राजपथ - जनपथ
आखिरकार मोहन मरकाम की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर ताजपोशी हो गई। यह सब कुछ आसान नहीं था। बस्तर से जब प्रदेश अध्यक्ष बनाने की बात आई, तो सीएम भूपेश बघेल ने प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया को विश्वास में लेकर पार्टी हाईकमान को मरकाम का नाम सुझाया। मगर, हाईकमान इस मसले पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को लेकर निश्चिंत होना चाहती थी। सुनते हैं कि सिंहदेव से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के वेणुगोपाल ने चार बार फोन पर बात की। ऑर्डर निकलने से पहले उन्हें फिर फोन किया और पूछा कि क्या मरकाम के नाम पर आपत्ति तो नहीं है? सिंहदेव ने साफ शब्दों में कहा कि भूपेशजी की पसंद पर उनकी पूरी रजामंदी है। तब कहीं जाकर मरकाम का ऑर्डर निकल पाया। हाईकमान इस बात को लेकर ज्यादा खुश है कि विधानसभा चुनाव से पहले वाली भूपेश-सिंहदेव की जोड़ी अभी भी कायम है। दोनों के बीच अंडरस्टैडिंग बनी हुई है। जबकि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेता आपस में टकरा रहे हैं। यह एक अलग बात है कि सिंहदेव कई मौकों पर मीडिया के साथ बातचीत में अपने दिल-दिमाग की बातों को इतने साफ-साफ खुलासे से कह देते हैं कि ऐसा लगता है कि उनके मन में भूपेश के खिलाफ कुछ है। अब जैसे लोकसभा नतीजों के पहले वे बार-बार यह बोलते रहे कि अगर 11 में से सात सीटें कांगे्रस को न मिलीं तो यह कांगे्रस की हार होगी। इसके अलावा उन्होंने सरगुजा में कांगे्रस की हार के बारे में भी यह साफ-साफ कहा कि वहां की जनता इस बात से निराश थी कि उन्हें (सिंहदेव को) मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था। ऐसी छोटी-छोटी बातें उनके मिजाज का हिस्सा है, और भूपेश बघेल से बुनियादी मुद्दों पर उनका मतभेद नहीं है ऐसा लगता है।
दारू बचाने काम आया धर्म
भूपेश सरकार प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू करने की दिशा में कदम उठा रही है। और इस पर सुझाव देने के लिए पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में प्रमुख राजनीतिक दलों के विधायकों की समिति का गठन किया गया है। मगर, दिक्कत यह है कि प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा समिति के सदस्य के लिए कोई नाम नहीं दे रही है। पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में सत्यनारायण शर्मा ने आरोप लगाया कि विपक्ष शराबबंदी के लिए गंभीर नहीं है। उनका मानना है कि सिर्फ सरकारी प्रयासों से शराबबंदी सफल नहीं हो सकती है। गुजरात और बिहार, जहां पूर्ण शराबबंदी है वहां पड़ोसी राज्यों से शराब की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है।
सत्यनारायण शर्मा ने बताया कि इन राज्यों में शराब तस्करी के लिए नए-नए तरीके निकाले जा रहे हैं। उन्होंने किस्सा सुनाया कि राजस्थान में उनके कुछ परिचित युवा कार से गुजरात जाने के लिए निकले। रास्ते में उन्होंने एक कैरेट बीयर डिक्की में रखवा लिया। वे जब गुजरात सीमा पर पहुंचे, तो उन्हें एहसास हुआ कि वहां शराबबंदी है। दोनों राज्यों की सीमा पर जबदस्त चेकिंग हो रही थी। युवकों को अपनी बीयर बरामद होने का डर था। तभी उन्होंने एक रास्ता निकाला। उनमें से एक जो पतला-दुबला था उसके कपड़े निकलवा दिए और बिना कपड़ों के कार में बिठा दिया। बाकी लोग चेकिंग कर रहे पुलिस कर्मियों के पास पहुंचे और कहा कि एक धार्मिक व्यक्ति बैठे हैं, जल्दी चेकिंग कर ली जाए ताकि उन्हें दिक्कत न हो। पुलिस कर्मियों ने कार में समीप आए और बिना कपड़ों में बैठे युवक को देखा और नमस्कार कर बिना चेकिंग कर कार जाने दिया। इस तरह पुलिस की नजरों से अपनी बीयर बचा ली।
मुकेश गुप्ता के लोग तैनात
मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के जिले में मौजूद दुर्ग आईजी दफ्तर की एक दिलचस्प बात यह भी है कि यहां मौजूद एक डीएसपी, सरकार के निशाने पर चल रहे आईपीएस मुकेश गुप्ता का एकदम खास है, और मुकेश गुप्ता के खिलाफ चल रही जांच का एक बड़ा हिस्सा दुर्ग जिले में ही है। विभाग के एक पुराने लेकिन छोटे अफसर का कहना है कि मुकेश गुप्ता ने अपनी पूरी नौकरी में रायपुर के सिविल लाइन थाने, और दुर्ग के एक थाने में किसी भी समय अपनी मर्जी के खिलाफ तैनाती नहीं होने दी क्योंकि उनसे जुड़े मामले जब भी खुलते, इन्हीं दोनों थानों में खुलते। आज भी इन दोनों थानों में उन्हीं के भरोसे के लोग तैनात हैं, और आईजी ऑफिस में एक डीएसपी भी। उनके अलावा एसीबी के दफ्तर में भी मुकेश गुप्ता के बहुत भरोसे के कर्मचारी अभी भी हैं, और बातें लीक करते हुए पकड़ाने पर इसमें से एक की अभी वर्दी में ही उस दफ्तर में पिटाई हुई है, और वहां से हटा दिया गया है।
अब पुलिस विभाग में डीजी गिरिधारी नायक के रिटायर होने, और तीन एडीजी बनने के बाद नए सिरे से तैनाती का बड़ा काम खड़ा हुआ है, इसी वक्त शायद दीपांशु काबरा की बारी भी आए जो कि पुलिस मुख्यालय में फिलहाल बिना काम के बिठाए गए आईजी हैं।
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