राजपथ - जनपथ
मुन्नी बदनाम होगी
आम चुनाव के नतीजों से पहले ही सोशल मीडिया पर काफी कुछ कहा जा रहा है। बिलासपुर के कांग्रेस प्रत्याशी देवेन्द्र यादव ने तो मतगणना से पहले ही ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगा दिया है। हालांकि चुनाव आयोग ने देवेन्द्र के आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
इन सबके बीच सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के निज सचिव मनोज शुक्ला के फेसबुक पोस्ट की खूब चर्चा हो रही है। मनोज ने ईवीएम की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि मुन्नी बदनाम होगी 4 जून को दोपहर से। बदनामी सहने के लिए तैयार हो जा पगली, सारा इल्जाम तुझ पर ही आने वाला है।
रिटायर्ड का नफा-नुकसान
चुनाव नतीजे आने के बाद भाजपा-कांग्रेस के पांच सांसद भूतपूूर्व हो जाएंगे। इनमें सुनील सोनी, चुन्नीलाल साहू, गुहाराम अजगल्ले, मोहन मंडावी, और कांग्रेस सांसद दीपक बैज हैं। इनमें गुहाराम को छोडक़र बाकी सब पहली बार सांसद बने थे। जबकि गुहाराम दूसरी बार के सांसद हैं।
दिलचस्प बात यह है कि भूतपूर्व सांसदों का पेंशन, पूर्व विधायकों की तुलना में काफी कम है। पूर्व सांसदों को 25 हजार रूपए मासिक पेंशन और सुविधाओं के नाम पर यात्रा भत्ता भी मिलता है। जबकि छत्तीसगढ़ के पहली बार के पूर्व विधायकों को करीब 94 हजार रूपए पेंशन के साथ-साथ यात्रा भत्ता मिलता है। भूतपूर्व विधायकों को सीनियरटी के हिसाब से पेंशन बढ़ता है। इन सब मामले में दीपक बैज थोड़े फायदे में रहेंगे। उन्हें विधायक के साथ-साथ पूर्व सांसद का भी पेंशन मिलेगा।
जनता का राजा..
हम जिन्हें लोकसभा विधानसभा में चुनकर भेजते हैं वे हमारे सेवक कहे जाते हैं। पर व्यवहार में ऐसा नहीं होता। कई बार विधायक,सांसद और जनता के बीच रिश्ता राजा और प्रजा जैसा लगता है। राजस्थान के मंत्री किरोड़ी लाल मीणा टेबल पर पैर ताने हुए अपने क्षेत्र के लोगों से अपने दरबार में मिल रहे हैं। जनता जमीन पर बैठी है। एक जो नहीं खड़ा है, वह किसी बात पर हाथ जोड़ गिड़गिड़ा रहा है।
बस्तर से फिर पलायन..
बस्तर में नक्सल उन्मूलन की कार्रवाई तेज होने के बाद एक दूसरी खबर यह भी निकल रही है कि यहां के आदिवासियों का कुछ महीनों के भीतर यहाँ से छोडक़र बाहर जाना हो रहा है। जनवरी से यह सिलसिला चल रहा है। अब तक कोई ठीक आंकड़ा नहीं लेकिन कहा जा रहा है कि इनकी संख्या 4 हजार या उससे अधिक हो सकती है। जनवरी में जो गए वे रोजगार की तलाश में थे। बस्तर में मनरेगा के तहत काम तो मिल रहे हैं, मगर भुगतान समय पर नहीं हो रहा है। नगद भी नहीं मिलता। पर अब जो जा रहे हैं, उसके पीछे नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच टकराव से उपजा भय कहा जा रहा है। वैसे, सलवा जुड़ूम के बाद से ही बस्तर से जाने का सिलसिला कम, ज्यादा चल रहा है। अकेले तेलंगाना में ही एक अनुमान के मुताबिक 50 हजार लोगों ने अपना नया बसेरा बना लिया है। तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश भी लोग जा रहे हैं। पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन विधायक लखेश्वर बघेल ने विधानसभा में यह मामला उठाया था, तब गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने सदन में बताया था कि उनके पास इसका कोई आंकड़ा नहीं है। इस जवाब पर बघेल ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर ऐतराज भी जताया था। अभी भी जा रहे लोगों पर श्रम विभाग कोई आंकड़ा तैयार कर रहा होगा, ऐसा नहीं लगता।
आकाशीय बिजली से बचिये..
नवतपा गुजर चुका। छत्तीसगढ़ में लू लगने से 10 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। ज्यादातर लोग श्रमिक थे, जिन्हें हर मौसम में काम के लिए निकलना पड़ता है। नवतपा के आखिरी दिन कहीं-कहीं बारिश भी हुई और ओले भी गिरे। तापमान में थोड़ा उतार दिखाई दे रहा है। केरल में मानसून प्रवेश कर चुका है, जिसके छत्तीसगढ़ आने में आठ दस दिन लग सकते हैं। बारिश के दिनों में भी वज्रपात से मौतें होती हैं, मवेशी भी मारे जाते हैं। इस स्थिति से बचाव में दामिनी ऐप मददगार है। पिछले साल यह ऐप लांच हो चुका है। उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान से जुड़े पुणे के वैज्ञानिकों ने मिलकर इसे बनाया है। यह ऐप समय रहते आपको मैसेज भेजकर बता देगा कि 40 किलोमीटर के दायरे में आज क्या कहीं बिजली गिरने वाली है। पंचायत, थाना, स्कूल और आम लोगों के मोबाइल फोन पर यदि यह ऐप हो तो आकाशीय बिजली गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिल सकती है। ([email protected])