राजपथ - जनपथ
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बृजमोहन के बाद क्या?
नया शिक्षा सत्र शुरू हो रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग में तबादले को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। वजह यह है कि विभागीय मंत्री बृजमोहन अग्रवाल 4 जून के बाद सांसद बन सकते हैं। उन्हें मंत्री पद छोडऩा पड़ सकता है। ऐसे में लंबित तबादले के प्रस्तावों का क्या होगा, यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
सुनते हैं कि विभाग ने बीईओ और शिक्षकों के तबादले की फाइल समन्वय समिति को भेजी थी। चुनाव आचार संहिता की वजह से सारे प्रस्ताव अटक गए। मौजूदा प्रस्तावों को मंजूरी मिलेगी या फिर नए सिरे से प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे, इसको लेकर अलग-अलग तरह की चर्चा है।
कहा जा रहा है कि चुनाव जीतने की स्थिति में विधानसभा की सदस्यता छोडऩे के लिए चौदह दिन का समय होता है। हल्ला तो यह भी है कि केंद्र में एनडीए की सरकार बनती है, और बृजमोहन को मौका मिलता है, तो उन्हें नतीजे आने के हफ्तेभर के भीतर मंत्री पद छोडऩा पड़ेगा। चर्चा यह है कि एनडीए सरकार का मंत्रिमंडल 10 तारीख के पहले गठित हो सकता है। चाहे कुछ भी हो फिलहाल तबादले को लेकर असमंजस बरकरार है। और इस बीच, उनके विभागों की पूरी तैयारी है कि आचार संहिता ख़त्म होते ही, मंत्रीजी की बिदाई के पहले अधिक से अधिक काम करवा लिया जाए। शायद पहली बार कुछ विभागों में इतनी रफ्तार से काम होगा।
कोई कितना रोक लेंगे?
प्रदेश में अधिकारियों और कर्मचारियों का नया टीए-डीए तय हो गया है। वाहनों की सुविधा को लेकर भी नई गाइडलाइन जारी हो गई है। लेकिन उनका ध्यान इस ओर नहीं लाया गया कि जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो या विशेष अवसरों पर अवर सचिव स्तर के अधिकारियों को फाइलों पर जरूरी दस्तावेजों को लेकर मंत्रियों के बंगलों और विधानसभा तक दौड़ लगानी पड़ती है तब वे किस वाहन का इस्तेमाल करें।
पूल में रखे वाहनों में इस काम के लिए कोई दिशा-दिशा निर्देश नहीं जारी किए हैं। इस वजह से भविष्य में इस तरह के जरूरी कामों को लेकर वाहन न मिलने पर काम में विलंब और परेशानियां हो सकती हैं। वैसे यह भी सच है कि नियम बनते ही हैं तोडऩे के लिए। तभी तो साहबों के बंगलों में एक नहीं चार-चार गाडिय़ां खड़ी रहतीं हैं। अब आदेश निकालने वाले साहब, हर बंगले-बंगले जाकर तो रोक नहीं लगा सकते।
बेटे और बैगा की हत्या
सरगुजा संभाग के शंकरगढ़ इलाके में एक सप्ताह के भीतर हत्या की दो घटनाएं हो गईं। पांच दिन पहले एक व्यक्ति ने झाड़-फूंक के नाम पर 70 साल के बैगा को रात में अपने घर बुलाया और मार डाला। इसी इलाके में शनिवार की रात एक व्यक्ति ने अपने चार साल के बेटे को मार डाला। पहले मामले में हत्या के आरोपी का कहना है कि बैगा से वह अपनी बीमारी का इलाज कराया था लेकिन ठीक होने के बजाय दूसरी समस्याओं से घिर गया। यह सब बैगा की वजह से हो रहा था, इसलिए मार डाला। दूसरे मामले में आरोपी ने पहले अपनी मां को मारने के लिए घसीटकर ले जाने की कोशिश की लेकिन वह बच गई। रात में मौका पाकर अपने मासूम बच्चे को मार डाला। यह कहने लगा कि उसने उसे बलि दी है। दोनों मामलों में थोड़ा फर्क है और थोड़ी समानता भी। फर्क यह है कि बैगा की हत्या करने वाले के मानसिक रूप से बीमार होने की बात सामने नहीं आई है। उसे दूसरी बीमारियां रही होंगी। जबकि बेटे को मार डालने वाला व्यक्ति कई महीनों से मानसिक रूप से बीमार चल रहा था और झाड़-फूंक करा रहा था। मेडिकल टर्म में दोनों ही बीमार हैं और उनका इलाज भी हो सकता है। पर उन्होंने झाड़-फूंक का सहारा लिया। हो सकता है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उनकी पहुंच में न हों, पर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की तैनाती तो हर एक गांव के लिए की गई है। अमूमन दूर दराज के इलाकों में वे भी ड्यूटी करने से कतराते हैं। मगर, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि झाड़ फूंक और बैगा गुनिया पर उनका भरोसा आधुनिक चिकित्सा पद्धति से बढक़र है। प्रदेश के गांवों में कितनी ही घटनाएं हर साल होती हैं, जिनमें सर्पदंश का जहर उतारने के लिए बैगा पर भरोसा कर लिया जाता है। यहां तक कि मृत्यु के बाद भी उनके वापस उठ खड़े होने की उम्मीद पाल ली जाती है। एक तरफ प्रदेश में एम्स, नए मेडिकल कॉलेज, सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल तैयार हो रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य के नाम पर राज्य का एक बड़ा हिस्सा सुविधाओं और जागरूकता दोनों से ही कोसों दूर है।
रेप के लिए एआई की मदद
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक जहां ज्ञान के नए दरवाजे खोल रही है वहीं इसके दुरुपयोग से लोगों की निजता, गरिमा, शील, संपत्ति सब खतरे में पड़ती जा रही है। छत्तीसगढ़ से सटे मध्यप्रदेश के सीधी जिले में स्कूल-कॉलेज की कई लड़कियों के साथ रेप हुआ है। आरोपियों ने उन्हें जाल में फंसाने के लिए एआई तकनीक से लैस ऐप की मदद ली। एक पीडि़ता ने बताया कि उसे फोन आया, अर्चना मैडम का। उसने कहा, मैं इस समय स्कूल में नहीं हूं। तुम्हारी छात्रवृत्ति आ गई है लेने के लिए बताई गई जगह पर पहुंचो। आज आखिरी दिन है, तुम्हारा हस्ताक्षर होना है। पीडि़त छात्रा कई माह से छात्रवृत्ति रुके होने से परेशान थी। वह 20 किलोमीटर दूर अर्चना मैडम से मिलने चली गई। पर वहां मैडम नहीं मिलीं। सूनसान जगह पर आरोपी युवक मिले। इन युवकों ने बताया कि उन्होंने ऐप का इस्तेमाल कर महिला की आवाज में खुद ही बात की थी। ऐसा ही करके उन्होंने दुष्कर्म पीडि़त अन्य लड़कियों को भी बुलाया था।
इंटरनेट पर तलाशें तो एआई से लैस सैकड़ों ऐप डाउनलोड कर फ्री में इस्तेमाल करने के लिए मौजूद दिखाई देते हैं। ये दावा करते हैं कि एक आवाज को वे 300 तरह से बदल सकते हैं, किसी भी भाषा में। पुरुष की आवाज में स्त्री और स्त्री की आवाज में पुरुष को बात करते हुए रीयल टाइम सुना जा सकता है। लोगों की जिंदगी एआई जितना आसान बना रहा है, उतने ही नए-नए खतरे दिखाई सामने आ रहे हैं।
निजी स्कूलों पर कार्रवाई की चर्चा
मध्यप्रदेश के जबलपुर में जिला प्रशासन ने निजी स्कूलों की मनमानी पर जिस कड़ाई से रोक लगाई है, उसकी दूसरे राज्यों में भी चर्चा हो रही है। यहां स्कूलों में 55 दिनों तक लंबी जांच चली। पाया गया कि उन्हें 80 फीसदी ऐसी किताबें निजी प्रकाशकों से खरीदने के लिए मजबूर किया गया, जो कोर्स में जरूरी ही नहीं थे। 21 हजार विद्यार्थियों से 81 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त राशि फीस के रूप में वसूल की गई। 51 लोगों के खिलाफ धारा 420 और अन्य धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करा दी गई, जिनमें स्कूलों के संचालक और किताबों के प्रकाशक शामिल हैं। इनमें से 20 लोग गिरफ्तार भी कर लिए गए। बाकी की तलाश हो रही है। इन्हें छात्रों से ली गई अतिरिक्त राशि जो करोड़ों में है, 30 दिन के भीतर वापस करने का निर्देश भी दिया गया है।
छत्तीसगढ़ में कोविड काल के समय ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान मनमानी फीस वसूली का मामला हाईकोर्ट भी चला गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने अशासकीय विद्यालय फीस विनियम 2020 लागू किया था। इसमें तय किया गया कि निजी स्कूलों की फीस व पालकों से अन्य खर्चों के लिए ली जाने वाली राशि की निगरानी कलेक्टर करेंगे। जिला शिक्षा अधिकारी बैठक लेंगे और फीस वृद्धि को मंजूरी देंगे। फीस में तो 8 फीसदी ही वृद्धि अधिकतम की जा सकती है, पर दूसरे मदों के खर्च का कोई हिसाब नहीं होता। फीस के अलावा ट्यूशन फीस, बस किराया, निजी प्रकाशकों की निश्चित दुकानों से खरीदी जाने वाली किताबें, कम्प्यूटर क्लास, आनंद मेला और तमाम तरह के मद में निजी स्कूल पालकों की क्षमता से अधिक फीस वसूल करते हैं। स्कूलों में नया सत्र शुरू होने वाला है। मगर, अपने यहां सख्ती तो दूर, जिलों में गठित निगरानी समितियों की बैठकें भी नहीं ली जा रही हैं।
नक्सलियों का जवाबी वार
हाल के दिनों में मुठभेड़ में 100 से ऊपर नक्सलियों को मार गिराने का दावा सुरक्षा बलों ने किया है। एक आवाज फर्जी मुठभेड़ की भी उठ रही है। खासकर पीडिया में बेकसूर तेंदूपत्ता मजदूरों पर गोलियां बरसाने और उनको मार डालने का आरोप लगा है। इसे लेकर आज बस्तर बंद का आह्वान भी किया गया है।
दूसरी ओर नक्सली गुरिल्ला वार करते हैं। इसके लिए आमने-सामने की लड़ाई जरूरी नहीं। रविवार को उन्होंने अबूझमाड़ में दो मोबाइल टावर उड़ा दिए। जला हुआ टावर और उसके मलबे में दबा वह बैनर, जिसमें पद्मश्री हेमचंद मांझी को उड़ा देने की धमकी दी गई है। ([email protected])