राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : हड़बड़ी में गलत हुक्म?
26-Jun-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ :  हड़बड़ी में गलत हुक्म?

विजेन्द्र कटरे की संविदा नियुक्ति पर स्वास्थ्य विभाग में मंत्री टीएस सिंहदेव और संचालक शिखा राजपूत तिवारी के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो गई है। सिंहदेव के आदेश पर शिखा राजपूत तिवारी को नोटिस थमा दिया गया। यह कहा गया कि कटरे की नियुक्ति के प्रकरण में मंत्री आदेश की अवहेलना की गई। 

नोटिस में कहा गया कि विभागीय मंत्री ने नई नियुक्ति तक कटरे को पद पर बनाए रखने के लिए कहा था, लेकिन उन्हें संविदा पर फिर नियुक्त कर दिया गया। खास बात यह है कि आईएएस अफसर को विभाग के अवर सचिव ने नोटिस जारी किया। पहली नजर में यह नोटिस ही त्रुटिपूर्ण दिख रहा है। 

वजह यह है कि आईएएस अफसर को नोटिस देने के लिए सीएम-सीएस का अनुमोदन होना चाहिए, मगर विभागीय सचिव ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया। चूंकि कटरे को एक लाख से अधिक वेतन मिलता था, स्वास्थ्य संचालक ने मानदेय घटाकर 50 हजार कर दिया, जो कि उनके अधिकार क्षेत्र में था। इसमें में भी कोई गलती नहीं दिख रही है। और चर्चा है कि मंत्री-सचिव और संचालक के बीच तालमेल न होने के कारण ऐसी स्थिति निर्मित हुई है। 

जहां तक विजेन्द्र कटरे का सवाल है। पिछली सरकार उन्हें गुजरात से लाई थी और उन्हें बीमा योजना का एडिशनल सीईओ बनाने के लिए तमाम नियम-कानून को दर किनार किया गया था। कटरे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, जो प्रमाणित भी हैं। ऐसे में उन्हें तुरंत पदमुक्त कर किसी अन्य अफसर को प्रभार न देना भी चर्चा का विषय है। कुछ इसी तरह का विवाद यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम को लेकर खड़ा हुआ था। कैबिनेट में इसको लेकर मंत्रियों ने भी सवाल खड़े किए थे। कैबिनेट की मंजूरी के बिना इस स्कीम को करने आपत्ति जताई थी। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया था। 

स्वास्थ्य विभाग पिछले 15-20 बरस में भ्रष्टाचार की कब्रिस्तान बनकर रह गया है, और आज टी.एस. सिंहदेव उसे सुधारने की हड़बड़ी में दिख रहे हैं। लेकिन सरकार में अच्छी नीयत से भी अगर बुरी तरह हड़बड़ी की जाती है, तो वह अदालत में खूब फटकार पाती है। सत्ता के हुक्म से कई अफसर गलत हुक्म जारी कर बैठते हैं, और शिखा राजपूत तिवारी के खिलाफ यह ऐसा ही आदेश जारी हुआ दिख रहा है जिससे एक शर्मिंदगी खड़ी होने के पूरे आसार हैं।

इस बीच प्रदेश के एक सबसे बड़े सरकारी अस्पताल को चलाने वाले के खिलाफ सार्वजनिक रूप से ऐसे मामले सामने आए हैं जिन्हें देखकर सत्ता से जुड़े हुए कुछ लोग बहुत बुरी तरह विचलित हैं, और उन्हें आशंका है कि इस डॉक्टर को शोषित महिलाओं के घर वाले किसी दिन अस्पताल से पीटते-पीटते बाहर लाएंगे, और उस दिन अस्पताल की इतनी महिला कर्मचारी पीटने में जुट जाएंगी कि उसे बचाना पुलिस के लिए भी मुमकिन नहीं होगा। यह बात स्वास्थ्य मंत्री तक अब तक पहुंची है या नहीं, और इसका कोई असर हुआ है या नहीं यह तो आने वाले दिन बताएंगे जब मंत्री अपनी खुद की मुनादी के मुताबिक अस्पतालों को चलाने का जिम्मा डॉक्टरों से हटाएंगे।

टकसालों पर कब्जा जारी
विजेन्द्र कटरे जैसे विवादास्पद और भ्रष्टाचार की तोहमतों से घिरे हुए अफसर को जारी रखने की सरकारी इच्छा हैरान करती है, लेकिन ऐसी मिसालें जगह-जगह बिखरी हुई हैं। बहुत से परले दर्जे के भ्रष्ट लोग, जिनके खिलाफ लंबी-चौड़ी नगद रिकवरी के हुक्म हो चुके थे, वे लगातार आगे बढ़ते-बढ़ते आसमान तक पहुंच गए हैं, और अब उनके पांव भी जमीन पर नहीं पड़ते। पिछले आरटीओ मंत्री राजेश मूणत के सबसे चहेते होने के नाते जो अफसर रायपुर का आरटीओ बनाया गया था, वह इस सरकार में भी न सिर्फ जारी है, बल्कि उसे स्टेट गैरेज का अतिरिक्त प्रभार भी दे दिया गया है जो कि अपने-आपमें एक टकसाल माना जाता है। यह कुछ वैसा ही हुआ कि नासिक टकसाल के मैनेजर को देवास टकसाल का भी मैनेजर बना दिया गया है। ऐसा ही कई और मोटी कमाई वाली कुर्सियों के साथ हुआ है, और इसीलिए वर्तमान सरकार के बहुत से शुभचिंतक, और पिछली सरकार के बहुत से आलोचक सोशल मीडिया पर लगातार इस सरकार को सचेत करने में लगे हुए हैं। जिन बदनाम लोगों की शोहरत दीवारों पर लिक्खी हुई थी, उनके नामों की तख्तियां अब तक टकसालों पर लगी हुई हैं! ([email protected])

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