कार एक और चेयर कार घटाकर सात कर दी गई है। दरअसल यह आधी बोगियां खाली ही दौड़ रही थी। लंबाई आधी करने का लाभ हुआ कि दूसरे राज्यों में नई वंदे भारत ट्रेन चलाने के लिए बोगियां मिल गई। जैसा कि आज भी हावड़ा पुरी के बीच एक और वंदे भारत शुरू हो गई है।