राजपथ - जनपथ
तुर्की ब तुर्की
उत्तर प्रदेश के बड़े कांग्रेस नेता, और राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी पिछले दिनों यहां रायपुर में प्रदेश के कुछ कांग्रेस नेताओं से देश-प्रदेश के राजनीतिक माहौल पर अनौपचारिक चर्चा की। बात घुमफिर कर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति पर आ गई।
देश के सबसे बड़ी आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का हाल बेहाल है। लेकिन प्रमोद तिवारी जैसे नेता अपने पारिवारिक प्रतापगढ़ की विधानसभा सीट बचा लेते हैं। वो लगातार 7 बार विधायक रहे हैं, और वर्तमान में उनकी बेटी मोना मिश्रा तीसरी बार की विधायक हैं।
प्रमोद तिवारी जिंदादिल माने जाते हैं। बताते हैं कि विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद राहुल गांधी ने उन पर नाराजगी जताते हुए यह कहा कि पार्टी के कई लोग कह रहे हैं कि आप दूसरे दलों के नेताओं के साथ मिलकर अपनी सीट बचा लेते हैं, लेकिन पार्टी के अन्य प्रत्याशियों को नहीं जिता पाते हैं।
कहते हैं कि प्रमोद तिवारी ने राहुल गांधी से कहा, माफ कीजिएगा, यही बात कुछ लोग अमेठी और रायबरेली सीट को लेकर भी कहते हैं। दोनों सीट तो किसी तरह जीत जाते हैं, लेकिन वहां की विधानसभा की सारी सीट हार जाते हैं। यह सुनकर राहुल खामोश हो गए।
एआई का एक खतरा यह भी
हाल ही में दिग्गज टेक कंपनी टेस्ला और ट्विटर प्रमुख एलन मस्क सहित करीब 1300 विशेषज्ञों ने एआई पर नई शोध पर रोक लगाने की अपील की। इनकी अनेक चिंताओं में से एक नैरोएथिक्स से जुड़ी हुई थी, जो नैतिकता और मानवता से संबंधित है। दिल्ली में कल नए संसद भवन की तरफ बढ़ती हुई महिला पहलवानों को घसीट-घसीट कर पुलिस वैन में ठूंसा गया। पुलिस की इस कार्रवाई का अपनी क्षमता के मुताबिक वे विरोध कर रही थी। उनके आक्रोश से उबलते बेबस चेहरों ने लोगों को परेशान किया। मगर सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी फर्जी तस्वीरें कल शाम से वायरल हो रही हैं, जिन्हें देखने से ऐसा लगता है कि वे अपनी गिरफ्तारी को एंजॉय कर रही हैं। पहले से ही व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर पर फोटो शॉप के जरिए फेक ऑडियो, वीडियो और पिक्चर कम वायरल नहीं हो रहे हैं, अब एआई तकनीक ने झूठ फैलाने वालों का काम और आसान कर दिया है। विडंबना यह है कि कल ही कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर का बयान आया है जिसमें वे डिजिटल निजी डेटा संरक्षण विधेयक पर बात करते हुए कह रहे थे कि इस से गलत सूचनाओं पर रोक लगेगी और बोलने की आजादी के अधिकार के नाम पर लोगों को भ्रमित नहीं किया जा सकेगा। वे यह भी कह रहे थे कि गलत सूचना, सच्ची सूचना के मुकाबले 20 से 50 गुना अधिक फैलती है।
महिला पहलवानों का मामला आज दिल्ली का जरूर है पर कल के दिनों में इसका सामना हमको आपको भी करना पड़ सकता है।
विधानसभा के अंदर, और बाहर मंत्री कवासी लखमा का दूध-भात रहता है।
गोताखोरों ने क्या बिगाड़ा था?
सीजीडब्ल्यूए (केंद्रीय भूजल प्राधिकरण) ने सन् 2020 में एक आदेश निकाला था कि पीने योग्य पानी के दुरुपयोग पर एक लाख रुपए जुर्माना और 5 साल की सजा दी जा सकती है। कांकेर के परलकोट बांध के पानी का गर्मियों में निस्तार के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसे व्यावसायिक जल माना गया। इसी आधार पर आकलन हो रहा है कि 41 लाख लीटर पानी का दाम क्या हो सकता है। यह रकम कई लाख रुपए हो सकती है। जो सूचना आ रही है उसके मुताबिक यह वसूली फूड इंस्पेक्टर से नहीं बल्कि एसडीओ के वेतन से की जाएगी क्योंकि बांध की हिफाजत की जिम्मेदारी उसी की थी। फिर उसने फूड इंस्पेक्टर को पानी निकालने की मौखिक अनुमति भी दी थी। यहां पर तो फूड इंस्पेक्टर लगता है, बच गए। पर जैसी खबर आ रही है उसके मुताबिक वह उन गोताखोरों को भी पैसे नहीं दे रहे हैं जिन्होंने बड़ी मुश्किल से खोए हुए मोबाइल फोन को ढूंढ कर बाहर निकाला। सौदा 20 हजार में हुआ था। अब गोताखोरों का कोई कसूर तो था नहीं, मगर अब रकम के लिए फूड इंस्पेक्टर चक्कर लगवा रहे हैं। बताया जा रहा है कि उनका कहना है, फोन तो खराब हो गया और वे सस्पेंड भी हो गए बहाली होगी तो देखेंगे, जल्दी हो जाएगी धीरज रखो।
वाचिक परंपरा में जनजाति
कहानी, कविता पाठ के लिए अब जरूर लिटरेचर फेस्टिवल होने लगे हैं लेकिन वाचिक परंपरा लोक से शुरू हुआ है। गांव के चौपालों में, तालाब और खेतों के मेढ़ में सदियों से अलिखित किस्से, कहानियां, हाना, गीत, लोकोक्तियां, मुहावरे, जन्म लेते और एक पीढ़ी से दूसरी में हस्तांतरित होते आए हैं। साहित्य में यह बाद में दर्ज हुआ। बहुत सी रचनाएं अब भी किताबों में नहीं आ पाई हैं। बाजार के हमले ने कई बोलियों को विलुप्त होने के कगार पर खड़ा कर दिया है। ऐसे में हाल ही में नवा रायपुर में आदिम जाति अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान में जनजातीय वाचिक परंपरा के इतिहास और अन्य पहलुओं पर हुई चर्चा ने इस विधा की याद दिलाई।