राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मुख्यधारा में वापिसी
02-Nov-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मुख्यधारा में वापिसी

मुख्यधारा में वापिसी

आखिरकार अजय सिंह मुख्य धारा में लौट आए। सरकार ने उन्हें चीफ सेक्रेटरी के पद से हटाकर राजस्व मंडल भेज दिया था। सीएम भूपेश बघेल उनकी कार्यशैली से नाखुश थे। बघेल से पहले रमन सिंह भी अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में नियामक आयोग अध्यक्ष  पद पर नियुक्ति में देरी को लेकर अजय सिंह से नाराज थे। खैर, अजय सिंह ने सीएस पद से हटाने के फैसले को चुपचाप स्वीकार कर लिया और नई जिम्मेदारी संभाल ली। मगर सुनील कुजूर के रिटायरमेंट के चलते नए सीएस के नामों पर चर्चा चली, तो अजय सिंह रेस में आ गए थे। 

चूंकि उनका रिटायरमेंट सिर्फ चार महीने रह गया था, इसलिए आरपी मंडल को सीएस की जिम्मेदारी दी गई, ताकि मंडल को काम करने का पूरा अवसर मिल सके। अजय सिंह ठहरे, खालिस छत्तीसगढिय़ा। सरकार ने उन्हें निराश नहीं किया और अहम जिम्मेदारी देने का फैसला लिया। अजय सिंह को राज्य योजना आयोग का उपाध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया है। अजय सिंह रिटायरमेंट के बाद भी इसी पद पर रहेंगे। उनसे पहले योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद पर सीएस रह चुके शिवराज सिंह और सुनील कुमार भी काम कर चुके हैं। कुल मिलाकर अजय सिंह की ससम्मान वापसी हुई है। 

बिगड़ा करियर पटरी पर
पूर्व सीएस अजय सिंह की तरह डॉ. आलोक शुक्ला की भी प्रशासनिक महकमे में ससम्मान वापसी हुई है। आईएएस के 86 बैच के अफसर डॉ. शुक्ला नान घोटाले में फंसे रहे और कुछ दिन पहले ही उनकी अग्रिम जमानत हुई है। पिछली सरकार ने चार साल तक उनके खिलाफ जांच को लटकाए रखा। इन सबके चलते उनका पूरा कैरियर तकरीबन तबाह हो गया। वे अभी तक प्रमुख सचिव हैं जबकि वरिष्ठता क्रम में उनसे जूनियर उन्हीं के बैच के अफसर सुनील कुजूर सीएस बनकर रिटायर हुए।

आलोक शुक्ला को कभी पूरे छत्तीसगढ़ कैडर का एक सबसे होशियार अफसर माना जाता रहा है। कम से कम उनके साथ काम कर चुके राज्य के दो पूर्व सीएस तो ऐसा ही मानते हैं। शुक्ला ने अपनी योग्यता साबित भी की। छत्तीसगढ़ की पीडीएस व्यवस्था को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का श्रेय उन्हें ही जाता है। इसके लिए उन्हें प्रधानमंत्री अवार्ड से नवाजा जा चुका है। जोगी सरकार में स्वास्थ्य सचिव के रुप में उनके कामकाज की सराहना हुई थी। 

चुनाव आयोग में भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। अब भूपेश सरकार ने उनके पिछले रिकॉर्ड और उनके खिलाफ चल रहे मामले की समीक्षा करने के बाद उनकी मंत्रालय में वापसी का फैसला लिया। उन्हें प्लानिंग के साथ-साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रमुख सचिव के अलावा छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के डीजी का भी अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। 

आलोक शुक्ला के रिटायरमेंट में 8 महीने बाकी है। सुनते हैं कि वे खुद कोई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते थे। वे अपना कैरियर चौपट मानकर चल रहे थे और सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी आना-जाना छोड़ दिया था, मगर सीएम की समझाइश के बाद उन्होंने नई जिम्मेदारी स्वीकार कर ली। जो लोग उन्हें नजदीक से जानते हैं उनका मानना है कि आलोक शुक्ला कम समय में भी बहुत कुछ करने की क्षमता रखते हैं। 

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