राजपथ - जनपथ
सांसद सुनील सोनी रायपुर में सरकारी बंगला चाहते हैं। उन्हें इसकी पात्रता भी है। उनकी नजर अपने पूर्ववर्ती सांसद रमेश बैस के आकाशवाणी से सटेसरकारी बंगले की तरफ गई। उन्होंने इसके लिए आवेदन भी भेज दिया। सुनील सोनी को उम्मीद थी कि त्रिपुरा का राज्यपाल बनने के बाद बैसजी बंगला खाली कर देंगे और यह उन्हें मिल जाएगा। मगर, ऐसा नहीं हो रहा है। बैसजी के नहीं रहने पर सरकारी बंगले में उनके समर्थकों की आवाजाही लगी रहेगी। बैसजी ने सरकार के प्रमुख लोगों से बात कर यह सुनिश्चित कर लिया है कि बंगला उन्हीं के कब्जे में रहेगा।
बैसजी का रायपुर में सरकारी बंगला रखना गलत भी नहीं है। वे सात बार सांसद रह चुके हैं। जब बृजमोहन अग्रवाल मंत्री न रहने के बावजूद मंत्री बंगले पर काबिज रह सकते हैं, तो बैसजी का हक बनता ही है। बृजमोहन की तरह बैसजी का सीएम और अन्य प्रमुख लोगों से मधुर संबंध है। ऐसे में उनसे बंगला खाली करवाना दूर की कौड़ी है। वैसे भी, साधन-सुविधाएं जुटाने के लिए सरकार से तालमेल बनाए रखना जरूरी होता है। ताम्रध्वज साहू जब सांसद थे तो उन्हें भी रायपुर में बंगले के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े। तब यहां भाजपा की सरकार थी। आखिरकार उन्हें अपने प्रतिद्वंदी सरोज पांडेय से सिफारिश करानी पड़ी, तब कहीं जाकर उन्हें यहां सरकारी बंगला अलॉट हो पाया। सोनीजी को भी बृजमोहन-ताम्रध्वज के गुर सीखने पड़ेंगे।
कुछ और पर कार्रवाई...
सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी जांच एजेंसियों की चर्चा आज खबरों में सिर्फ दो-तीन चर्चित मामलों को लेकर हो रही है। लेकिन वहां दर्ज शिकायतों में से बहुत सी शिकायतों पर तेज रफ्तार से काम चल रहा है ताकि आने वाले दिनों में कुछ और लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो सके। अभी एसीबी-ईओडब्ल्यू में पहुंचने वाली शिकायतों में से पांच फीसदी में ही जांच हो पाती है, और शायद एक फीसदी मामले अदालतों तक पहुंचते हैं। अब इनके बीच जो चार फीसदी मामले हैं, उन पर तेजी से कार्रवाई चल रही है क्योंकि उनमें काफी कुछ जानकारियां जुट चुकी हैं। डीजीपी दर्जे के अफसर बी.के. सिंह के इस दफ्तर से हटने के बाद अब जी.पी.सिंह अकेले मुखिया रह गए हैं, और अब रफ्तार से कुछ जांच पूरी होने, और अदालत तक पहुंचने के आसार हैं। जिनकी जांच हुई है, वे लोग कुछ हड़बड़ाए हुए हैं।