राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बजाज के शुभचिंतक...
16-Nov-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बजाज के शुभचिंतक...

बजाज के शुभचिंतक...

जमीन आबंटन प्रकरण में अनियमितता के आरोप में निलंबित आईएफएस अफसर श्याम सुंदर बजाज की अब तक बहाली नहीं हो पाई है। सरकार ने उन्हें आरोप पत्र थमा दिया गया है, जिसका उन्होंने जवाब भी दे दिया है। बजाज ने अपनी बहाली के लिए केंद्र सरकार के समक्ष अपील भी की है। बजाज को नया रायपुर बसाने का श्रेय दिया जाता है। वे रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से ही पढ़े हैं। ऐसे में प्रशासन-राजनीति में तैनात इसी इंजीनियरिंग कॉलेज के कई पूर्व छात्र उनकी बहाली के लिए प्रयास भी कर रहे हैं।

सुनते हैं कि बजाज के ही सहपाठी रहे इंजीनियरिंग कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी, जो कि कांग्रेस के प्रमुख रणनीतिकार भी हैं, उनके मार्फत सरकार की नाराजगी कम करने की कोशिश भी की गई। शैलेष ने बजाज की बहाली के लिए सीएम भूपेश बघेल से चर्चा भी की, लेकिन सीएम ने उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया। इन सबके बावजूद कई और अफसर उनकी बहाली के लिए कोशिश कर रहे हैं। मुख्य सचिव आरपी मंडल और पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी, दोनों ही रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के पूर्व छात्र हैं और उनकी बजाज के प्रति सद्भावना भी है। उन पर कई और पूर्व छात्रों का बजाज की बहाली के लिए पहल करने का दबाव भी है, लेकिन वे चाहकर भी ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे हैं।

बजाज की साख पूरी सरकार में बहुत अच्छी है। लोगों का यह मानना है कि नया रायपुर और टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग का काम देखते हुए उनकी जगह दूसरे बहुत से अफसर ‘आसमान’ पर पहुंच चुके रहते, और बजाज जमीन के जमीन पर हैं। वे छत्तीसगढ़ के ही रहने वाले हैं, व्यवहार से लेकर ईमानदारी और काबिलीयत की साख के मामले में वे बेमिसाल सरीखे हैं।

म्युनिसिपलों के सामने चुनौती

छत्तीसगढ़ के नए मुख्य सचिव आर.पी. मंडल ने स्कूटर से राजधानी की गंदगी देखकर पूरे प्रदेश के म्युनिसिपल अफसरों के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है, और परेशानी भी। अभी पिछले कई हफ्तों से राजधानी के म्युनिसिपल अफसरों को नियमों को तोडक़र महंगे किराये की कारें देने की खबरें छप ही रही थीं, अब तो कायदे से होना यह चाहिए कि म्युनिसिपल स्कूटर ही खरीदकर अफसरों को दे दे कि इसी पर घूमें क्योंकि ये तंग गलियों तक जा सकती हैं, और तंग हो चुकी चौड़ी सड़क़ों पर भी इस पर घूमने में आसानी रहेगी।

अब कुछ पुराने लोगों को यह याद है कि रायपुर के एक पुराने म्युनिसिपल प्रशासक ओ.पी.दुबे की याद है जो पैदल ही पूरे शहर का दौरा करते थे, और सफाई से लेकर बाकी तमाम चीजों को देख लेते थे। अब एक प्रशासक या कमिश्नर की जगह शहर में आधा दर्जन जोन बन गए, जोन कमिश्नर बन गए, एक कार की जगह म्युनिसिपल में दर्जनों कारें आ गईं, और शहर चौपट हो गया। जैसे-जैसे अफसरों की कारों का आकार बढऩे लगा, निर्वाचित प्रतिनिधियों की कारें बड़ी होने लगीं, उनका काम छोटा होने लगा। अब अपने ठाठ-बाट से परे शहर की फिक्र कम ही लोगों को, कम ही है, और ऐसे में मुख्य सचिव का ऐसा चौंकाने वाला काम म्युनिसिपल के अफसरों को ताकत के अपने गुरूर से बाहर ला सके, तो शहर साफ भी हो सकते हैं।

सामंती नामकरण

कल ही खबर आई है कि रायपुर म्युनिसिपल मुख्यालय का नाम व्हाईट हाऊस से बदलकर गांधी के नाम पर रखा जाएगा ताकि सेवा की सोच लौट सके। इस राजधानी में लोगों को अपनी सत्ता के महिमामंडन के लिए ऐसे सामंती नाम रखने का बड़ा शौक है। अमरीका के राष्ट्रपति के घर-दफ्तर का नाम व्हाईट हाऊस है, और उसी के नाम पर रायपुर म्युनिसिपल मुख्यालय का नाम रखा गया। और तो और इमारत को महलों की तरह डिजाइन किया गया। महलों जैसी इमारत में बैठकर सेवा की सोच होना तो वैसे भी मुमकिन नहीं है। राजभवन को देखें तो वहां सभागृह बनाया गया, तो उसका नाम दरबार हॉल रखा गया। इक्कीसवीं सदी में दरबार का क्या काम? दरअसल अंग्रेजों के वक्त बनाए गए भारत के राष्ट्रपति भवन में सभागृह का नाम दरबार हॉल रखा गया था, और अब इक्कीसवीं सदी में बने छत्तीसगढ़ राजभवन के सभागृह का वही नाम रखना सामंती सोच से परे कुछ नहीं है। और तो और अब नया रायपुर में जो सरकारी इमारतें बन रही हैं, उनमें भी किसी एक सभागृह का नाम दरबार हॉल रखा जा रहा है। जिस प्रदेश की आधी आबादी गरीबी की रेखा के नीचे हो, वहां की सरकार अपने जलसों के लिए अंग्रेजों की छोड़ी विरासत को ढोकर दरबार हॉल बनाए, यह हैरान करने वाली तकलीफदेह बात है। नया रायपुर में अंग्रेजी-अमरीकी नामकरण के तर्ज पर कैपिटॉल कॉम्पलेक्स बनाया गया। अमरीका में संसद की इमारत के इलाके को कैपिटॉल हिल कहा जाता है, और उसी की नकल करते हुए नया रायपुर में ऐसा नाम रखा गया। सत्ता की लगाम थामे हाथों को अपने आपको महिमामंडित करना सुहाता है, इसलिए सामंती नकल करने में कोई हिचक भी नहीं होती।

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