राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : प्रकाश बजाज पर सनसनी
31-Jan-2020
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : प्रकाश बजाज पर सनसनी

प्रकाश बजाज पर सनसनी

भाजपा नेता प्रकाश बजाज एक बार फिर सुर्खियों में है। बजाज चर्चित सेक्स-सीडी कांड के शिकायतकर्ता रहे हैं। उनके खिलाफ छेड़छाड़ और धोखाधड़ी के कई गंभीर आरोप हैं। बजाज को नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का करीबी माना जाता है। सुनते हैं कि प्रकाश बजाज ने पिछले दिनों केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। बजाज के साथ एक प्रतिनिधिमंडल भी था। 

बजाज की अमित शाह से मुलाकात ऐसे समय में हुई जब पार्टी के बड़े नेता उनसे मुलाकात के लिए मशक्कत कर रहे थे, लेकिन उन्हें समय नहीं मिला। सिर्फ चार प्रतिनिधिमंडलों को मुलाकात के लिए समय दिया गया था। इन्हीं में से एक के साथ प्रकाश बजाज भी अमित शाह से मिलकर आ गए। पार्टी के अंदरखाने में प्रकाश बजाज को अमित शाह से मुलाकात के लिए समय दिलाने की तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। हालांकि कुछ लोग बजाज की अमित शाह से मुलाकात का खंडन भी कर रहे हैं। 

पार्टी के कई नेताओं ने मुलाकातियों की सूची निकलवाई भी है, जिसमें आखिरी में प्रकाशजी लिखा है। दावा किया जा रहा है कि उनके सरनेम को जानबूझकर छोड़ दिया गया, ताकि कोई विवाद न हो। प्रकाश बजाज की अमित शाह से क्या चर्चा हुई है, इसको लेकर उत्सुकता भी है। इस संवाददाता ने प्रकाश से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनका मोबाइल बंद मिला। मगर जिस व्यक्ति के खिलाफ कई गंभीर आरोप हैं और कुछ दिन पहले तक जेल में रहा है उसे केन्द्रीय गृहमंत्री से मुलाकात कराने की शिकायत पार्टी हाईकमान से भी की जा रही है। इस मामले में कुछ बड़े नेता निशाने पर भी हैं। 

हाईकोर्ट का फैसला, और अटकलें...
सरकार और सियासत से जुड़े हुए लोगों की अटकल लगाने की क्षमता अपार होती है। कल छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का एक बड़ा कड़ा फैसला आया जिसमें पिछली सरकार के कार्यकाल में नि:शक्तजनों के लिए सरकार से अपार पैसा लिया गया, और उसे इधर-उधर कर दिया गया। अदालत ने इस मामले की जांच सीबीआई को दे दी, और जांच के घेरे में राज्य के कुछ सबसे बड़े अफसर रहे लोगों के नाम आ रहे हैं। ये नाम हक्का-बक्का कर रहे हैं। अब चूंकि इस मामले में अदालत ने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा था, इसलिए यह अटकल भी लग रही है कि क्या सरकार इन अफसरों में से कुछ, या कई, या सभी को जांच में फंसने देना चाहती है? फैसला अदालत का है, लेकिन अदालत में सरकार का पक्ष तो सरकार ही रखती है, और उसी बात को लेकर कल रात राज्य में जगह-जगह यह अटकलबाजी चल रही थी। 

ठीक इसी तरह की अटकलबाजी इस बात को लेकर भी चल रही थी कि सीबीआई इस मामले में क्या रूख दिखाएगी। देश की यह सबसे बड़ी जांच एजेंसी लंबे वक्त बाद छत्तीसगढ़ में अदालती आदेश से किसी जांच में आने का एक मौका पा रही है, और इस बात को लेकर भी राज्य के कुछ लोगों में बेचैनी है, हालांकि सीबीआई यहां किसी और केस की जांच नहीं कर पाएगी, और इस मामले में भी तकरीबन सारे लोग रिटायर हो चुके हैं, या सरकार की फिक्र उन्हें लेकर नहीं है। अब चूंकि सीबीआई केन्द्र सरकार के मातहत है, इसलिए लोग यह अटकल भी लगा रहे हैं कि क्या भाजपा सरकार के दौरान का यह बड़ा मामला पूरी तरह हल किया जाएगा, या फिर सीबीआई कुछ नरमी बरतेगी? सीबीआई के कामकाज की जानकारी रखने वाले कुछ लोगों का मानना है कि उसकी जांच में बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं डाला जा सकता, और अगर कागजात भ्रष्टाचार बताएंगे, तो वह बात जांच में आ ही जाएगी। 

फिलहाल यह छत्तीसगढ़ के इतिहास का एक सबसे बड़ा भ्रष्टाचार दिख रहा है, और सबसे बड़े नामों वाला भी। आगे पता लगेगा कि इसके लिए कौन कुसूरवार पाए जाते हैं। 
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