राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अब ट्रांसफर से दूर, बहुत दूर...
05-Dec-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अब ट्रांसफर से दूर, बहुत दूर...

अब ट्रांसफर से दूर, बहुत दूर...

छत्तीसगढ़ की राज्य सेवा से आगे पढ़कर आईएएस तक पहुंचने वाले चन्द्रकांत उइके का कल एक बीमारी के चलते निधन हो गया। वे राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे, और इसलिए उनका अलग-अलग विभागों में तबादला होते रहता था। लेकिन जहां बाकी अफसरों का तबादला दो-तीन बरस में एक बार होता है, चन्द्रकांत का तबादला औसतन हर बरस होता था। वे बहुत हॅंसमुख थे, खुशमिजाज थे, और तबादलों का बुरा भी नहीं मानते थे। जनसंपर्क विभाग में तैनाती के बाद वे जब इस अखबार के दफ्तर में मिलने आए तो गर्मजोशी के साथ उन्होंने खुद ही मजा लेते हुए बताया कि वे अधिक समय इस कुर्सी पर नहीं रहेंगे, क्योंकि वे अधिक समय तक किसी भी कुर्सी पर नहीं रहे। न उन्होंने खुद होकर कहीं जाने की कोशिश की, न खुद होकर कहीं से जाने की कोशिश की, लेकिन अलग-अलग कई सरकारों ने उनको 21 बरस की नौकरी में 20 बार इधर-उधर किया। उनका हाल देखकर हरियाणा के एक आईएएस, अशोक खेमका की याद आती है कि चाहे जिस पार्टी की सरकार रही हो, औसतन हर बरस उनका एक बार तबादला हो ही गया। 

चन्द्रकांत उइके ने बताया था कि एक बार उनकी पोस्टिंग लोक आयोग में हो गई, और जब वे वहां पहुंचे, तो लोकायुक्त ने उन्हें देखते ही नापसंद कर दिया, और कहा कि वे अपना तबादला कहीं और करवा लें। लोकायुक्त ने इस अफसर से बात करते हुए कुर्सी पर बैठने भी नहीं कहा, और इस तरह चन्द्रकांत उइके इस दफ्तर से कुर्सी पर एक बार बैठे बिना ही निकल आए, और उनका दूसरी जगह तबादला हो गया। लेकिन उन्होंने आदतन इसका बुरा नहीं माना, और अगली पोस्ट पर फिर साल भर के लिए चले गए। अब यह हॅंसमुख अफसर राज्य सरकार की पहुंच से दूर ट्रांसफर पर चले गया है, और अब उसे सरकार कहीं नहीं भेज सकेगी। 

नड्डा के नाम पर भी टिकट नहीं...
सुनील सोनी के सांसद बनने के बाद शहर जिला भाजपा की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को सुनील सोनी से काफी बल मिला है। इसका नमूना रायपुर नगर निगम के वार्ड पार्षदों के प्रत्याशी चयन में देखने को मिला। रायपुर के वार्ड पार्षदों के प्रत्याशी चयन में बृजमोहन का दबदबा रहा। आधे से अधिक वार्डों में सुनील सोनी और बृजमोहन की पसंद के प्रत्याशी तय किए गए। 

सुनते हैं कि महानंद नाम के एक वार्ड टिकट के दावेदार के लिए पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा के ऑफिस से सिफारिश आई थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिली। प्रत्याशी चयन में शहर जिला अध्यक्ष राजीव अग्रवाल भी अपना दमखम दिखाने में कामयाब रहे। भाजपा टिकट के दावेदार सिंधी नेताओं को श्रीचंद सुंदरानी से काफी उम्मीदें थी। सुंदरानी की सलाह पर समाज के एक प्रतिनिधि मंडल ने पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह से भी मुलाकात की थी, लेकिन प्रतिनिधि मंडल के एक भी दावेदार को टिकट नहीं मिल पाई है। 66 वार्डों की सूची में एकमात्र सचिन मेघानी को ही टिकट मिली, उनके नाम की सिफारिश सुंदरानी के बजाए बृजमोहन अग्रवाल ने की थी। 

श्रीचंद सुंदरानी के विरोधियों का मानना है कि खुद सुंदरानी ने सिंधी समाज के दावेदारों को टिकट दिलाने में रूचि नहीं ली। वे नहीं चाहते कि भाजपा में किसी और सिंधी नेता का कद बढ़े। ताकि उनका दबदबा कायम रहे। चेम्बर ऑफ कामर्स के उपाध्यक्ष भरत बजाज ने सोशल मीडिया में पहले ही ऐलान कर दिया था कि प्रतिनिधि मंडल में गए किसी भी नेता को टिकट नहीं मिलेगी। बजाज की भविष्यवाणी सही साबित हुई और समाज के नेता श्रीचंद को कोस रहे हैं। 

एक न्यौता ऐसा भी
शादियों पर होने वाले अंधाधुंध खर्च के साथ-साथ अब रायपुर जैसे शहर में सड़कों पर मेहमानों की गाडिय़ां ऐसे ट्रैफिक जाम कर रही हैं कि पुलिस और प्रशासन महज चेतावनी देते रह जाते हैं, और शादियों के महूरत पर लगता है कि मैरिज गार्डन वाले ही इस शहर के माई-बाप हैं। अभी एक शादी में जब एक मेहमान परिवार बाहर निकला तो पाया कि उनकी गाड़ी सड़क किनारे चारों तरफ गाडिय़ों के बीच फंसी हुई है। काफी देर तक इंतजार के बाद भी जब रास्ता नहीं खुला, तो उन्होंने फोन करके टैक्सी बुलवाई, और उसमें एक दूसरी शादी में चले गए। वहां से निपटाकर निकले तो फिर टैक्सी बुलवाई और पहली शादी में आए कि अपनी गाड़ी ले जाएं। लेकिन तब तक भी रास्ता नहीं खुला था, तो गाड़ी वहीं छोड़कर टैक्सी से ही घर चले गए, और अगली सुबह ड्राइवर भेजकर गाड़ी बुलवाई। 

जो विवाह स्थल दस-दस, बीस-बीस लाख रूपए वसूलते हैं, उन पर पुलिस और प्रशासन का कोई काबू नहीं है। शादियों के मौसम के पहले हर बार बैठक ली जाती है, चेतावनी दी जाती है, और फिर हर बार की तरह मौके पर भैंस पानी में चली जाती है। ऐसी फिजूलखर्ची और ऐसी दिक्कतों के बीच अभी एक किसी परिवार का शादी का कार्ड वॉट्सऐप पर मिला जिसमें पिछले हफ्ते हुई शादी का अलग किस्म का न्यौता था। परिवार ने लिखा कि उनके बेटे ने यह सोच-समझकर तय किया कि वह रजिस्टर्ड पद्धति से शादी करना चाहता है, और शादी पर मां-बाप का पसीने का पैसा फिजूल खर्च करना नहीं चाहता है। शादी में आने वाले रिश्तेदार दस मिनट के समारोह के लिए तीन-तीन दिन का सफर, समय, और पैसा खर्चते हैं जिसकी जरूरत नहीं है। इसलिए आपसे अनुरोध है कि 28 नवंबर 2019 को शुभ समय पर हम घर पर ही चंद लोगों की मौजूदगी में रजिस्टर्ड विवाह करने जा रहे हैं, आप जहां भी हों वहीं से हमें आशीर्वाद दीजिए, हमारी भावनाओं का सम्मान कीजिए। 

एकतरफा मोहब्बत में सावधान...
इन दिनों मोबाइल फोन पर तरह-तरह के मैसेंजर की मेहरबानी से लोग एक-दूसरे से बड़ी अंतरंग बातचीत भी करने लगते हैं। लेकिन वे भूल जाते हैं कि ऐसे सारे संदेश किसी ऐसे के फोन पर दर्ज होते रहें जो कि उनसे नाखुश हो, तो उनका भांडाफोड़ भी किया जा सकता है। मैसेंजर पर परेशान करने वाले कुछ लोगों के  लिए आए दिन कोई न कोई महिला फेसबुक पर यह लिखते दिखती है कि वह जल्द ही कुछ लोगों के संदेशों के स्क्रीनशॉट उजागर करेगी। ऐसा ही एक स्क्रीनशॉट अभी सामने आया है जो एक समर्पित एकतरफा आशिक का दिख रहा है। इसलिए किसी को अंतरंग संदेश भेजते हुए लोग सावधान रहें कि वे किसी पर बोझ तो नहीं हैं, वरना किसी भी दिन सरेआम कपड़े उतर जाएंगे। ([email protected])

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