राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : होम करते हाथ जले...
17-Jul-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : होम करते हाथ जले...

आखिरकार नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने अपने करीबी धोखाधड़ी-छेड़छाड़ के आरोपी प्रकाश बजाज से खुद को अलग कर लिया है। सुनते हैं कि बजाज के परिजनों ने पिछले दिनों कौशिक से मुलाकात की थी और पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए इधर-उधर फिर रहे प्रकाश बजाज का सहयोग करने का आग्रह किया। कौशिक इस पर भड़क गए और कहा कि बजाज का सहयोग करने के कारण ही राजनीतिक रूप से नुकसान उठाना पड़ा है। 

पहले कौशिक के कहने पर पूरी भाजपा प्रकाश बजाज के पक्ष में खड़ी दिखाई दे रही थी और पार्टी नेता, एसपी को ज्ञापन देने भी गए थे। पर कई नेताओं ने महिला के साथ धोखाधड़ी के प्रकरण की निजी स्तर पड़ताल की, तो पता चला कि प्रकाश बजाज ने वाकई महिला के साथ धोखाधड़ी की है। इसके बाद एक-एक कर पार्टी नेता बजाज से किनारा करते गए। यह बात कौशिक तक पहुंची, तब तक काफी किरकिरी हो चुकी थी। 

प्रकाश बजाज से धोखाधड़ी की शिकार महिला कौशिक पर भी छेड़छाड़ का आरोप लगा चुकी है। कौशिक ने कानूनी कार्रवाई की धमकी दी थी, लेकिन आगे इसका हौसला नहीं जुटा पाए। कौशिक के लिए होम करते हाथ जलने जैसी स्थिति पैदा हो गई थी। इससे छुटकारा पाने के लिए कौशिक ने प्रकाश बजाज-परिजनों को घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया। 

नाजायज प्रतिबंधों का नतीजा
नया रायपुर के मरघटी सन्नाटे को देखकर लौट रहे शहरी योजना के कुछ विशेषज्ञों ने इस बात पर हैरानी जाहिर की कि शहर से 25 किलोमीटर दूर मंत्रालय बनाकर उसके बाद बीच की पूरी जगह को भरने की उम्मीद रमन सरकार का मुंगेरीलाल का हसीन सपना था। एक तो सरकार यह सोच रही थी कि नया रायपुर में योजना के तहत प्रतिबंधों से लाद दी गई हजारों एकड़ जमीन पर लोग बसेंगे, दूसरी तरफ उसने निजी जमीनों पर इस कदर प्रतिबंध लगाए थे कि कोई कुछ बना ही न सके। नतीजा यह हुआ कि न तो बीच का हिस्सा भर पाया, न नया रायपुर की खुद की सरकारी जमीन बिक पाई। निवाला इतना बड़ा ले लिया गया था कि न उसे खाते बना, और न निगलते। नया रायपुर का ढांचा इतना बड़ा बना दिया गया कि उसका रखरखाव हाथी पालने जैसा हो गया है। अब भूपेश सरकार, और उसके एक तेज-तर्रार मंत्री मोहम्मद अकबर यह नहीं समझ पा रहे हैं कि देश के सबसे बड़े कब्रिस्तान बनने का खतरा झेल रहे नया रायपुर का क्या किया जाए? जिस तरह केंद्र सरकार घाटे की एयर इंडिया को सब्सिडी से उड़ा रही है, क्या उस तरह की सब्सिडी से नया रायपुर में बसें चलाएं, झाड़ू लगवाएं, और रखरखाव करवाएं, या फिर इसके लिए भी रायपुर शहर के स्काईवॉक की तरह जनता और जानकारों की राय मंगवाएं। शहरी योजना के विशेषज्ञों का यह मानना है कि नया रायपुर में सरकार की अपनी योजना जितनी जगह छोड़कर बाकी निजी जमीनों पर लादी गई नाजायज शर्तों को खत्म करना चाहिए, ताकि बाजार सामान्य नियमों के तहत उस तरफ दिलचस्पी ले सके। नया रायपुर को तानाशाही का एक टापू बनाने के चक्कर में हजारों एकड़ निजी जमीनों पर प्रतिबंधों का इतना बड़ा टोकरा लाद दिया गया कि लोग शहर के दूसरे इलाकों में ही कमाने-खाने के लिए बने रहे, और इधर देखा भी नहीं। इसका हाल यह रहा कि किसी श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए सिर्फ चंदन की लकडिय़ां बेचने को रखी गईं, तो लोग दूसरी जगह मुर्दे जलाने लगे। 

आज हालत यह है कि अंधेरा होने के बाद नया रायपुर के इलाके में किसी की गाड़ी खराब हो जाए, तो हो सकता है कि कई घंटे कोई मदद करने वाले वहां से गुजरें ही नहीं। छत्तीसगढ़ी में ऐसे हालत के लिए कहते हैं-मरे रोवइया न मिले...

गांधीजी की चलती है...
विधानसभा में श्रम विभाग के सवालों पर चर्चा के दौरान हास-परिहास के बीच भाजपा सदस्य शिवरतन शर्मा ने भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करते हुए कह दिया कि डहरियाजी के विभाग में  'गांधीजीÓ की चलती है। इस पर श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने भी तपाक से जवाब दिया कि गांधीजी की देश-विदेश, हर जगह चलती है। उन्होंने भाजपा सदस्य को सलाह दी कि हर रोज गांधीजी को प्रणाम किया करें। ([email protected])

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