राजपथ - जनपथ
तब सच या अब?
खबर है कि शराब घोटाला केस में ईडी ने प्रदेश के सबसे बड़े शराब निर्माता नवीन केडिया को मुख्य गवाह बनाया है। ईडी ने केडिया के मुख्य आरोपी अनवर ढेबर से लिंक का ब्यौरा भी दिया है। दिलचस्प बात यह है कि करीब साढ़े तीन साल पहले आईटी रेड के बाद नवीन केडिया के बयान भी लिए थे।
चर्चा है कि केडिया ने लिखित बयान में कहा था कि वो अनवर ढेबर को जानते तक नहीं हैं। वो मेयर होने की वजह से एजाज ढेबर से परिचित हैं। लेकिन अनवर से दूर-दूर तक कोई कारोबारी रिश्ता नहीं है। अब सवाल उठ रहा है कि केडिया पहले सही बोल रहे थे या अब। चाहे कुछ भी हो, शराब घोटाला केस उलझा हुआ नजर आ रहा है। देखना है आगे क्या होता है।
उठापटक और खुशी
सूत न कपास, जुलाहों में ल_म ल_ा। ये कहावत रायपुर के मेयर की दौड़ में शामिल कांग्रेस के कुछ पार्षदों पर फिट बैठ रही है। दरअसल, रायपुर के मेयर एजाज ढेबर से ईडी पांच बार पूछताछ कर चुकी है। यह सिलसिला अभी भी जारी है। इस पूरे घटनाक्रम पर मेयर की दौड़ में शामिल एक-दो पार्षदों की पैनी नजर है।
दरअसल, एक युवा पार्षद ने मेयर के हटने की संभावनाओं के चलते कुछ पार्षदों के साथ बैठक की, तो इसकी खबर चारों तरफ फैल गई। अब इससे जुड़ी नई खबर यह है कि भविष्य में होने वाले शक्ति प्रदर्शन में साथ देने के लिए कुछ पार्षदों को एक-एक लाख दिए गए हैं। हल्ला यह भी है कि हितग्राहियों में एक-दो भाजपा के पार्षद भी हैं। भाजपा के लोगों को सेट करने की जिम्मेदारी ‘राम’ नाम के एक नेता को दी गई है।
मेयर हटेंगे या नहीं, इसकी संभावना तो बेहद कम है। लेकिन पार्षद दल के अंदरखाने में जिस तरह उठापटक चल रही है, उससे भाजपाई खेमे में खुशी की लहर है।
सिंहदेव पैराशूट से उतरेंगे?
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव इन दिनों विदेश घूम रहे हैं। उन्होंने कल शाम स्काईडाइविंग करते हुए एक वीडियो ट्विटर पर पोस्ट किया। लिखा- आसमान की पहुंच की कभी कोई सीमा नहीं थी। ऑस्ट्रेलिया में स्काईडाइविंग का अविश्वसनीय अवसर मिला। यह एक असाधारण साहसिक कार्य था, बेहद सुखद अनुभव हुआ।
24 घंटे से भी कम समय में इसे 3 लाख लोग देख चुके है और सैकड़ों लोगों ने प्रतिक्रिया दी है। अनेक अफसर, नेताओं और आम लोगों ने इसे वंडरफुल, माइंड ब्लोइंग, अमेजिंग, सुपर, वाह- बाबा साहब, ग्रेट सर जी, नाइस आदि कहा है। लोगों ने कहा कि इस उम्र में भी आपकी एनर्जी कमाल की है।
पर कुछ प्रतिक्रियाएं चुटकी लेते हुए भी की गई है। जैसे एक ने कहा है कि दिल जवां तो बेबसी कैसी, सफेद बालों की ऐसी की तैसी। और एक ने सिंहदेव की जाहिर इच्छा की ओर इशारा करते हुए लिखा- बस इसी तरह से प्रदेश के मुखिया की कुर्सी संभालने के लिए आप जल्दी ही पैराशूट से उतरने वाले हैं।
पेड़ के नीचे हेल्थ कैंप
बस्तर के सुदूर इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति कितनी बदहाल है इसका बयान इस तस्वीर में है। बीजापुर जिले के ताकिलोड सहित आसपास के कई गांवों में एनीमिया का प्रकोप फैलने की खबर जिला मुख्यालय पहुंची। इन गांवों तक जाने का रास्ता नहीं था, क्योंकि इंद्रावती नदी पर पुल नहीं बना है। इन इलाकों में पुल-पुलिया, सडक़ बनाना कठिन काम है क्योंकि नक्सल प्रभावित है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की टीम नाव से नदी पार कर वहां पहुंची। उन्होंने यहां एक अस्थायी स्वास्थ्य शिविर लगाया। साधन नहीं था तो पैरा और कपड़े बिछाकर पीडि़त मरीजों को जमीन पर लिटाया और पेड़ों के सहारे रस्सी खींच कर उन्हें सलाइन चढ़ाया। इन कर्मचारियों के जज्बे की वजह से ही तीन दिन के भीतर ही लगभग 200 लोगों की सेहत में सुधार आ सका है।
सरकारी स्कूल के छात्रों को आरक्षण
सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले मेधावी बच्चों का ख्याल रखने के लिए मध्य प्रदेश सरकार के फैसले की शायद आने वाले दिनों में दूसरे राज्य भी नकल करें। यहां एक आदेश पिछले सप्ताह जारी किया गया है जिसके मुताबिक छठी से बारहवीं तक सरकारी स्कूलों में नियमित पढ़ाई कर पास बच्चों के लिए एमबीबीएस और बीडीएस की पांच प्रतिशत सीट रिजर्व रहेगी। इसके अलावा निजी स्कूलों में आरटीई के तहत आठवीं तक पढऩे वाले और फिर आगे की पढ़ाई सरकारी स्कूलों में करने वाले बच्चों को भी यह लाभ मिलेगा।
सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार के तमाम प्रयास विफल हो जाने की वजह से ही स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों की मांग हो रही है। इन स्कूलों में दाखिले के लिए अर्जी देने वाले सिर्फ 10 या 20 प्रतिशत छात्रों को एडमिशन मिल पाता है।
कई बार कहा जाता है कि यदि बड़े अफसर अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना शुरू करें तो स्थिति बदल जाएगी। मध्य प्रदेश सरकार के फैसले से एक छोटी सी उम्मीद नजर आ रही है कि सरकारी स्कूलों में भी संसाधन और शिक्षा का स्तर उठाने के लिए कुछ गंभीर प्रयास होंगे।