राजपथ - जनपथ

फौजी पर दांव
खबर है कि सीतापुर में खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के खिलाफ भाजपा पूर्व सैनिक रामकुमार टोप्पो को चुनाव लडऩे के लिए तैयार करने में जुटी है। टोप्पो ने भारतीय थल सेना से कुछ दिन पहले ही वीआरएस लिया था, और चुनाव लडऩे की घोषणा की है। इसके बाद भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) पवन साय उनसे मिले, और चर्चा है कि टोप्पो को भाजपा में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है।
टोप्पो जब भी छुट्टियों में आते थे, तो स्कूल-कॉलेज में जाकर युवाओं को देशप्रेम, और भारतीय सेना के लिए भावनाएं जगाने का काम करते थे। उनकी सीतापुर इलाके के युवाओं में अच्छी खासी पैठ भी है।
पिछले दिनों सीतापुर में रामकुमार टोप्पो के समर्थन में रैली भी निकली थी। जिसमें सैकड़ों युवाओं ने शिरकत की थी। टोप्पो ने तो निर्दलीय चुनाव लडऩे की घोषणा की है। मगर भाजपा के नेता चाहते हैं कि उनके प्रत्याशी बने। जिसके लिए टोप्पो फिलहाल तैयार नहीं दिख रहे हैं।
चर्चा है कि भाजपा के कई शीर्ष नेता टोप्पो को तैयार करने में जुटे हुए हैं। पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि टोप्पो पार्टी की टिकट से चुनाव लड़ते हैं, तो सीतापुर में पार्टी की संभावना काफी मजबूत हो जाएगी। खास बात यह है कि राज्य बनने के बाद से सीतापुर सीट अब तक भाजपा नहीं जीत पाई है। देखना है कि सीतापुर के लिए पार्टी आगे क्या कुछ रणनीति बनाती है।
छापा किसलिए?
रायपुर के नामी चिकित्सक डॉ. एआर दल्ला के यहां पिछले दिनों ईडी ने रेड की। ईडी ने डॉ. दल्ला के अलावा उनके पुत्र रियाज से भी घंटों पूछताछ की। पहले खबर उड़ी कि डॉ. दल्ला के यहां महादेव एप से जुड़ी कडिय़ों की वजह से रेड हुई है।
चर्चा यह भी है कि ईडी ने डॉ. दल्ला के यहां से करीब 3 करोड़ की राशि बरामद की है। यह रकम किसी जमीन के सौदे की बताई जा रही है। ईडी की टीम घर से डायरी, और उनके मोबाइल भी लेकर गए हैं। अब डायरी, और मोबाइल से क्या कुछ मिला है, यह जानकारी ईडी ने अब तक सार्वजनिक नहीं की है। कई बार ऐसा होता है कि जब ईडी रेड तो करती है, लेकिन कार्रवाई को सार्वजनिक नहीं करती है। इससे अफवाहों का बाजार गर्म हो जाता है। अब चुनाव के महीने में कार्रवाई और अफवाह दोनों के तेज होने के आशंका जताई जा रही है।
इतनी बुरी भी नहीं अंग्रेजी
देश में इन दिनों चल रहे ‘इंडिया’ बनाम ‘भारत’ विवाद के बीच किसी ने ध्यान नहीं दिया कि अब बिजली उपभोक्ताओं को उनका बिल हिंदी में मिलने लग गया है। कांग्रेस और उनकी सरकारों को हिंदी नामों और भाषा से लगाव है, यह साबित करने की जरूरत हो तो छत्तीसगढ़ के बिजली विभाग के इस फैसले को भी सामने रखा जा सकता है। पर उपभोक्ताओं के लिए यह हिंदी बिल मुसीबत लेकर आई है। बिल साफ प्रिंट में नहीं मिल रहा है। अक्षर समझ नहीं आते हैं। जब उपभोक्ताओं ने इसकी शिकायत मीटर रीडर से की तो उन्होंने यह नई जानकारी दी कि विभाग ने हिंदी सॉफ्टवेयर तो मशीनों पर लोड कर दिया है, पर इस छोटी सी मशीन के भीतर जो प्रिंटर लगा है, वह अंग्रेजी के लिए फ्रैंडली है, हिंदी अक्षरों को ठीक तरह वह प्रिंट कर ही नहीं पा रहा है। ठेकेदार के नीचे काम करने वाले मीटर रीडर से जब अंग्रेजी में ही बिल देने कहा गया तो उसने दिक्कत बताई, कहा कि हमारी मजदूरी का भुगतान हिंदी में बिल देने पर ही होगा।
पता नहीं हिंदी में बिल देने की जरूरत क्यों महसूस हुई? क्या बिजली विभाग को किसी ने सुझाव दिया था? आम उपभोक्ता तो बिल की राशि और आखिरी तारीख ही देखता है। तरह-तरह के अधिभार को तो वे न अंग्रेजी में बताने पर समझ पाते, न हिंदी में।
उपहार की कीमत नहीं पूछी जाती
इन दिनों जब जी-20 देशों का सम्मेलन भारत में हो रहा है और विदेशी मेहमानों के भव्य स्वागत की तैयारी हुई है, आप इस सवाल में मत उलझिये कि इस तरह के ताम-झाम पर हमारे-आपके टैक्स के पैसे किस तरह से खर्च किए जाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने अमेरिका प्रवास के दौरान वहां के राष्ट्रपति की पत्नी को हरे रंग का हीरा उपहार में दिया था। रायपुर के आरटीआई कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने विदेश मंत्रालय से जानकारी मांगी कि इसकी कीमत कितनी थी, बिल की कॉपी देकर बताइये? मंत्रालय ने यह कहते हुए जानकारी देने से मना कर दिया कि इससे भारत-अमेरिका के आपसी संबंध प्रभावित होंगे।
इधर जी-20 सम्मेलन देश के अलग-अलग राज्यों में हो रहे हैं। केंद्र सरकार ने इसके लिए घोषित रूप से 990 करोड़ रुपये का बजट रखा है। उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में बताया था कि उसने 100 करोड़ रुपये का बजट रखा है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी 18 और 19 सितंबर को एक कार्यसमूह की बैठक होने जा रही है। जून महीने से इसकी तैयारी चल रही है। विदेशी मेहमानों के स्वागत के लिए साज-सज्जा, होटल व्यवस्था, अधोसंरचना, यातायात, प्रचार प्रसार,सांस्कृतिक कार्यक्रम, पर्यटन, नागरिक भागीदारी और उपहार की व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है। पुरखौती मुक्तांगन, सिरपुर, चंपारण, कौशल्या माता मंदिर जैसे दर्शनीय स्थलों को भी नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है।
सबसे बड़ा आयोजन दिल्ली में 8 और 9 सितंबर को होने जा रहा है। दिल्ली सरकार ने इसके लिए 1000 करोड़ का बजट रखा है। एक खबर तीन दिन पहले ही आई थी कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए बुक होटल के कमरे 8-8 लाख रुपये प्रतिदिन के किराए वाले हैं।
ठीक है, विदेशी मेहमानों का अच्छी तरह सत्कार होना चाहिए, पर यदि आप संबंधित विभागों से खर्चों का अलग-अलग हिसाब बिल सहित मागेंगे तो उन्हें कैसे मना करना है, यह विदेश मंत्रालय के जवाब ने बता दिया है- रिश्ते बिगड़ेंगे।