राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : नई राज्यपाल, कुछ बातें...
29-Jul-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : नई राज्यपाल, कुछ बातें...

छत्तीसगढ़ की नई राज्यपाल अनुसुईया उईके के बारे में छिंदवाड़ा के जानकार एक पत्रकार शिशिर सोनी ने एक संस्मरण आज अपने फेसबुक पेज पर लिखा है- अस्सी के दशक की बात होगी। अनुसुईया उइके समूचे छिंदवाड़ा में हीरो मजेस्टिक वाली अनु दीदी के नाम से ख्यात हो रही थी। तब किसी लड़की का शहर में मोपेड की सवारी तो दूर की बात अकेले निकलने पर भी रोकटोक थी। उनके बेखौफ अंदाज के कारण शहर की लड़कियाँ जुडऩे लगीं। 

पहला सवाल हल करने को आया शहर से दूर कॉलेज जाने वाली लड़कियों के लिए बस की सुविधा तय करवाना। सभी से किराया वसूल कर बस वाले को देना। फिर सभी लड़कियों को कॉलेज के लिए घर से लेना फिर वापिस घर तक छोडऩा, छात्राओं की अनु दीदी का शगल हो गया। 

कैंपस में मशहूर हुईं तो छात्रों की नेता हो गईं। कैंपस के कई चुनाव जीते। किसी आदिवासी महिला का छिंदवाड़ा में यूँ लोकप्रिय हो जाना मध्यप्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ को अच्छा लगा। उन्होंने तब उनसे पूछा चुनाव लड़ोगी? कांग्रेस से विधानसभा का टिकट मिला और 26 साल की नौजवान अनुसुईया उईके देखते ही देखते विधायक बन गई। मंत्री बनी। यहीं से शुरू हुआ राजनीतिक सफर। तब तक एमए, एलएलबी जैसी उच्च शिक्षा भी ग्रहण कर चुकी थी। इनका राजनीतिक कौशल अर्जुन सिंह जैसे पुरोधा ने तब परखा जब वे खरसिया (अब छत्तीसगढ़ में) से उपचुनाव लड़ रहे थे। सामने थे भाजपा के कद्दावर नेता दिलीप सिंह जूदेव। चुनाव का संचालन अनुसुईया उईके संभाल रही थी। संयुक्त मध्यप्रदेश के तब मुख्यमंत्री थे अर्जुन सिंह। उस वक्त मध्यप्रदेश के एक बड़े भाजपा नेता सुंदरलाल पटवा ने खरसिया उपचुनाव में एक सभा को संबोधित करते हुए महिलाओं पे कुछ टीका-टिप्पणी कर दी उस टिप्पणी को अनुसुईयाजी ने ऐसा राजनीतिक जामा पहनाया कि तीन दिनों में ही जीत रहे भाजपा के जूदेव डिफेंसिव हो गए। माहौल बदला और अर्जुन सिंह चुनाव जीत गए। उस चुनाव में जीत का श्रेय अर्जुन सिंह ने अनुसुईयाजी को दिया था। 

1991 में किसी कारण कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा का दामन पकड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कसौटी पर लगातार खरी उतरती गई। राज्यसभा की सदस्य बनीं। कार्यकाल पूरा हुआ तो जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष बना दी गईं। वहाँ उन्होंने जमकर काम किया। आयोग से इस्तीफा देने वाले दिन तक केस निपटाती रहीं। झारखंड के रामगढ़ में टाटा के एक प्रोजेक्ट में चार आदिवासी परिवार बेघर हो रहे थे। सुनवाई के दौरान टाटा कंपनी को आदेश दिया की सभी चार परिवार को 25-25 लाख रुपया मुआवजा दो। कंपनी मान गई।

पिछले शुक्रवार को ही एक और केस था हिमांशु कुमार का। दिल्ली विश्वविद्यालय से एम टेक कर रहे इस आदिवासी छात्र की शिकायत थी कि उसने अच्छी परीक्षा दी है लेकिन उसे फेल किया गया उसकी कॉपी का पुनर्मूल्यांकन हो! केस की सुनवाई में एसटी आयोग में उपस्थित दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि टेक्निकल पढ़ाई की परीक्षा में पुनर्मूल्यांकन की नीति नहीं। आयोग के उपाध्यक्ष के नाते अनुसुईया जी ने इसे विशेष केस मानते हुए आदेश दिया कि पुनर्मूल्यांकन किया जाए। हिमांशु की खुशी का ठिकाना नहीं था। 

शोषित, वंचित समाज के बीच बेहद प्रसिद्ध अनु दीदी, सोमवार को छत्तीसगढ़ की प्रथम आदिवासी महिला राज्यपाल के रूप में शपथ लेंगी। 

सदस्यता से ज्यादा जरूरी ग्राहकी
देशभर में भाजपा का सदस्यता अभियान चल रहा है। मगर, छत्तीसगढ़ में पार्टी कार्यकर्ता नए सदस्य बनाने में रुचि नहीं ले रहे हैं। पार्टी के रणनीतिकार इसको लेकर परेशान हैं। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर और अमर अग्रवाल ने अपने-अपने प्रभार वाले जिलों की बैठक में सदस्यता अभियान की धीमी रफ्तार पर जमकर नाराजगी जाहिर की, लेकिन कार्यकर्ताओं पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। प्रदेश में सरकार नहीं रह गई है, ऐसे में कार्यकर्ता पार्टी कार्यक्रमों के बजाए काम-धंधे में ज्यादा व्यस्त दिख रहे हैं। 

सुनते हैं कि सरकार के एक फैसले ने उनकी व्यस्तता और बढ़ा दी है। सरकार ने यह फैसला लिया है कि राशन दुकानों का संचालन अब सहकारी समितियां करेंगी। इसके बाद वार्ड स्तर के भाजपा नेता सहकारी समिति गठन कर राशन दूकान लेने की तैयारी में जुट गए हैं। 

सरकार के पास यह जानकारी आई भी है कि भाजपा नेताओं ने बड़े पैमाने पर सहकारी समितियां बनाई हैं। यह साफ है कि जिसके पास राशन दुकान रहेगी, उसकी मोहल्ले में धमक रहेगी। वैसे भी सरकार हर परिवार को राशन मुहैय्या कराने जा रही है, आज के मुकाबले अनाज और बाकी सामान की आवाजाही काफी बढ़ेगी। ऐसे में पार्टी के कई नेताओं को राशन दुकान के लिए मेहनत करना गलत नहीं लग रहा है क्योंकि इससे पार्टी का ही जनाधार बढ़ेगा। 

अमरजीत की एक और जीत
मंत्री बनने के बाद अमरजीत भगत का कद लगातार बढ़ रहा है। भगत की पसंद पर सीएम ने उनके करीबी पीडब्ल्यूडी अफसर एमएल उरांव को प्रभारी मुख्य अभियंता बनाने पर सहमति दे दी है। भगत ने अपनी नोटशीट में मुख्य अभियंता के एक पद को अजजा वर्ग के लिए स्वीकृत होना बताया था। खैर, इस पोस्टिंग से सरगुजा संभाग में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो सकती है। वजह यह है कि सरगुजा में ठेकेदारी बड़ा काम है, और कांग्रेस-भाजपा के प्रभावशाली नेता प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े हैं। अब भगत के करीबी अफसर की पोस्टिंग के बाद बड़े ठेकेदार स्वाभाविक तौर पर उनके आसपास मंडराते नजर आएंगे। ऐसे में भगत के बढ़ते कद से सरगुजा इलाके के सबसे बड़े कांग्रेस नेता कृषि मंत्री टीएस सिंहदेव के वर्चस्व को चुनौती देने की कोशिशों के रूप में देखा जा रहा है। इसमें एक दिलचस्प बात यह भी है कि पीडब्ल्यूडी के विभागीय मंत्री मुख्यमंत्री पद के एक और दावेदार ताम्रध्वज साहू हैं।

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