राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अपने-अपने सहारे...
23-Sep-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अपने-अपने सहारे...

अपने-अपने सहारे...
जाति प्रमाणपत्र फर्जी करार देने के बाद जोगी पिता-पुत्र भूपेश  सरकार से बेहद खफा हैं। अमित जेल में हैं, इसलिए वे कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं। लेकिन अजीत जोगी ने दंतेवाड़ा उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत लगाई है। वे आखिरी के चार दिन दंतेवाड़ा और आसपास के इलाकों में सभा लेकर अपने प्रत्याशी को जिताने की अपील करते रहे। सुनते हैं कि उन्होंने उन स्थानों पर ज्यादा प्रचार किया, जहां कांग्रेस की स्थिति मजबूत मानी जाती रही है। मसलन, पालनार इलाके में ईसाई मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है और ये कांग्रेस के परंपरागत वोटर माने जाते हैं। यहां अजीत जोगी ने काफी समय बिताया। जोगी की मेहनत से भाजपा को कितना फायदा मिल पाता है, यह चुनाव नतीजे के बाद ही पता चल पाएगा। हालांकि भाजपा पिछले 15 बरसों की तरह इस बार भी जोगी से मदद मिलने की उम्मीद में है चाहे वह जोगी के कांगे्रस में रहते हुए घोषित या अघोषित मदद रही हो, या फिर अंतागढ़ नाम की मदद रही हो। अब सारी पार्टियां स्टिंग ऑपरेशनों को लेकर इतनी चौकन्नी हो गई हैं कि दंतेवाड़ा में दूसरा अंतागढ़ होने के आसार नहीं दिख रहे हैं, लेकिन इतना जरूर है कि भाजपा को जोगी का सहारा, और कांगे्रस को मंतूराम पवार का।

संजय की उम्मीद और अड़चन
आरडीए के पूर्व अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव राजधानी रायपुर के महापौर टिकट के प्रमुख दावेदार हैं। वे पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के करीबी माने जाते हैं और सौदान सिंह का वरदस्त तो है ही, मगर उन्हें टिकट मिलना आसान भी नहीं है। वजह यह है कि पंडरी में आरडीए की एक जमीन बेचने के मामले में उन पर आंच आ सकती है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि जमीन बेचने से पहले आरडीए अध्यक्ष की हैसियत से उन्होंने कानूनी सलाह ली थी। लेकिन जानकार मानते हैं कि यह उनके लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। वैसे भी सरकार इससे जुड़ी फाइलें खंगाल रही है। कार्रवाई में दिक्कत यह है कि जिसने जमीन खरीदी है, वह कांग्रेस के एक पूर्व विधायक का बेटा है। इस पूरे प्रकरण पर कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के लोग संजय के लिए दिक्कत खड़ी कर सकते हैं। कांगे्रस के इस पूर्व विधायक ने इस मामले में जाकर आरडीए के विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर से भी मुलाकात की और अनुरोध किया कि इस मामले को निपटा दिया जाए, लेकिन डेढ-दो सौ करोड़ दाम की इस जमीन की कानूनी दिक्कत को निपटाना बिना बड़ी बदनामी के होना नहीं था, इसलिए अकबर ने हाथ जोड़ लिए।

संजय को लेकर नाराजगी यह है कि पिछले कई चुनावों में वे रायपुर उत्तर से टिकट के मजबूत दावेदार रहे हैं। इसके अलावा लोकसभा चुनाव में भी टिकट मांगी थी। टिकट नहीं मिलने पर वे पलायन कर गए। यानी वे राजनांदगांव और कवर्धा में चुनाव प्रचार के लिए निकल जाते रहे है। अब सारे विरोधी उनके लिए अभी से लामबंद हो रहे हैं। 
([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news