राजपथ - जनपथ
ओपी ने मोर्चा सम्हाला
पीएससी में गड़बड़ी पर प्रदेश की राजनीति गरम है। इस पर भाजपा के अंदरखाने में काफी चर्चा भी हुई। ज्यादातर नेताओं का सुझाव था कि यह लाखों बेरोजगारों से जुड़ा मामला है, और इसको लेकर प्रदेश स्तर पर बड़ा आंदोलन होना चाहिए।
भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने तो शुरू में गड़बड़ी पर चुप्पी साध ली थी। प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास अकेले लड़ाई लड़ते दिख रहे थे। ऐसे में नौकरी छोडक़र सक्रिय राजनीति में आए ओपी चौधरी की खामोशी से कई नेता नाराज भी हो गए। चौधरी जी यूपीएससी और पीएससी परीक्षा की तैयारियों में लगे युवाओं को फेसबुक पर टिप्स भी देते हैं।
हजारों युवा उन्हें फालो भी करते हैं। मगर इस गंभीर विषय पर उनकी खामोशी कई नेताओं को बर्दाश्त नहीं हुई। एक-दो नेताओं ने पार्टी पदाधिकारियों को वाट्सएप ग्रुप में लिखा कि चौधरी जी को विधानसभा सीट खोजने के बजाए पीएससी में गड़बड़ी खोजना चाहिए। फिर क्या था, चौधरी जी सक्रिय हुए और पीएससी अभ्यर्थी का कथित गड़बड़ी के खुलासे वाला गुमनाम पर्चा ट्विटर पर डालकर सुर्खियों में आ गए। इस पर सैकड़ों लोगों की प्रतिक्रिया आई है।
मोदी मंत्रिमंडल में छत्तीसगढ़ से कौन?
चर्चा है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जल्द फेरबदल हो सकता है। जिन पांच राज्यों में सालभर के भीतर चुनाव होने वाले हैं, वहां से प्रतिनिधित् मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। अभी वर्तमान में रेणुका सिंह एकमात्र मंत्री हैं।
बताते हैं कि छत्तीसगढ़ से एक और सांसद को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। इसके लिए जांजगीर-चांपा के सांसद गुहाराम अजगले का नाम प्रमुखता से उभरा है। अजगले दूसरी बार के सांसद हैं। अजा वर्ग से आने वाले अजगले की साख अच्छी है। इससे परे कांकेर के सांसद मोहन मंडावी, और विजय बघेल व संतोष पाण्डेय के नाम का भी हल्ला है।
एक चर्चा यह भी है कि रेणुका की जगह रायगढ़ के सांसद गोमती साय को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। गोमती साय को रेणुका के मुकाबले ज्यादा प्रभावी माना जाता है। गौर करने लायक बात यह है कि कुछ महीने पहले भी इसी तरह केन्द्रीय मंत्रिमंडल में हल्ला उड़ा था, तब कई उत्साही लोगों ने विजय बघेल को बधाई भी दे दी थी। मगर इस बार विधानसभा चुनाव को देखते हुए मंत्रिमंडल में जल्द फेरबदल के आसार दिख रहे हैं। भाजपा सांसद भी दिल्ली में कुछ ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं। देखना है आगे क्या होता है।
बस्तर में सोशल मीडिया बूम
इंटरनेट कनेक्टिविटी के विस्तार के बाद दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक बात पहुंचाना बहुत आसान हो गया है। माओवाद प्रभावित बस्तर में यदि मीलों भीतर आंदोलन हों, हवाई हमले हों तो कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर अपलोड हो जाती है। नक्सली अपनी बात सरकार और लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए अखबारों में चि_ियां भेजते थे लेकिन अब उनके प्रेस नोट कुछ ही क्षण में वायरल हो जाते हैं। सुरक्षा बलों को भी बस्तर में इंटरनेट कनेक्टिविटी का विस्तार होने का लाभ मिला है। और वहां के युवा इसका अलग ही तरह से इस्तेमाल कर रहे हैं। दर्जनों यू ट्यूबर हैं। बहुत से लोग न्यूज पोर्टल चला रहे हैं। कोई सम-सामयिक खबरें कवर कर रहा है तो कोई बस्तर की प्रकृति और संस्कृति को। बस्तर के कोंडागांव की इस दुकान को देखने से पता चलता है कि वहां ट्राइपॉड और वीडियो कवरेज के काम आने वाले उपकरणों की कितनी मांग है। बहुत से युवा यू-ट्यूब और न्यूज पोर्टल से ठीक-ठाक कमाई भी कर रहे हैं।
बाबा के मंजन में मांसाहारी तत्व
बाबा रामदेव और उनके पतंजलि उत्पाद हमेशा विवादों में रहे हैं। पतंजलि के कई प्रोडक्ट दूसरे देशों में बैन होने की खबरें आती रही हैं। पर ये खबरें किसी कोने में छिपी होती हैं क्योंकि तमाम टीवी चैनल, अखबार इनसे विज्ञापन पाते हैं। अपने यहां उनके उत्पाद बैन नहीं होते। सन् 2014 में अपने लाखों भक्तों के बीच उन्होंने 40 रुपये में पेट्रोल बिकने और हर किसी की जेब में काला धन का 15 लाख रुपये आने वादा कर केंद्र में भाजपा की सरकार बनाने में मदद की थी। कोविड महामारी के समय भी उन्होंने कोरोनिल नाम की दवा निकालकर कोरोना से छुटकारा देने का दावा किया। लाखों लोगों ने यह दवा ली। चिकित्सक संगठनों ने इस दावे को झूठ बताया, तब उन्होंने कहना शुरू किया कि कोरोनिल इम्युनिटी बढ़ाने की दवा है जिससे कोरोना ठीक करने में मदद मिलेगी। अब उनका एक और प्रोडक्ट विवाद में है। दिल्ली की एक अधिवक्ता शाशा जैन ने बाबा, आचार्य बालकृष्ण और उनकी कंपनी को कानूनी नोटिस भेज दी है। नोटिस में कहा गया है कि उनके प्रोडक्ट दिव्य दंतमंजन में कैटल फिश ( समुद्री फेन) का इस्तेमाल किया गया है, जो मांसाहार की श्रेणी में आता है, जबकि मंजन की डिबिया में ग्रीन सिंबल दिया गया है जो शाकाहारी उत्पाद में ही प्रयोग हो सकता है। ऐसा करना उन उपभोक्ताओं के साथ धोखा है, जो मांसाहारी नहीं है। साथ ही ग्रीन, रेड लेबलिंग के नियमों का भी उल्लंघन है।
शाशा जैन ने यह पोस्ट अपने ट्विटर हैंडल पर 15 मई को डाली है, जो 11 मई को भेजी गई थी। अब तक पतंजलि की ओर से कोई जवाब आया हो, इसकी जानकारी उन्होंने नहीं दी है। छत्तीसगढ़ में भी पतंजलि उत्पादों के कई बड़े शो-रूम हैं और छोटी दुकानें तो हर शहर कस्बे में हैं। यहां भी यह मंजन बिक रहा है, शाकाहारी लोग भी इसे खरीद रहे हैं।
धार्मिक आयोजन की तैयारी?
ऊर्जा नगरी कोरबा में इन दिनों इस तरह की होर्डिंग कौतूहल का विषय बना हुआ है। जिज्ञासा पैदा करने की तकनीक है कि इसमें होर्डिंग लगाने वाले का कोई विवरण नहीं है। मीडिया के लोगों ने जानना चाहा तो उन्हें कुछ पता नहीं चला। नगर-निगम जिसकी अनुमति होर्डिंग के लिए जरूरी है, को भी नहीं मालूम। चुनाव नजदीक आ रहे हैं। अकेले भाजपा धार्मिक आयोजन करती हो तब तो लोग अंदाजा लगा लेते कि बाबा बागेश्वर जैसा कोई प्रवचनकार आ रहा होगा, पर अब तो प्रदेशभर में कांग्रेस सरकार भी रामायण का आयोजन करा रही है। लोग कह भी कर रहे हैं कि जून में होने वाले राम मंदिर के शिलान्यास की तैयारी है। कुछ कह रहे हैं जया किशोरी आने वाले हैं, कुछ का अनुमान है शंकराचार्य पहुंचने वाले हैं।