राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अब बस करिए श्रीमंत
29-Aug-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अब बस करिए श्रीमंत

अब बस करिए श्रीमंत

सांसद सुनील सोनी लोकसभा में भले ही आखिरी बैंच पर बैठते हैं, लेकिन काम कराने के मामले में कई पुराने सांसदों से वजनदार प्रतीत हो रहे हैं। सांसदों का अपने संसदीय क्षेत्र के सेंट्रल स्कूलों में कोटा तय है। हर सांसद अपने कोटे से 10 विद्यार्थियों को सेंट्रल स्कूल में प्रवेश दिला सकते हैं। चूंकि सेंट्रल स्कूल में पढ़ाई अच्छी होती है और फीस भी बेहद कम है। ऐसे में यहां दाखिले के लिए भारी मारामारी रहती है। इस बार भी सांसद कोटे से दाखिले के लिए बड़ी संख्या में आवेदन आए थे। 

सुनील सोनी ने गरीब विद्यार्थियों को प्रवेश दिलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया और केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल से विशेष अनुमति लेकर 28 विद्यार्थियों को सेंट्रल स्कूल में दाखिला दिलाया। इससे पहले किसी भी सांसद ने इतनी संख्या में विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दिलाया था। सुनते हैं कि रमेश पोखरियाल भी पहली बार केन्द्रीय मंत्री बने हैं। उन्होंने सुनील सोनी के आवेदनों को मंजूरी देने में कंजूसी नहीं की, लेकिन जब पता चला कि सुनील सोनी पात्रता से दोगुने से अधिक विद्यार्थियों को प्रवेश दिला चुके हैं, तो वे खुद भी चकित रह गए। इसके बाद कुुछ और सिफारिश लेकर गए, तो पोखरियाल ने हाथ जोड़कर सुनील सोनी से कहा-श्रीमंत, बस अब हो चुका...

सक्रियता में कमी
भाजपा में सक्रिय सदस्य बनाने के लिए अभियान चल रहा है। प्रदेशभर में कुल 72 हजार सक्रिय सदस्य थे, जिनमें 20 फीसदी की बढ़ाने का लक्ष्य है। यह अभियान खत्म होने में दो दिन बाकी रह गए हैं, लेकिन दिक्कत यह है कि सक्रिय सदस्य बढ़ाने में काफी मुश्किल आ रही है। पार्टी के रणनीतिकार इस बात से ज्यादा चिंतित हैं कि अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग से सक्रिय सदस्य नहीं बन रहे हैं। यानी इस वर्ग के कार्यकर्ता सक्रिय सदस्य बनने में रूचि नहीं ले रहे हैं। कुछ नेताओं के बीच इसको लेकर चर्चा भी हुई है, जबकि लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा। पार्टी के कुछ लोगों का कहना है कि ऐसी ही स्थिति रही, तो आगामी चुनावों में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि लोकसभा के चुनाव तो राष्ट्रीय मुद्दों पर आधारित रहते हैं, स्थानीय चुनाव जीतने के लिए स्थानीय कार्यकर्ताओं का पार्टी के प्रति समर्पण जरूरी है, जिसमें फिलहाल कमी दिख रही है। 
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