राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : न्यौता देना बाकी है...
02-Aug-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : न्यौता देना बाकी है...

चेम्बर के संरक्षक और विहिप नेता रमेश मोदी इन दिनों सपरिवार सैर सपाटे के लिए इंडोनेशिया के बाली गए हैं। वहां उन्होंने अपने गले में सांप लपेटकर तस्वीर पोस्ट की है। उनकी तस्वीरों पर कई लोग मजा ले रहे हैं। चेम्बर के एक सदस्य ने एक वॉट्सऐप गु्रप में पोस्ट इस तस्वीर के नीचे लिखा-ये हैं चेम्बर के संरक्षक, इनके आस्तीन में सांप साफ नजर आ रहा है। चेम्बर में इन दिनों पदाधिकारियों के बीच विवाद चल रहा है। इन सबके बीच रमेश मोदी पर कटाक्ष से नया बखेड़ा खड़ा होने के आसार दिख रहे हैं। मोदी से जुड़े लोग उनके लौटने का इंतजार कर रहे हैं। 


न्यौता देना बाकी है...

छत्तीसगढ़ सरकार की एक सबसे महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरवा, बारी पर काम तेजी से चल रहा है, और अब तक मनरेगा के तहत इधर-उधर बिना जरूरत के जो काम केवल मजदूरी देने के लिए करवाए जाते थे, उनकी बजाय अब जानवरों के लिए बैठने और खाने-पीने की जगह बनने की तस्वीरें दिख रही हैं। राज्य सरकार इसे उपलब्धि मानती है कि अपने किसी बजट और खर्च के बिना उसने केंद्र सरकार की रोजगार गारंटी की योजना, ग्रामीण विकास की योजना के मद से ही यह काम कर लिया है।

लेकिन राज्य भर में चारों तरफ से जो तस्वीरें आती हैं, वे बताती हैं कि सड़कों पर से जानवर घटे नहीं हैं, और शहर से लेकर गांवों तक हाल यही है। बारिश में जानवरों का डेरा सड़कों पर इसलिए भी बढ़ जाता है कि महज सड़कें ही सूखी और साफ रहती हैं और जानवर वैसी जगह पर ही बैठ पाते हैं। बाकी गीली जगहों पर मक्ख्यिां उनका जीना हराम कर देती हैं, अब ऐसे में जानवरों के लिए चारा-पानी और बैठने की जगह बनने के बावजूद सड़कों से उन्हें कैसे हटाया जाए यह एक बड़ी चुनौती अभी बाकी है। बहुत से लोगों का यह तजुर्बा है कि बहुत से सड़क हादसे इसी वजह से होते हैं कि सड़कों पर जानवर रहते हैं या अचानक आ जाते हैं। अब सरकार ने खाने-पीने और डेरे की जगह तो बना दी है, लेकिन जानवरों को वहां न्यौता देना अभी बाकी है। 

मुकेश गुप्ता और पुलिस...
राज्य सरकार के निशाने पर चल रहे प्रदेश के डीजी रैंक के निलंबित अफसर मुकेश गुप्ता को रहस्यमय और अदृश्य सहायता मिल रही है। और यह सहायता प्रदेश के गृहमंत्री, और मुख्यमंत्री के अपने जिले की पुलिस से हासिल हो रही है। राज्य सरकार के ही लोगों के पास इस बात की पुख्ता जानकारी है कि दुर्ग पुलिस के कुछ लोग लगातार मुकेश गुप्ता को पुलिस की तैयारी की जानकारी दे रहे थे। पुलिस जब मुकेश गुप्ता को ढूंढने की कवायद की नुमाइश कर रही थी, तभी उस बीच पुलिस की अच्छी खासी जानकारी में मुकेश गुप्ता दुर्ग-भिलाई आकर, रूककर अपने करीबी एक खेल संघ पदाधिकारी के फार्महाऊस की दावत में शामिल हुए, और बात सबको मालूम होने के बावजूद दुर्ग की पुलिस दिल्ली में उन्हें ढूंढने की मशक्कत दिखाती रही। हालत यह है कि दुर्ग के जिस सुपेला थाने में मुकेश गुप्ता के खिलाफ साडा की जमीन में गड़बड़ी करने का जुर्म दर्ज है, उस थाने को सोच-समझकर थाना प्रभारी के बिना रखा गया है, और एक सब इंस्पेक्टर को वहां का प्रभारी थानेदार बनाया गया है। इसी तरह दुर्ग के बहुत से पुराने और तजुर्बेकार अफसरों को छोड़कर एक बिल्कुल ही नए अफसर को मुकेश गुप्ता की गिरफ्तारी के लिए, या उस नाम पर, दिल्ली भेजा गया जो कि कमजोर तैयारी से गए, और जानकारी यह है कि वे बिना सर्चवारंट ही मुकेश गुप्ता के घर पहुंच गए थे, और खबरें छपी कि वे वहां से फटकार खाकर लौटे हैं। 
यह बात अखबार पढऩे वाले हर किसी को मालूम है कि मुकेश गुप्ता को देश के कुछ सबसे महंगे वकीलों की सेवाएं हासिल हैं, और महेश जेठमलानी जैसे वकील उनके लिए अदालत में आकर खड़े होते हैं। ऐसे में पुलिस की ऐसी कमजोर तैयारी, और हलचल की अनदेखी कोई मासूम बात नहीं लगती है। एक जानकार का कहना है कि प्रदेश के जिन दो थानों में, रायपुर के सिविल लाईंस, और भिलाई के सुपेला थाने में, जहां कि मुकेश गुप्ता के खिलाफ कोई मामला दर्ज हो सकता था, उन दोनों थानों को मुकेश गुप्ता ने अपनी बादशाहत के चलते कभी भी अपने पसंदीदा लोगों के बिना नहीं रहने दिया था। वहां पर कुछ न कुछ लोग उनके खांटी वफादार रखे ही जाते थे, और आज भी उनमें से कुछ की वफादारी का फायदा उनको मिल रहा है। कहीं कागज कमजोर बन रहे हैं, तो कहीं पहले से पुलिस खबर करके फिर पहुंच रही है। इस बीच पुलिस महकमे के अलग-अलग अफसर उन्हें गिरफ्तार करने का बीड़ा इस रफ्तार से उठा रहे हैं कि मानो रोज पान खाने वाले पानठेले पर पान का बीड़ा उठा रहे हों।  ([email protected])

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