राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ताम्रध्वज कुछ नाराज हैं...
19-May-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ :  ताम्रध्वज कुछ नाराज हैं...

पिछले कुछ समय से सरकार के मंत्री ताम्रध्वज साहू नाराज चल रहे हैं। वे अपने बेेटे को दुर्ग से टिकट दिलाना चाहते थे, मगर उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी। अभी नाराजगी मंत्रियों के विभाग में छोटे से परिवर्तन को लेकर है। सीएम भूपेश बघेल ने अस्पताल में भर्ती मंत्री रविन्द्र चौबे का विधि-विधायी विभाग मोहम्मद अकबर को दे दिया। सुनते हैं कि ताम्रध्वज इसको लेकर नाराज हो गए। 

हल्ला है कि उन्होंने प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और अन्य नेताओं से इस पर आपत्ति भी जताई है। बाद में उन्हें समझाया गया कि चुनाव आचार संहिता हटने के तुरंत बाद विधि-विधायी विभाग से जुड़े कई अहम फैसले होने हैं। चूंकि रविन्द्र चौबे को पूरी तरह ठीक होने में कुछ वक्त और लग सकता है। ऐसे में अकबर को चौबे के स्वस्थ होने तक विधि-विधायी विभाग का प्रभार दिया गया है। इसमें चौबे की भी सहमति रही है। तब कहीं जाकर वे थोड़े बहुत नरम पड़े। वैसे उनका मिजाज उस समय से और ज्यादा बिगड़ा हुआ है जब प्रतिमा चंद्राकर को दुर्ग से प्रत्याशी बनाया गया। प्रतिमा ने विधानसभा चुनाव में अपनी जगह ताम्रध्वज को टिकट देने का विरोध किया था। 

इसके अलावा ट्रांसफर-पोस्टिंग के भी कुछ ऐसे मामले थे जिनमें ताम्रध्वज की बात मुख्यमंत्री ने किन्हीं वजहों से नहीं सुनी, और उन्हें लेकर वे बिफरे हुए रहे। अब लोकसभा चुनाव निपट जाने के बाद कई लोगों के बीच छोटे-छोटे विवाद सामने आ सकते हैं जिनमें कई ऐसे लोगों के मामले भी हैं जिनके खिलाफ चुनाव में कांगे्रस को खासा नुकसान पहुंचाने के सुबूत हैं, लेकिन जो अब तक मजे कर रहे हैं।

रिटायरमेंट के बाद...
प्रदेश में जितने आईएएस-आईपीएस अफसर रिटायर होने वाले हैं, उतनी ही चर्चा चल रही है कि बाद में किसे कौन सी कुर्सी मिलेगी। कुछ रिटायर्ड लोगों ने अपने नाम की चर्चा तरह-तरह से शुरू करवा दी है, और कुछ रिटायर होने वाले लोग मुख्यमंत्री तक अपनी खूबियां पहुंचाने में लगे हुए हैं। कुल मिलाकर कोई भी ऐसे नहीं दिखते जो रिटायर होने के बाद सचमुच रिटायर होना चाहते हों। जाहिर है कि सरकार की ऐसी मेहरबानी पाने के लिए लोग नौकरी के आखिरी एक-दो बरस सरकार की खुशामद में सभी कुछ करने को तैयार रहते हैं। और तो और कुछ कुर्सियों पर रिटायर्ड जजों को ही मनोनीत किया जाता है, और उसके लिए भी लोग चर्चा में रहते हैं कि किसे और क्यों क्या बनाया जाएगा।

आदत क्यों बिगाड़ रहे हैं?
एक तरफ हर सरकार में बहुत से मंत्री भारी कमाई करने के लिए चर्चा में रहते हैं, तो दूसरी तरफ टी.एस. सिंहदेव देश के सबसे संपन्न गिने-चुने अरबपति विधायकों में से एक हैं, और अस्पतालों की जरूरत को पूरा करने के लिए वे अपनी जेब से एसी और कूलर लगवा रहे हैं। अब दूसरे बहुत से नेता यह देखकर परेशान हो रहे हंै जो हैं तो खासे संपन्न लेकिन जो निजी घर का कमोड भी सरकारी खर्च से बदलवा रहे हैं। ऐसे एक सत्तारूढ़ नेता ने कहा कि बाबा (टी.एस. सिंहदेव) के पास ज्यादा पैसा है तो घर पर रखें, सरकारी कामकाज में निजी पैसा खर्च करके जनता की उम्मीद क्यों बढ़ा रहे हैं? ऐसे में हम जनता के पैसों से अपना कुछ भी नहीं कर सकेंगे। अब विधानसभा चुनाव के वक्त से लेकर अब तक टी.एस. सिंहदेव के निजी खर्च को लेकर कई किस्म की कहानियां हवा में हैं जिनकी सच्चाई वे ही बता सकते हैं। कुछ लोगों का कहना और मानना है कि उन्होंने अपनी बहुत सी जमीनें बेचकर विधानसभा चुनाव के वक्त पार्टी को एक बहुत बड़ी रकम दी है, और वे उसी अंदाज में आज भी जनता के कामों पर घर का खर्च कर रहे हैं।

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