राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जोगी अर्श से फर्श पर!
31-Dec-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जोगी अर्श से फर्श पर!

जोगी अर्श से फर्श पर!
विधानसभा चुनाव के बाद से जोगी पार्टी का ग्राफ लगातार गिर रहा है। पार्टी ने लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था। मगर दंतेवाड़ा और चित्रकोट विधानसभा उपचुनावों में प्रत्याशी उतारे थे। हाल यह रहा कि दोनों ही सीटों पर जोगी पार्टी के उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके।  म्युनिसिपल चुनाव में जोगी पार्टी की तरफ से बढ़-चढ़कर दावे किए जा रहे थे, लेकिन प्रदेश के 2836 वार्डों में से 28 वार्डों में ही जोगी पार्टी को सफलता मिल पाई। यानी एक फीसदी से भी कम सीटों पर पार्टी को सफलता मिली है। 

सुनते हैं कि जोगी पार्टी के जो पार्षद जीतकर आए हैं, उन पर भी पार्टी नेताओं का नियंत्रण नहीं रह गया है। ज्यादातर पार्षद अपनी सुविधा के अनुसार कांग्रेस या भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। बलौदाबाजार में जोगी पार्टी के 3 पार्षद जीतकर आए हैं। यहां नगर पालिका अध्यक्ष बनवाने में जोगी पार्टी की भूमिका अहम होगी। मगर बलौदाबाजार के जोगी पार्टी के विधायक प्रमोद शर्मा ने कांग्रेस और भाजपा के लोगों को साफ तौर पर बता दिया है कि उन्हें सीधे पार्षदों से ही चर्चा करनी होगी।  पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जीत तो गए हैं, लेकिन वे समर्थन का फैसला खुद लेंगे। 

अजीत जोगी जब कांग्रेस में थे, तो अपनी ताकत का अहसास कराते हुए अक्सर कहा करते थे कि कांग्रेस के बिना जोगी नहीं और जोगी के बिना कांग्रेस नहीं। उनका मानना था कि बिना जोगी के कांग्रेस का राज्य में कोई अस्तित्व नहीं है। मगर हुआ ठीक उल्टा, उनके पार्टी छोडऩे के बाद कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में आई। इसके बाद से कांग्रेस का ग्राफ बढ़ रहा है। इसके विपरीत जोगी का आधार सिमटता जा रहा है। कम से कम म्युनिसिपल चुनाव में तो यह साबित भी हो गया है। ऐसे में उनके विरोधी कहने लगे हैं कि कांग्रेस के बिना जोगी नहीं...

एक मोहभंग
छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी के मुखिया रहे कृषि वैज्ञानिक डॉ. संकेत ठाकुर ने कल सोशल मीडिया पर साल के आखिरी दिन राजनीति को बिदा करने की घोषणा की। लोग कुछ हैरान हुए कि अचानक ऐसा क्या हो गया? लेकिन म्युनिसिपल चुनावों में आम आदमी पार्टी का हाल देखने के बाद शायद उन्हें यह रास्ता सूझा हो। जो भी हो, राजनीति में, एक खासकर दलगत-चुनावी राजनीति में गए हुए भले लोगों का मोहभंग होना कोई नई बात नहीं है। छत्तीसगढ़ में ऐसे ही एक दूसरे भले इंसान को लेकर भी लोगों में अटकल लगते रहती है कि आखिर कब तक?

अब डॉ. संकेत ठाकुर के राजनीति छोडऩे की घोषणा उस वक्त आई है जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। ऐसा भी नहीं कि छत्तीसगढ़ का दिल्ली पर कोई असर होगा, अरविंद केजरीवाल बगल के लगे हुए राज्यों में अपनी पार्टी को धूल चाटते देख चुके हंै, और छत्तीसगढ़ का वहां कोई असर नहीं है, फिर भी एक खबर तो बनती हैै, और यह खबर आम आदमी पार्टी के खिलाफ तो जाती है। कुछ अरसा पहले इस पार्टी की बस्तर की सबसे बड़ी नेता सोनी सोरी ने भी पार्टी छोड़ी थी। पिछले कुछ चुनावों में पार्टी किसी किनारे पहुंच नहीं पाई, और कोई किनारा नजर भी नहीं आ रहा है, इसलिए लोगों का हौसला पस्त है। छत्तीसगढ़ कुल मिलाकर दो पार्टियों का राज्य बना हुआ है, और जोगी की पार्टी भी पूरी तरह से हाशिए पर चली गई दिखती है। ([email protected])

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