राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अपने बारे में पता न हो तो...
08-Dec-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अपने बारे में पता न हो तो...

अपने बारे में पता न हो तो...
नगरीय निकायों में चुनावी माहौल गरमा रहा है। रायपुर नगर निगम की बात करें, तो यहां कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेता, बागियों की मान मनौव्वल में जुटे हैं। वार्ड के इस चुनाव में गड़े मुद्दे उठाकर प्रतिद्वंदी को पीछे ढकेलने की कोशिश खूब होती है। एक वार्ड में तो महिला प्रत्याशी को सिर्फ इसलिए नुकसान उठाना पड़ सकता है कि उनके पति ने जमीन संबंधी विवाद पर एक सरकारी कर्मचारी की पिटाई कर दी थी। दो साल पुराना प्रकरण स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।  

ऐसे ही एक पुराने प्रकरण को लेकर एक वार्ड के पार्षद प्रत्याशी को चुनाव में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पार्षद प्रत्याशी तीन-चार साल पहले भिलाई-3 के एक होटल में रंगरेलियां मनाते पकड़े गए थे। उस समय भिलाई के अखबारों में खबरें भी छपी थी। अब विरोधी पुरानी कतरनें निकालकर पार्षद प्रत्याशी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। एक अन्य वार्ड में तो महापौर पद के दावेदार को अपने रसिक मिजाज भाई की वजह से नुकसान उठाना पड़ सकता है। कहावत है यदि आपको अपने बारे में कुछ नहीं पता, तो चुनाव लड़ लीजिए। विरोधी सारी जानकारी सामने ले आएंगे। जितना छोटा चुनाव होता है, उतनी ही बड़ी चुनौती भी होती है, लोगों को याद है कि राजधानी में अजीत माने जाने वाले बेताज बादशाह तरूण चटर्जी अपने वार्ड का चुनाव हार गए थे, और उसके साथ-साथ शहर में उन पर भरोसा रखने वाले दर्जनों लोग मोटी-मोटी शर्त भी हार गए थे।

पुलिस में फेरबदल बाकी
नए साल में आईपीएस अफसरों के प्रभार बदले जा सकते हैं। बिलासपुर आईजी प्रदीप गुप्ता प्रमोट होकर एडीजी बनेंगे। इसके अलावा सरगुजा आईजी केसी अग्रवाल 31 दिसंबर को रिटायर होंगे। ऐसे में बिलासपुर और सरगुजा आईजी के  पद पर नई पदस्थापना संभव है। सुनते हैं कि बस्तर की तरह बिलासपुर और सरगुजा आईजी का प्रभार डीआईजी स्तर के अफसर को दिया जा सकता है। 

प्रभारी आईजी पद के लिए जिन नामों की चर्चा है उनमें रतन लाल डांगी, डीआर मनहर, संजीव शुक्ला और आरपी साय शामिल हैं। वैसे तो 97 बैच के अफसर दीपांशु काबरा के पास पिछले दस-ग्यारह महीनों से कोई काम नहीं है। वे रायपुर, बिलासपुर आईजी रह चुके हैं, फिर भी पता नहीं क्यों, अब तक सरकार की नजरें उन पर इनायत नहीं हुई है। वे निलंबित एडीजी मुकेश गुप्ता के करीबी माने जाते हैं, शायद यही वजह हो सकती है कि उन्हें कोई काम नहीं दिया जा रहा है। बीच में ऐसी चर्चा थी कि उन्हें दुर्ग का आईजी फिर से बनाया जाएगा, लेकिन सरकार के भीतर कुछ लोगों ने इसे रोक दिया। फिलहाल एसआरपी कल्लूरी भी बिना किसी काम के हैं।

बुरे कामों और बद्दुआ का असर
राज्य के नगरीय प्रशासन विभाग के सामने एक दिलचस्प मामला आया है जिसमें दुर्ग म्युनिसिपल के एक अफसर की बर्खास्तगी की तैयारी चल रही है। इस अफसर के खिलाफ भ्रष्टाचार के दो मामले थे, जिनमें से एक में उसे अदालत से सजा हो गई, और दूसरे मामले में अदालत से स्थगन मिल गया। 

सरकारी रिकॉर्ड में इसमें से एक मामला दिखाकर और दूसरा मामला छुपाकर वह अब तक नौकरी में बना हुआ है। अब दोनों मामलों के कागज एक साथ सामने आए, तो नौकरी खतरे में पड़ी। छोटे-छोटे गरीब कर्मचारियों से रिश्वत लेने की बद्दुआ कभी तो असर करती ही है। 

इंसान और मशीन की बुद्धि
इन दिनों दुनिया में आर्टिफिशियल इटेंलीजेंस, एआई, की जमकर चर्चा है कि कम्प्यूटर और मशीनें इंसानों को टक्कर देने वाले हैं, और जल्द ही उनकी कृत्रिम बुद्धि इंसानों की बुद्धि को पार कर जाएगी। फिलहाल आज सुबह गूगल क्रोम पर जब उन्नाव बलात्कार के खिलाफ यूपी में कल हुए कांग्रेस के प्रदर्शन में पुलिस महिलाओं को पीट रही थी, तो इस तस्वीर को सर्च करने पर गूगल इसका संभावित क्लू, फन, बता रहा था, फन यानी मजा। अब सोचने-विचारने पर समझ आया कि पुलिस की प्रदर्शनकारी महिला पर लाठियों के बजाय वह पीछे दीवार के पोस्टर में हॅंसते हुए योगी आदित्यनाथ और दूसरे मंत्रियों के चेहरों से यह नतीजा निकाल रहा था। इंसान की बुद्धि और मशीन की बुद्धि में भी खासा फासला खासे अरसे तक बने रहने वाला है।  

सड़क पर खतरनाक हमला
अधिकतर धर्मों में धर्म का प्रचार किया जाता है ताकि उसे मानने वाले बढ़ें। ईसाई धर्म का प्रचार आधी सदी पहले से रेडियो सीलोन पर शुभ समाचार या ऐसे ही किसी नाम से सुनाई पड़ता था, बाद में आदिवासी इलाकों में ईसाई धर्म प्रचारक बहुत काम करते थे, और लोगों को यह समझाते थे कि ईसा मसीह ही उनका कल्याण कर सकते हैं। हाल के बरसों में हिन्दुस्तान के अनगिनत शहरों में हरे कृष्ण आंदोलन कहे जाने वाले इस्कॉन के संन्यासी किसी भी भीड़ भरी सड़क पर एकमुश्त टूट पड़ते हैं, और गीता या धर्म की दूसरी किताबों को बेचने के लिए गाडिय़ां रोकने लगते हैं। यह इतने बड़े पैमाने पर किसी एक जगह किया जाता है कि आती-जाती गाडिय़ां रूकने को मजबूर हो जाएं। आधा-एक दर्जन संन्यासी अपनी भगवा-पीली वर्दी में सड़क के बीच खड़े गाडिय़ां रोकने लगते हैं, और इन दिनों छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की सड़कों पर जगह-जगह इस्कॉन का यह हल्ला बोल चल रहा है। कई मौकों पर इस्कॉन की गाड़ी सड़क किनारे रोककर पैदल घूमते लोगों के बीच किताबें बेची जाती हैं, वहां तक तो ठीक है, लेकिन तेज रफ्तार गाडिय़ों के सामने कूदकर जिस तरह अभी कृष्ण को लोकप्रिय किया जा रहा है, उसमें गाडिय़ों के आपस में टकराने का खतरा भी है, और किसी संन्यासी के स्वर्गवासी होने का भी। जो संगठन दुनिया के कई देशों में काम करता है, उसे कोई बेहतर और अधिक सभ्य तरीका इस्तेमाल करना चाहिए, न अपने लिए खतरा खड़ा करें, न दूसरों के लिए। 
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