राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दारू, कंडोम, सेनेटरीपैड भी चिप्स से...
08-Aug-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दारू, कंडोम, सेनेटरीपैड भी चिप्स से...

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में रात 2 बजे लुटेरे एक पूरा का पूरा एटीएम उखाड़कर ले गए जिसमें साढ़े 26 लाख रुपये थे। वह एटीएम एसबीआई का था, और रायपुर में आज सुबह टिकरापारा इलाके में एसबीआई के एक दूसरे एटीएम में मानो उसकी रक्षा करने के लिए नंदी ने डेरा डाल दिया था कि उसे कोई लूट न ले। तस्वीर /छत्तीसगढ़ / अनुराधा गुप्ता

दारू, कंडोम, सेनेटरीपैड भी चिप्स से...
जब गड़े हुए मुर्दे उखड़ते हैं, तो उनके साथ कई पुरानी चाही-अनचाही बातें भी उजागर होती हैं। दुनिया के एक सबसे पुराने जोड़े के कंकाल की तस्वीर चारों तरफ फैली हुई है जिसमें एक आदमी और औरत अगल-बगल एक-दूसरे से लिपटे-लिपटे ही दफन हो गए थे, और अब उनके कंकाल उसी तरह दिखते हैं। लोगों को क्या पता था कि सैकड़ों या हजारों बरस बाद उनके कंकाल की निजता भी इस तरह खत्म होगी। 

किसी सरकारी भ्रष्टाचार की जांच कुछ इसी तरह की होती है। जब कहीं छापा पड़ता है, तो एक-एक आलमारी और दराज, और गद्दों के नीचे पलंग के बक्सों तक की तलाशी ली जाती है, और एक-एक सामान दर्ज होता है। कुछ लोगों के घर से कोई सेक्स-सीडी निकल आती है तो वह भी दर्ज होती है। अब इन दिनों छत्तीसगढ़ में पिछली रमन सरकार के कार्यकाल के कई मामलों की ईओडब्ल्यू-एसीबी जांच चल रही है। इसमें राज्य सरकार की कम्प्यूटर-इलेक्ट्रॉनिक्स मामलों की एजेंसी, चिप्स की जांच में छापे तो नहीं पड़े हैं, लेकिन फाईलें जब्त हुई हैं। अंधाधुंध खरीदी भी दर्ज हुई है। एक नौजवान आईएएस अफसर ने किस तरह अपने अंधाधुंध बड़े दफ्तर के लिए 20-25 लाख का सोफा खरीद लिया, लाखों का एक झूला खरीद लिया, और दफ्तर की साज-सज्जा शाही तरीके की करवा ली। अब भूपेश सरकार के जो लोग वहां बैठकर काम कर रहे हैं, उनकी मजबूरी है कि उन्हीं सामानों के साथ काम करें, हालांकि वे ऐसी शान-शौकत के आदी नहीं हैं, लेकिन अधिक सादगी का सामान खरीदने में और खर्च होगा, इसलिए वे सामान वहीं पड़े हैं, बस झूला वगैरह खोलकर रखवा दिया गया है जो कि सरकारी खर्च पर गरीब जनता के साथ एक अश्लील और हिंसक प्रदर्शन था। 

जांच करने वाली एजेंसी के अधिकारियों ने चिप्स की जो फाईलें और जो बिल जब्त किए हैं, उन्हें देखकर वे हक्का-बक्का हैं। करोड़ों के गलत खर्च तो हुए ही हैं, लोगों को अंधाधुंध मेहनताने पर रखा गया, और बिना किसी काम के उनको दसियों लाख का भुगतान भी किया गया। बिना किसी वर्कऑर्डर या नियुक्ति पत्र के एक सलाहकार को 50 लाख रूपए दे दिए गए। महंगे सामानों के लिए दूसरे प्रोजेक्ट से रकम ट्रांसफर की गई दूसरे मदों में। झूठे सर्टिफिकेट के आधार पर नियुक्ति की गई। लेकिन इसके साथ-साथ कुछ छोटे-छोटे बिल ऐसे थे जो चौंकाने वाले थे, और अफसरों की सोच को बताने वाले भी थे। कुछ दारू के बिल हैं, कुछ बिल सेनेटरी पैड और कंडोम जैसे सामानों के भी हैं। अब जांच करने वाले अफसर इस बात पर हैरान हैं कि इस पर पूछताछ आगे बढ़ाई जाए, या शर्म खाकर इसे अनदेखा कर दिया जाए। दर्जनों करोड़ की अफरा-तफरी, और हजारों करोड़ के टेंडरों में गड़बड़ी के बीच इन सामानों के बिल छोटे जरूर लग सकते हैं, लेकिन ये अफसरों की सोच बताते हैं।

वैसे ईओडब्ल्यू-एसीबी के जांच अफसरों का मानना है कि उनके पास इतनी बड़ी टीम नहीं है कि वह राजस्थान के भाजपा विधायक की तरह जेएनयू में इस्तेमाल किए हुए कंडोम गिनते बैठे। 

इस धर्म के ही अनचाहे बच्चे...
अभी राजधानी रायपुर के किनारे पर लगे हुए नंदनवन के रास्ते में सड़क किनारे फेंके गए एक नवजात शिशु की जिंदगी पुलिस ने बचाई, और उसे एम्स में भर्ती कराया। बच्चे की मां या परिवार ने तो उसे मरने के लिए ही फेंक दिया था क्योंकि जिंदा रखने के लिए उसे फेंका जाता तो किसी सुरक्षित जगह पर छोड़ा जाता, जहां कुत्ते उसे खाकर खत्म कर दें, वहां तो उसे जिंदा रखने के लिए फेंका नहीं गया होगा। इसे देखकर विवेकानंद आश्रम, रामकृष्ण मिशन से जुड़े एक प्रमुख हिन्दू व्यक्ति ने कहा- जिस जगह इसे फेंका गया है, उसके आसपास दूर-दूर तक कोई गैरहिन्दू बस्ती नहीं है। उन्होंने कहा कि अनचाहे बच्चों के पैदा होने पर उन्हें इस तरह फेंकने के जितने मामले सामने आते हैं, वे तमाम हिन्दू बस्तियों के आसपास के होते हैं। इस बारे में लोगों को सोचना चाहिए कि ऐसा क्यों होता है? खासकर हिन्दुओं को सोचना चाहिए कि ऐसे बच्चों को बचाने का सबसे बड़ा काम इस देश में मदर टेरेसा की संस्था ने किया, और उसके मुकाबले कोई हिन्दू संगठन कभी कोशिश करते नहीं दिखा। बस फेंके गए बच्चे ही हिन्दू बस्तियों के आसपास के रहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जन्म पूर्व बच्चों के लिंग निर्धारण की जांच करवाने वालों में सबसे अधिक हिन्दू ही हैं, और सबसे अधिक गर्भपात भी इसी समाज में करवाया जाता है, लड़कों की चाह में अजन्मी लड़कियां मारी जाती हैं। 
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