राजपथ - जनपथ
महापौर के दावेदारों की संभावना
मतदान के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि रायपुर नगर निगम के कांग्रेस से महापौर पद के दावेदार एन-केन प्रकारेण जीत जाएंगे। महापौर पद के दावेदार प्रमोद दुबे, एजाज ढेबर, अजीत कुकरेजा को दिक्कत नहीं है। ज्ञानेश शर्मा, श्रीकुमार मेनन जरूर त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं, लेकिन चर्चा है कि वे भी मैदान मार सकते हैं। सुनते हैं कि महापौर के दावेदार आपस में ही एक-दूसरे को निपटाने के लिए दमखम लगा रहे थे। इसलिए कुकरेजा को छोड़कर सभी कड़े मुकाबले में फंस गए थे। इन्हीं सब बातों को लेकर चुनाव प्रचार के दौरान एक प्रमुख दावेदार की तो दूसरे के भाई से तीखी बहस भी हुई थी।
छोटे चुनाव की खासियत यह है कि निपटने-निपटाने के खेल में कभी-कभी तीसरे को फायदा हो जाता है। बरसों पहले बैजनाथ पारा वार्ड चुनाव में लाल बादशाह को कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं ने निर्दलीय चुनाव मैदान में उतारा। और उन्हें भाजपा के लोगों ने भी साधन-सुविधाएं मुहैया कराई। ताकि कांग्रेस के अंदरूनी झगड़े का फायदा भाजपा को मिल सके, लेकिन निर्दलीय लाल बादशाह को इतना साधन संसाधन मिल गया कि वे खुद चुनाव जीत गए। कुछ इसी तरह की स्थिति प्रमोद दुबे के लिए भी बन गई थी। प्रमोद दुबे के खिलाफ लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी सचिन मेघानी, निर्दलीय अप्पू वाडिया और जोगी पार्टी के राउल रउफी को काफी मदद मिली।
हल्ला तो यह भी है कि अप्पू को प्रमोद से जुड़े लोगों ने मदद की थी। ताकि सिंधी वोटों का बंटवारा हो सके, लेकिन अप्पू की स्थिति मजबूत लगातार होते चली गई। प्रचार के अंतिम दिनों में प्रमोद की टेंशन बढ़ गई थी। ऐसे मौके पर प्रमोद को पूर्व मंत्री विधान मिश्रा, जगदीश कलश, संता सिंह कोहली और तेज कुमार बजाज की चौकड़ी का साथ मिला। जगदीश तो वहां के पार्षद भी रह चुके हैं। संता सिंह कोहली चुनाव लड़ चुके हैं और बजाज इस बार कांग्रेस टिकट की होड़ में थे। अनुभवी चौकड़ी के खुलकर साथ आने से प्रमोद की राह आसान हो पाई। दावेदारों में अजीत के सबसे ज्यादा वोट से जीतने का अनुमान लगाया जा रहा है। छोटे से तेलीबांधा वार्ड के तकरीबन हर मतदाता को हर संभव 'मदद' की गई। ऐसे में अजीत के नाम सर्वाधिक वोटों से जीत का रिकार्ड बन जाए, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
निर्दलियों की जरूरत पड़ेगी?
नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस का दबदबा कायम रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। दुर्ग, राजनांदगांव और अंबिकापुर में कांग्रेस को स्पष्ट जीत मिल सकती है। जबकि भाजपा को चिरमिरी और रायगढ़ में सफलता मिल सकती है। रायपुर और बिलासपुर में अंदाजा लगाया जा रहा है कि दोनों नगर निगमों में महापौर बनवाने में निर्दलियों की भूमिका अहम रहेगी।
रायपुर नगर निगम का हाल यह रहा कि पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के विधानसभा क्षेत्र रायपुर दक्षिण में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है। पिछले चुनाव में भी रायपुर दक्षिण से कांग्रेस को ज्यादा सफलता मिली थी। भाजपा के एक पूर्व विधायक यह कहते सुने गए कि यह भी रणनीति का हिस्सा है। हार में भी जीत छिपी होती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि बृजमोहन के क्षेत्र में तो भाजपा का एक भी नेता विधानसभा स्तर का नहीं है।
चुनाव में बस्तर संभाग में कांग्रेस को ज्यादा सफलता मिलने का अनुमान है। जबकि बिलासपुर संभाग में भाजपा अच्छी स्थिति में आ सकती है। कांग्रेस में टिकट को लेकर विवाद काफी ज्यादा था और इस वजह से नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में कई जगहों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। इन सबके बावजूद पिछले निकाय चुनाव की तरह ही कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रह सकता है।
शक्कर मिलेगी या नहीं?
रायपुर नगर निगम के एक निर्दलीय प्रत्याशी ने मतदाताओं को रिझाने के लिए अनोखा तरीका अपनाया। प्रत्याशी ने वार्ड के ज्यादातर लोगों की राशन कार्ड की छाया प्रति लेकर एक अलग कार्ड बनवाया। इस कार्ड के जरिए लोगों को यह सुविधा दी गई कि वे प्रत्याशी के डिपार्टमेंटल स्टोर से 20 रूपए किलो में पांच किलो शक्कर ले सकते हैं। बड़ी संख्या में लोगों ने कार्ड भी बनवाए। प्रत्याशी ने यह भी वादा किया था कि चुनाव जीतने पर कार्डधारियों को पहली बार पांच किलो शक्कर मुफ्त दिए जाएंगे। अब देखना है कि चुनाव नतीजे आने के बाद लोगों को रियायती शक्कर मिल पाता है या नहीं, क्योंकि इतना सबकुछ करने के बावजूद इस निर्दलीय प्रत्याशी के जीतने की संभावना बेहद कम है।