राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भाजपा का घर बेकाबू...
05-Nov-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भाजपा का घर बेकाबू...

भाजपा का घर बेकाबू...
सत्ता हाथ से निकलने के बाद भाजपा कार्यकर्ता स्वच्छंद हो गए हैं। वे मनमानी पर उतारू हैं। कम से कम संगठन चुनाव को देखकर ऐसा ही लग रहा है। हाल यह है कि प्रदेश के चुनाव अधिकारी रामप्रताप सिंह भी ज्यादा कुछ कर पाने की हालत में नहीं दिख रहे हैं। 

सुनते हैं कि तिल्दा मंडल के चुनाव में गड़बड़ी की शिकायत पर तो रामप्रताप ने मंडल के चुनाव अधिकारी को चुनाव स्थगित करने के लिए कह दिया था। चुनाव अधिकारी हृदय राम साहू ने बैठक लेकर चुनाव स्थगित करने की सूचना दी और बाहर जाने लगे तभी उन्हें पार्टी के प्रमुख नेता का फोन आया। चूंकि नेताजी पार्टी का कोष संभालते हैं ऐसे में उनकी अनदेखी करना चुनाव अधिकारी के मुश्किल हो गया। उन्होंने तुरंत फिर बैठक बुलाई और रामप्रताप सिंह के आदेश को नजर अंदाज कर नेताजी के कहे अनुसार अध्यक्ष का चुनाव करा दिया। साथ ही नेताजी की पसंद का अध्यक्ष घोषित कर दिया। 

बालोद में तो जिले के चुनाव अधिकारी अपने रिश्तेदार को अध्यक्ष बनाने की कोशिश में जुट गए, जिसको लेकर मारपीट तक की नौबत आ गई। रायपुर के तेलीबांधा मंडल चुनाव का हाल यह रहा कि जिसे अध्यक्ष बनाना पहले से तय था उससे बैठक की सारी व्यवस्था करा ली गई, यानी खाने पीने और अन्य सभी खर्चें अध्यक्ष के दावेदार के मत्थे डाल दिया गया, लेकिन चुनाव की बारी आई, तो किसी और को चुन लिया गया। भिलाई में तो सरोज पाण्डेय के सारे विरोधी नेता एकजुट हो गए और खुलकर लड़ाई के मूड में आ गए। चूंकि सत्ता नहीं है, तो कार्यकर्ता किसी तरह अनुशासन की कार्रवाई की परवाह नहीं कर रहे हैं और पार्टी के रणनीतिकारों का हाल यह है कि मनमानी कर रहे नेताओं-कार्यकताओं  पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं।

दो डीआईजी के मायने...

बस्तर भेजे गए पुलिस महकमे के दो अफसर सुंदरराज पी. और डॉ. संजीव शुक्ला की पोस्टिंग के खास मायने निकाले जा रहे हैं। पीएचक्यू में दोनों अफसरों की कार्यशैली से ज्यादा नक्सल मामलों में गहरी समझ भी पदस्थापना के पीछे एक बड़ी वजह है। आईपीएस बिरादरी में सुंदरराज और संजीव को एक तरह से बस्तर को दो हिस्सों में बांटकर ही सरकार ने भेजा है। सुंदरराज का बस्तर रेंज से प्रशासनिक नाता रहा है। बस्तर और नारायणपुर एसपी रहने के साथ ही वह डीआईजी तथा दो साल पहले प्रभारी आईजी के तौर पर ही काम कर चुके हैं। विभाग के मुखिया डीजी डीएम अवस्थी से उनकी गहरी छनती भी है। यह भी संयोग है कि सुंदरराज दोबारा प्रभारी आईजी बनने वाले इकलौते अफसर हैं। 

सुनते हैं कि दक्षिण बस्तर के नक्सल उपद्रव से निपटने के लिए सुंदरराज पर ही भरोसा किया गया। जबकि उत्तर बस्तर के कांकेर, नारायणपुर और कोंडागांव के लिए संजीव महकमे की निगाह में फिट हुए। कहा जा रहा है कि संजीव शुक्ला की पोस्टिंग दूरगामी रणनीति के तहत भी हुई है। अगले दो साल के भीतर वह आईजी प्रमोट होंगे। डीआईजी रहते आईजी बनने के लिए ट्रेनिंग के तौर पर उन्हें पदस्थ किया गया। बस्तर जैसे संवदेनशील इलाके में दोनों अफसर के कामकाज से महकमे को फायदे ही दिख रहे हैं। संजीव ने राजनांदगांव एसपी रहते उफनती नक्सल समस्या को लगभग काबू किया था। दोनों अफसर सरकार की नजरों पर खरा उतरेंगे, ऐसा पुलिस के रणनीतिकारों का मानना है। संजीव शुक्ला की दिक्कत यह है कि वे डीजीपी डीएम अवस्थी के बहनोई हैं, इसलिए अपनी सारी काबिलीयत और ईमानदारी के बावजूद उनकी किसी नियुक्ति पर इस रिश्तेदारी की छाप लगाने में लोग चूकते नहीं हैं। लेकिन अब जब नक्सल मोर्चे पर यह तैनाती हुई है तो लोगों के मुंह बंद हो जाने चाहिए। ([email protected])

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