राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बजाज के साथ आए ओमेन
16-Aug-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बजाज के साथ आए ओमेन

बजाज के साथ आए ओमेन
आखिरकार आईएफएस अफसर एसएस बजाज को निलंबित कर दिया गया। बजाज के निलंबन से प्रशासनिक महकमा सकते में है। उन पर नवा रायपुर के पौंता-चेरिया में नई राजधानी के शिलान्यास स्थल को आईआईएम को बेचने का आरोप है। बजाज की साख अच्छी रही है, ऐसे में कई पूर्व और वर्तमान अफसर उनके पक्ष में खड़े दिख रहे हैं। बजाज के साथ लंबे समय तक काम कर चुके पूर्व मुख्य सचिव और एनआरडीए के चेयरमैन पी जॉय ओमेन ने आईएएस अफसरों के एक वॉट्सऐप ग्रुप में अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है और इस पूरे प्रकरण पर अपना रूख साफ किया है। 

उन्होंने लिखा है-'मुझे यह सुनकर दुख हुआ कि एसएस बजाज को निलंबित कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ के मेरे कार्यकाल में वे मेरे देखे हुए सबसे अच्छे अफसरों में से एक रहे। वे शांत रहकर, लेकिन बहुत काबिल तरीके से नया रायपुर के सीईओ और टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग के संचाल के रूप में अपना योगदान देते रहे। आईआईएम रायपुर ने उस जगह की सुरक्षा और उसके रखरखाव पर सहमति दी थी जहां श्रीमती सोनिया गांधी ने शिलान्यास किया था। मेरा ख्याल है कि यह आईआईएम को जमीन आबंटन के समझौते में बहुत साफ-साफ दर्ज किया गया था कि शिलान्यास पत्थर की जगह को अलग से चिन्हित करके रखा जाएगा, और आईआईएम उसकी सुरक्षा करेगा। सच तो यह है कि आईआईएम को वह जगह आबंटित करने के पहले शिलान्यास स्थल की रक्षा करना बहुत मुश्किल था क्योंकि बहुत से लोग शिलान्यास को नुकसान पहुंचाने में लगे हुए थे।'

ओमेन से परे कई अफसर मानते हैं कि बजाज से कई बड़ी चूक हुई हैं। भले ही उनका इरादा किसी को फायदा पहुंचाने का नहीं था। इस प्रकरण से पहले कमल विहार परियोजना में भी सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को जमकर लताड़ लगाई थी, और डायरेक्टर टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग को कटघरे में खड़ा किया था। बजाज उस समय डायरेक्टर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग थे। बजाज के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने लिखा था कि उन्होंने आरडीए के सीईओ रहते हुए फाईलें भेजीं, और संचालक टाऊन प्लानिंग की हैसियत से उन्हें मंजूर किया। अब ऐसे दो पदों पर किसी एक अफसरों को रखने की यह गलती सरकार की थी, लेकिन उसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट की आलोचना बजाज को झेलनी पड़ी। अदालती फैसले के बाद उन्हें वहां से हटाकर व्यापमं भेज दिया गया। एनआरडीए से जुड़े लोग बता रहे हैं कि जमीन आबंटन में अनियमितता के कुछ और प्रकरण हैं जिसके कारण भी मौजूदा सरकार बजाज को बख्शने के मूड में नहीं थी। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेन्द्र साहू तो हर हाल में कार्रवाई चाह रहे थे। अब जब सोनिया गांधी के शिलान्यास स्थल को किसी दूसरे को देने का मामला आया तो मामला संवेदनशील हो गया और एक झटके में बजाज के निलंबन की अनुशंसा कर दी गई।  बजाज की सारी अच्छी साख के बीच भी यह बात उनके खिलाफ गई कि वे सरकार की मर्जी पर मना नहीं कर पाए।

राज्य शासन के जानकार लोगों का देखा हुआ है कि किस तरह पिछले लोकसभा चुनाव प्रचार के बीच भी एनआरडीए के प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर अफसरों को फाईलों के साथ बुलाकर कई-कई घंटे उनमें छानबीन करते रहे। अब उस मेहनत पर फैसले हो रहे हैं।

कुछ और अफसर...

एसएस बजाज तो निपट गए, लेकिन कुछ अफसर गंभीर आरोपों के बाद भी सरकार का कोपभाजन बनने से बच गए। इन्हीं में से एक नए-नवेले आईएएस राजेन्द्र कटारा भी हैं। उन्हें जशपुर जिला पंचायत सीईओ के पद से हटाकर रायगढ़ में अपर कलेक्टर बनाया गया। सुनते हैं कि पिछले दिनों कटारा ने अपनी बेटी का जन्मदिन मनाने के लिए जशपुर के सरकारी स्वीमिंग पूल को बंद कर दिया था। रांची से खानसामे बुलाकर स्वीमिंग पूल में जोरदार तरीके से पार्टी मनाई। जशपुर में तैराकी का प्रशिक्षण देने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर स्वीमिंग पूल बनाया गया है। बड़ी संख्या में तैराकी का प्रशिक्षण दिया जाता है। लेकिन, अफसर की बेटी की जन्मदिन पार्टी के कारण एक दिन स्वीमिंग पूल बंद रहा। इसको लेकर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी और शिकायत सरकार से भी की गई। मगर, थोड़ी बहुत नाराजगी के बाद कटारा को अभयदान दे दिया गया।
 
मुन्नीबाई का क्या हुआ?

प्रदेश में ही एक आईएफएस अफसर राजेश चंदेले का नाम भी बस्तर में सरकारी बंगले के अहाते में सरकारी खर्च से बनवाए गए स्वीमिंग पूल के लिए खबरों में रहा, लेकिन उसका क्या हुआ यह किसी को ठीक उसी तरह मालूम नहीं है जिस तरह बस्तर के भाजपा मंत्री केदार कश्यप की पत्नी की जगह पत्नी की बहन के इम्तिहान देने के मामले का। उस वक्त केदार की पत्नी की जगह मुन्नी बाई बनकर इम्तिहान देने वाली सरकारी कर्मचारी, पत्नी की बहन, लंबे समय तक गायब रहीं, और फिर मामले का कफन-दफन कर दिया गया था। सरकारों में होता यही है, जिस मामले को निकालना हो, उसके कंकाल कब्र से निकल आते हैं, और जिन्हें अनदेखा करना हो, वे मामला सहूलियत से दफन हो जाते हैं। 

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