राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जंगल-दफ्तर में नई टीम
27-Aug-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जंगल-दफ्तर में नई टीम

जंगल-दफ्तर में नई टीम
अरण्य भवन में नई टीम का गठन हुआ है। कांग्रेस सरकार बनने के बाद पहली बार एक साथ 58 आईएफएस अफसरों के तबादले किए गए। फेरबदल में कुछ को अच्छा काम भी मिल गया है। पिछले 8 महीने   से खाली बैठे एपीसीसीएफ संजय शुक्ला को लघु वनोपज सहकारी संघ में भेजा गया है। उन्हें संघ में अहम जिम्मेदारी दी गई है। वर्तमान में पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी के पास संघ के एमडी का अतिरिक्त प्रभार भी है।

 संजय शुक्ला पिछली सरकार में अहम पदों पर रहे हैं। लेकिन सरकार बदलते ही उन्हें हटाकर मूल विभाग में भेज दिया गया जहां उनके पास कोई काम नहीं था अब चूंकि सरकार लघु वनोपज से जुड़ी इकाईयां लगाने पर जोर दे रही है, ऐसे में संजय शुक्ला को खुद को साबित करने का बढिय़ा मौका भी है। पिछले एक-दो बरस में वे लगातार कई अप्रिय चर्चाओं से भी घिरे रहे, और अब उनसे भी उबरने का एक मौका उन्हें मिला है। उन्हें पिछली सरकार के सबसे ताकतवर अफसर अमन सिंह ने प्रमुख सचिव के पद पर पदोन्नत करके तमाम आईएएस और आईएफएस को एकमुश्त खफा कर दिया था, लेकिन अफसरों के वॉट्सऐप गु्रप में इसके खिलाफ लंबी-चौड़ी बहस तो चली, लेकिन अमन सिंह के खिलाफ कोई अफसर जाकर मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव से मिले नहीं।

इससे परे सुनील मिश्रा की पोस्टिंग की भी जमकर चर्चा है। सीसीएफ स्तर के अफसर सुनील मिश्रा को भू-प्रबंध का अहम दायित्व सौंपा गया है। खास बात यह है कि इससे पहले तक एपीसीसीएफ स्तर के अफसर को ही भू-प्रबंध का दायित्व सौंपा जाता रहा है। पहली बार सीसीएफ स्तर के अफसर को यह जिम्मेदारी दी गई है। फॉरेस्ट दफ्तर में भू-प्रबंध को असरदार माना जाता है। भू-प्रबंध की अहमियत का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछली सरकार में पीसीसीएफ के पद पर पदोन्नत होने के बाद भी काफी समय तक भू-प्रबंध का दायित्व मुदित कुमार सिंह के पास ही रहा है। सुनील मिश्रा को इस सरकार में प्रदूषण निवारण मंडल के सचिव पद से हटाया गया था क्योंकि वे बरसों अमन सिंह के साथ काम कर चुके थे। लेकिन वक्त के साथ अब सरकार की सोच बदली हुई दिखती है।

इसी तरह एसएसडी बडग़ैया को रायपुर का सीसीएफ बनाया गया है, जो कि काफी अहम जिम्मेदारी है। बडग़ैया को नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का करीबी माना जाता है, लेकिन वे इस सरकार में भी अपना रूतबा कायम रखने में सफल रहे। रायपुर आईजी आनंद छाबड़ा की पत्नी शालिनी रैना को प्रभारी सीसीएफ दुर्ग के पद पर पदस्थ किया गया है। वैसे भी रायपुर और दुर्ग के बीच ज्यादा दूरी नहीं है। 

दीवालिया कंपनी और नया रायपुर
आईएलएण्डएफएस कंपनी अब दिवालिया होने के कगार पर है। कंपनी से जुड़े घोटाले में महाराष्ट्र के नेता राज ठाकरे और कई अन्य फंसे हैं। इन नेताओं से ईडी पूछताछ कर रही है। आईएलएण्डएफएस  की सेवाएं नया रायपुर में भी ली गई थीं। इसको लेकर भारी विवाद भी हुआ। यह पूरा विवाद रमन सरकार के पहले कार्यकाल में हुआ था। बिना टेंडर के आईएलएण्डएफएस को काम देने के मामले की लोक आयोग में शिकायत हुई थी और विधानसभा में भी मामला उठा था। 

तब एनआरडीए बोर्ड के चेयरमैन पी जॉय ओमेन थे। सुनते हैं कि तत्कालीन आवास एवं पर्यावरण मंत्री गणेशराम भगत भी बिना किसी टेंडर या ऑफर के आईएलएण्डएफएस को काम देने के खिलाफ थे। विधानसभा में सवाल आया तो जवाब तैयार करने के लिए भगत ने अफसरों की बैठक ली। ब्रीफिंग में ओमेन इस बात पर अड़े रहे कि कहीं कोई गलती नहीं हुई है। आईएलएण्डएफएस में सरकार का शेयर होता है और इसमें आईएएस अफसर पदस्थ होते हैं। 

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि देश की विभिन्न राज्य सरकारों और अर्धशासकीय एजेंसियां आईएलएण्डएफएस से कसल्टेंसी सेवाएं ले रही है। यह सुनते ही गणेशराम भगत भड़क गए थे। उन्होंने पूछा था कि क्या ऐसा कोई नियम है कि जिस संस्थान में आईएएस अफसर पदस्थ हो, तो उसे बिना टेंडर के काम दिया जा सकता है? यह सुनकर ओमेन खामोश रह गए। बाद में प्रक्रिया पूरी बदली गई। फिर भी एनआरडीए में बड़े पैमाने पर सलाहकार नियुक्त किए गए, जिसकी मौजूदा सरकार जांच करा रही है। ([email protected])

 

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