राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : साख की गलतफहमी
31-Jul-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : साख की गलतफहमी

साख की गलतफहमी

कई बार ऐसा होता है कि बड़े लोगों के झगड़े में छोटे पिस जाते हैं। और उन्हें काफी कुछ नुकसान उठाना पड़ता है। पुलिस में कुछ ऐसा ही हुआ है। पिछली सरकार में एक हवलदार को एक ताकतवर पुलिस अफसर ने खूब प्रताडि़त किया। हवलदार के भतीजे तक को सस्पेंड कर दिया। हवलदार को लेकर यह धारणा थी कि वह अफसर के विरोधी एक अन्य पुलिस अफसर का करीबी है। काफी अनुनय-विनय और कुछ राजनेताओं के हस्तक्षेप के बाद अफसर का गुस्सा शांत हुआ। हवलदार को ठीक-ठाक पोस्टिंग भी मिल गई। सब कुछ ठीक चल रहा था कि सरकार बदल गई।  

सरकार बदलने के साथ ही हवलदार पर फिर आफत आन पड़ी। जिस पुलिस अफसर ने पहले हवलदार को प्रताडि़त किया था उसके बुरे दिन शुरू हो गए और अफसर के खिलाफ कई तरह की जांच शुरू हो गई। अब हवलदार को यह कहकर सुकमा भेज दिया गया कि वह जांच के घेरे में आए पुलिस अफसर का करीबी है। अब हवलदार यहां-वहां हाथ जोड़कर बताता फिर रहा है कि जिसका करीबी बताकर फिर उसे प्रताडि़त किया जा रहा है, उसकी प्रताडऩा का खुद पहले शिकार हो चुका है। मगर, अभी तक उसे राहत नहीं मिल पाई है। 

साख का खेल
सहकारिता आयुक्त गणेश शंकर मिश्रा को तो हटा दिया गया, लेकिन  उनके नजदीकी रिश्तेदार, पत्नी के चचेरे भाई विवेक रंजन तिवारी अतिरिक्त महाधिवक्ता बनाया गया है। विवेक रंजन बिलासपुर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं और वे अविभाजित मप्र कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे दिवंगत रामगोपाल तिवारी के नाती हैं। गणेश शंकर मिश्रा के उलट विवेक रंजन की साख अच्छी है। यही वजह है कि उन्हें सतीशचंद्र वर्मा के महाधिवक्ता बनने के बाद रिक्त अतिरिक्त महाधिवक्ता का दायित्व सौंपा गया है। 

विवेक रंजन से परे गणेश शंकर मिश्रा को हमेशा योग्यता से ज्यादा मिला। जबकि उनके खिलाफ विधानसभा की समिति ने अपराधिक प्रकरण दर्ज करने की अनुशंसा की थी। इन सबको दरकिनार कर उन्हें रिटायरमेंट के आखिरी दिन रमन सरकार ने प्रमुख सचिव बनाया। जबकि देश के अन्य राज्यों में उनके बैच के लोग प्रमुख सचिव नहीं बने थे। सुनते हैं कि पदोन्नति पाने के लिए रायपुर से लेकर राजनांदगांव तक के भाजपा नेताओं को तत्कालीन सीएम डॉ. रमन सिंह के पीछे लगा दिया था। तमाम नियमों-कानून को दरकिनार कर उन्हें पदोन्नति मिल गई। प्रदेश में सहकारिता क्षेत्र में भारी भ्रष्टाचार है और यहां चुनाव में भी पारदर्शिता की कमी रही है। यही वजह है कि सरकार ने गणेश शंकर की जगह साफ-सुथरी छवि के अफसर मनोज पिंगुआ को चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारी देकर व्यवस्था ठीक करने मंशा जताई है। 

होटल के सामानों का लालच
हिंदुस्तान से जब लोग बाहर जाते हैं, तो उनके बर्ताव को लेकर बहुत से लोगों को शिकायत रहती है। वे गुटखा, तंबाकू खाकर जगह-जगह थूकते हैं, और कई किस्म की गंदगी करते हैं, कतार तोड़ते हैं, और सामान चुराते हैं। अभी-अभी इंडोनेशिया के बाली में छुट्टियां मनाने गए एक हिंदुस्तानी परिवार का वीडियो चारों तरफ फैल रहा है जिनके सूटकेस-बैग खोल-खोलकर पुलिस के सामने होटल के कर्मचारी चुराया हुआ सामान निकाल रहे हैं। पहले तो यह परिवार कर्मचारियों पर चीख रहा है, लेकिन जैसे-जैसे सामान निकलता गया, वैसे-वैसे उसकी बोलती बंद होती गई, और परिवार ने कर्मचारियों के पांव पकड़ लिए।

कुछ लोग इसे हिंदुस्तान की नाक कटवाना मान रहे हैं, कुछ लोग मान रहे हैं कि किसी परिवार के गलत काम से देश की नाक नहीं कटती। जो भी हो, मामला बड़ा शर्मनाक है, और इन दिनों खुफिया कैमरों के रहते गलत काम करने के पहले सौ बार सोचना चाहिए, और फिर लोगों के बीच कुछ करते हुए ध्यान रखना चाहिए कि कई मोबाइल फोन रिकॉर्ड कर रहे होंगे। 

लेकिन बहुत से सैलानियों को यह मालूम नहीं होता कि वे होटल से क्या-क्या सामान होटल के कमरे को छोड़ते हुए लेकर जा सकते हैं? इसके बारे में एक जानकार वेबसाईट बताती है कि होटल के बाथरूम में रखा गया साबुन, शैम्पू, कंघी, शॉवर कैप, डिस्पोजेबल स्लीपर के अलावा कमरे में रखे गए चाय, कॉफी, शक्कर, नमक के पैकेट ले जाए जा सकते हैं जिस पर होटल को कोई आपत्ति नहीं होती। ये सारी चीजें मुफ्त इस्तेमाल की रहती हैं जिन्हें मुफ्त ले जाया जा सकता है। दूसरी तरफ तौलिया, तकिया, चादर, नेपकिन, हेयरड्रायर, रिमोट की बैटरियां नहीं ले जाई जा सकतीं। इसी तरह अलमारी के हैंगर, चम्मच-छुरी, ग्लास-प्लेट को भी नहीं ले जाया जा सकता। अगर होटल जरा भी महंगी है, तो वहां ठहरने वाले साबुन-शैंपू की छोटी-छोटी बोतलें मांग भी सकते हैं, और साथ ला सकते हैं, उसमें होटल को कोई आपत्ति नहीं होती। लेकिन अभी जो भारतीय परिवार पकड़ाया है वह हाथ धोने के साबुन की बड़ी-बड़ी बोतलें भी सूटकेस में भरकर ले जा रहा था।

मध्यप्रदेश काडर के एक ऐसे बड़े इज्जतदार वरिष्ठ आईएएस अधिकारी थे जो आपसी चर्चा में बताते थे कि वे दुनिया भर में जिस होटल में ठहरे, वहां से कोई न कोई सामान जरूर लेकर आए। और वे कमरे में मुफ्त में रखे गए इस्तेमाल के सामानों से परे, कहीं से चम्मच, कहीं से कांटा-छुरी, तो कहीं से तौलिया लेकर आते थे।
 
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