राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : रमन के अफसर काम से लगे...
02-Sep-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : रमन के अफसर काम से लगे...

रमन के अफसर काम से लगे...

रमन सचिवालय में संविदा में काम कर रहे अफसर काम-धंधे में लग गए हैं। अमन सिंह पहले ही प्राइवेट कंपनी ज्वाइन कर चुके हैं। बाकी भी एक-एक कर लाइन में लग गए हैं। विक्रम सिसोदिया और ओपी गुप्ता अभी भी पूर्व सीएम के साथ हैं। गुप्ता पूर्व सीएम का पॉलिटिकल मैनेजमेंट देख रहे हैं और बिजनेस भी शुरू करने जा रहे हैं। सुनते हैं कि गुप्ता विधानसभा मार्ग पर एक भव्य विवाह भवन बना रहे हैं। शादी-ब्याह के सीजन में लोगों को उपयुक्त भवन की तलाश रहती है। ऐसे में गुप्ता का बिजनेस भी चल निकलने की उम्मीद है। 

इसी तरह रमन सचिवालय में सचिव के पद पर संविदा पर रहे एमके त्यागी भी वकालत के पेशे में उतर आए हैं। त्यागी ने बिलासपुर हाईकोर्ट  में वकालत भी शुरू कर दी है। भाप्रसे के अफसर त्यागी का काम बहुतों को नहीं सुहाता था, फिर भी वे रमन सिंह के उपयोगी माने जाते थे। उस वक्त यह भी चर्चा रहती थी कि जिस फाइल को नहीं करना हो, उसे त्यागी के पास भेज दो। त्यागी इतने नुक्स निकालेंगे कि उस फाइल को करना मुश्किल हो जाएगा। ऐसा माना जाता था कि त्यागी के ऊपर के कुछ अफसर उनकी इसी क्षमता का इस्तेमाल करने के लिए उन्हें सीएम हाऊस में बनाए रखते थे, और अपनी नापसंद फाईलों पर अडंग़े लगाने के लिए उन्हें इशारा कर देते थे।

संजीवनी और मुख्यमंत्री सहायता कोष की फाइलें भी रमन सिंह के दस्तखत के बाद भी कई बार अटक जाती थी। सरकार बदलते ही सबसे पहले त्यागी की ही संविदा अवधि खत्म कर उन्हें रवाना किया गया, जबकि उन्हें टीएस सिंहदेव से अपने संबंधों के चलते कार्यकाल पूरा होने का भरोसा था। एमके त्यागी रामानुजगंज में एसडीएम रह चुके हैं, तब से सिंहदेव से उनकी पुरानी जान-पहचान है। रमन के एक और ओएसडी अरूण बिसेन का पूर्व सीएम के यहां आना-जाना लगा रहता है। कंसोल आदि से वे अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे हैं। इस कंपनी को रमन सरकार में करोड़ों का काम मिला था, जिसकी जांच-पड़ताल चल रही है। बिसेन को लेकर यह चर्चा है कि उन्हें आगे कुछ करने की जरूरत भी नहीं है। 

रमन सिंह के मुख्य सचिव रहने के बाद विद्युत मंडल के अध्यक्ष बनाए गए शिवराज सिंह मुख्यमंत्री के औपचारिक सलाहकार के पद पर भी थे। उनका कामकाज किसी जांच की आंच में नहीं आया। वे दिल्ली में बसे हुए हैं और भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय के उनके तजुर्बे को जानने वाले लोग उनका परामर्श लेने उनसे संपर्क करते रहते हैं। फिलहाल वे साल में एक-दो महीने रायपुर में भी रह रहे हैं क्योंकि दिल्ली के कुछ महीने बड़े खराब मौसम के रहते हैं।

जीडीपी छत्तीसगढ़ में बना डीजीपी
अंगे्रजी के कुछ शब्दों का हिन्दी में बड़े धड़ल्ले से बेजा इस्तेमाल होता है। अभी देश की अर्थव्यवस्था को लेकर चारों तरफ सकल घरेलू उत्पाद के लिए ग्रास डोमेस्टिक प्रोडक्शन की चर्चा चल रही है। अर्थव्यवस्था को आंकने के लिए यह एक बड़ा पैमाना है जो दुनिया भर में लंबे समय से इस्तेमाल होता है। बोलचाल में इसे जीडीपी कहते हैं। 

अब छत्तीसगढ़ में डीजीपी रैंक के अफसर इतने अधिक खबरों में हैं कि यहां पर बोलचाल में जीडीपी की जगह डीजीपी कहने लगे हैं, और जानकार इसकी तरफ उनका ध्यान में नहीं दिलाते क्योंकि उन्हें मालूम है कि ऐसे लोगों पर खबरें छाई हुई हैं। 

लेकिन खबरों के असर का यह अकेला मामला नहीं है। इमरजेंसी में जब चारों तरफ बीस सूत्रीय कार्यक्रम सुर्खियों में रहता था, एक-एक दिन के अखबार में दस-दस बार ऐसी हैडिंग लगती थी, तब रेलगाड़ी से कटकर एक नौजवान मर गया। उसकी उम्र के मुताबिक हैडिंग बननी थी, और बनी- बीस सूत्रीय युवक रेलगाड़ी से कटकर मरा।

हिंदी में एक और अंगे्रजी शब्द का धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है, अंगे्रजी के पब्लिसिटी को आमतौर पर बहुत से लोग पब्लिकसिटी कह बैठते हैं, जो कि एक हिसाब से मतलब को बेहतर तरीके से समझाने वाला शब्द है। पब्लिसिटी का मकसद पब्लिक तब पहुंचना ही होता है। 

कई लोग अंगे्रजी शब्दों के बहुवचन का भी बहुवचन बना देते हैं, और लेडीज की जगह लेडिजों कहने लगते हैं। 
एक वक्त रायपुर शहर के मेयर रह चुके तरूण चटर्जी गुजर चुके हैं, लेकिन उनके दो अंगे्रजी शब्द लोगों को याद हैं। उनके मेयर रहते जो लोग उनका विरोध करते थे, उनके लिए वे प्रोटेस्ट बोलते-बोलते प्रोस्टेट बोल जाते थे। इसी तरह वे शराब दुकानों के बाहर उस वक्त लगने वाले ठंडी बीयर के बोर्ड पर अंगे्रजी में चिल्ड बीयर को चाईल्ड बीयर पढ़ बैठते थे। फिर पता नहीं कि वे गलती से ऐसा करते थे या मजाक में।

अश्लील धार्मिक शोर...
गणेशोत्सव पर हर बरस यह दिक्कत आती है कि प्रतिमाओं को स्थापना के लिए लेकर जाते हुए, और दस दिन बाद उन्हें विसर्जन के लिए ले जाते हुए नौजवानों और लड़कों की अराजक भीड़ जिस तरह से सड़कों पर उपद्रव करती है, और अश्लील गाने बजाती है, वैसा किसी और त्योहार में सामने नहीं आता। अभी रायपुर में कान फोड़ देने वाले स्पीकरों पर गाने बज रहे थे, नायक नहीं खलनायक है तू..., और ...चोली के पीछे क्या है। 

धर्म के नाम पर डंडे-झंडे लेकर खड़े हो जाने वाले लोगों को भी न तो दिल दहलाने वाले ऐसे शोरगुल से कोई दिक्कत है, और न ही ऐसे गानों से जिनके अर्थ अश्लील ही रहते हैं। यह सिलसिला गणेशजी के आने-जाने के अलावा सजावट वाले पंडाल से भी ऐसा ही शोर उंडेला जाएगा। ([email protected]

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