राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पुलिस से विधायक की ओर?
09-Aug-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पुलिस से विधायक की ओर?

 

पुलिस से विधायक की ओर?

प्रदेश में विधानसभा की दो खाली सीटों के लिए उपचुनाव अक्टूबर में संभव है, लेकिन पार्टियों में योग्य प्रत्याशियों की खोजबीन चल रही है। सुनते हैं कि भाजपा के रणनीतिकारों की निगाह एक पुलिस अफसर पर है, जो कि बस्तर में लंबे समय तक काम कर चुके हैं और वे वहां के रहने वाले भी हैं। पुलिस अफसर इन दिनों दुर्ग संभाग के एक जिले में बतौर पुलिस अधीक्षक के पद पर हैं। अफसर की साख अच्छी है और पार्टी उन्हें चित्रकोट विधानसभा से प्रत्याशी बनाना चाहती है। 

कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में भी उक्त अफसर को प्रत्याशी बनाने पर विचार किया गया था, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई। दिक्कत यह है कि उपचुनाव में बहुत कम ऐसा होता है जब सत्तारूढ़ दल के खिलाफ वोटिंग होती है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद कोटा विधानसभा उपचुनाव में उस समय कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती डॉ. रेणु जोगी ने सत्तारूढ़ दल भाजपा के प्रत्याशी को जरूर हराया था, लेकिन इसके बाद हुए उपचुनावों में सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवारों को ही जीत मिली। यह सब देखकर नौजवान पुलिस अफसर भाजपा प्रत्याशी बनने के लिए तैयार होंगे या नहीं, यह भी अभी साफ नहीं है। 

सिटी सेंटर की कब्र के कंकाल...
सिटी सेंटर मॉल के गड़बड़झाले की जांच जल्द शुरू होगी। सुनते हैं कि जांच ठीक-ठाक हुई, तो दो आईएएस अफसरों का लपेटे में आना तय है। इनमें से एक अफसर का तो इस बात को लेकर खूब प्रचार हुआ था कि वे एक रूपए वेतन लेते हैं, मगर ऐसा नहीं था। अफसर ने मॉल निर्माण में अनियमितता को अनदेखा किया, इसके एवज में यूरोप घूम आए। इस प्रकरण में एक आईएफएस अफसर भी मुश्किल में पड़ सकते हैं। वजह यह है कि मॉल संचालकों ने करीब 10 करोड़ की जमीन दबाई है, लेकिन इस पर कार्रवाई की बात आई तो आईएफएस अफसर ने रोड़ा अटका दिया। कुल मिलाकर अफसर मॉल संचालक पर काफी मेहरबान रहे हैं और यह मेहरबानी उन्हें भारी पड़ सकती है।  जिस आरडीए के तहत यह मॉल था, वहां के अफसर इसे बनाने-चलाने का ठेका लेने वाली कंपनी की एक महिला से सहमे हुए रहते थे। वह नागपुर से यहां आती थी, और अफसरों की बॉस बनकर उन पर हुक्म चलाती थी। उस वक्त इतने बड़े-बड़े नेताओं के नाम इस कंपनी से उपकृत होने वालों में गिने जाते थे, कि छोटे-छोटे अफसरों की इस महिला के सामने कोई औकात ही नहीं रह गई थी। यह अलग बात है कि अब उस कंपनी के किए हुए गलत कामों की जांच हो रही है, तो उस वक्त इससे कमाने-खाने वाले नेताओं की चर्चा भी नहीं हो रही। सरकारी संपत्ति के लूटपाट में सबकी दिलचस्पी रहती है क्योंकि सब जानते हैं कि कद्दू कटेगा, तो सबमें बंटेगा।

कुलसचिव का दर्द
छत्तीसगढ़ के इकलौते पत्रकारिता विवि में आरएसएस से जुड़े लोगों की बैकडोर एंट्री की खबर से राज्य सरकार के नुमाइंदों ने आंख दिखाई है। दरअसल, माजरा यह है कि विवि में पिछले दिनों अतिथि शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाले गए। इसके बाद दावा आपत्ति के लिए प्रतीक्षा सूची जारी की गई तो पूरा मामला खुला और यह बात मीडिया के लोगों तक पहुंची कि प्रतिक्षा सूची में शामिल कई नाम ऐसे हैं, जो या तो आरएसएस के लोग हैं या फिर विवि प्रशासन के चहेते हैं। मीडिया के जरिए यह बात सरकार तक पहुंची, तो राज्य सरकार और विवि के बीच समन्वय काम देख रहे युवा कार्यकर्ता विवि पहुंचे। उन्होंने बंद कमरे में विवि के कुलसचिव से लंबी चर्चा की।  वहां तो युवा समन्वयक कुलसचिव को जमकर खरी खोटी सुनाई कि कैसे यहां संघ पृष्ठभूमि के लोगों को एडजस्ट किया जा रहा है। इस पर कुलसचिव साहब की तो बोलती बंद होनी ही थी। 

खैर, खरी खोटी सुनने के बाद कुलसचिव ने मन हलका करने के लिए यह बात वहां के एक-दो कर्मचारियों और शिक्षकों को बताई कि कैसे समय बदलता है। ये वही युवा समन्वयक है जो घंटों उनके साथ बैठते उठते थे और सर, सर का संबोधन करते थे आज वही उनके साथ ऐसा कर रहे हैं। दरअसल, इस विवि के कुलपति इसी चक्कर में निपट गए कि उनके कार्यकाल में संघ से जुड़ी गतिविधियां विवि में होती थी और जब इस पर आपत्ति जताने छात्र कांग्रेसी पहुंचे तो उलटे उनकी पिटाई हो गई। अपने ही कार्यकर्ताओं की पिटाई से गुस्साई सरकार के नुमाइंदों ने कुलपति को रातों-रात निपटा दिया, लेकिन आश्चर्य इस बात की है कि कुलसचिव को तो इस सरकार के लोगों ने अपना आदमी समझकर बिठाया है, इसके बावजूद उनकी भाई साहब वाली आदत गई नहीं, तो सरकार को संभलना पड़ेगा। 

अब इस फटकार के बाद कुलसचिव कितना सबक लेते हैं, यह तो कहा नहीं जा सकता, लेकिन विवि के जानकारों का कहना है कि अगर उन्हें अपना ठाठ बाट की चिंता होगी, तो वे जरुर ऐसी गलती दोहराएंगे नहीं, क्योंकि कुलसचिव महोदय फिलहाल विवि के 6 बैडरूम के बंगले में रहते हैं। दो-दो कारें सहित चमन गुलजार रहे इसके लिए माली और खानसामा सहित दस से बारह नौकरों का सुख भोग रहे हैं।
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