राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : किस्सा भूतों..., मतलब भूतपूर्वों का
23-Feb-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : किस्सा भूतों..., मतलब भूतपूर्वों का

किस्सा भूतों..., मतलब भूतपूर्वों का

राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष अजय सिंह 29 तारीख को रिटायर हो रहे हैं। उन्हें नाराजगी के चलते सरकार ने सीएस के पद से हटाकर राजस्व मंडल भेज दिया था। बाद में उन्हें योजना आयोग के उपाध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया। अब चूंकि वे रिटायर हो रहे हैं, तो उनकी पोस्टिंग को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। यह संकेत हैं कि अजय सिंह योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद पर आगे भी बने रहेंगे। वैसे भी, राज्य बनने के बाद जितने भी सीएस रहे हैं, उनमें से आरपी बगई और पी जॉय उम्मेन को छोड़ दें, तो बाकी सभी को रिटायरमेंट के बाद कुछ न कुछ जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आरपी बगई और पी जॉय उम्मेन को भी पद का ऑफर दिया गया था, लेकिन दोनों ने यहां सरकार में काम करने से मना कर दिया।  

बगई को पीएससी चेयरमैन का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया। बगई का सोचना था कि पीएससी चेयरमैन का पद प्रमुख सचिव के समकक्ष है। वे कोई अहम जिम्मेदारी चाह रहे थे, जिसके लिए रमन सरकार तैयार नहीं थी। बाद में वे दुबई चले गए और एक निजी कंपनी में नौकरी करने लगे। जबकि जॉय उम्मेन को सीएस के पद से हटाने के बाद सीएसईबी और एनआरडीए चेयरमैन के पद पर यथावत काम करने के लिए कहा गया था, लेकिन वे सीएस के पद से हटाए जाने के बाद इतने नाखुश थे कि वे रिटायरमेंट के बाद अपने गृह प्रदेश केरल चले गए, जहां केरल सरकार में वे राज्य वित्त निगम के चेयरमैन हो गए थेे। बाद में वे एक मंत्रालय के सलाहकार बनाए गए थे और जब भ्रष्टाचार के चलते उस मंत्रालय के मंत्री की कुर्सी चली गई, तो उम्मेन का काम भी खत्म हुआ।

राज्य के पहले सीएस अरूण कुमार प्रशासनिक सुधार आयोग के अध्यक्ष बनाए गए। उनका बनना भी बहुत दिलचस्प है। सीएस रहते हुए उन्होंने कोई काम नहीं किया, फाईलें उनके कमरे में जाती थीं, वहां से वापिस नहीं आती थीं। लेकिन रिटायर होने के बाद उन्हें पुनर्वास की बहुत तलब थी। अजीत जोगी मुख्यमंत्री थे, और सुनिल कुमार उनके सचिव थे। रिटायर होने के बाद उन्होंने सुनिल कुमार की ऐसी घेरेबंदी की कि आखिर में थक-हारकर उन्होंने जोगीजी से कहा कि इन्हें कहीं भी कुछ भी बना दें, ताकि परेशान करना बंद करें। ऐसे में एक प्रशासनिक सुधार आयोग बनाकर अरूण कुमार को एक साल के लिए उसमें रखा गया। जिसने नौकरी में रहते काम नहीं किया, उसे प्रशासनिक सुधार का काम दिया गया। सरकार में इस किस्म की बर्बादी को अधिक गंभीर नहीं माना जाता है, और हर सरकार में ऐसे कई पद बर्बाद होते ही हैं।

उनके बाद के सीएस एस के मिश्रा राज्य विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन बनाए गए। इसके बाद भी वे कई अहम पदों पर काम करते रहे। वे रिटायरमेंट के बाद सबसे लंबी पारी खेलने वाले अफसर रहे। एसके मिश्रा के उत्तराधिकारी एके विजयवर्गीय राज्य के पहले मुख्य सूचना आयुक्त बने। उनके बाद शिवराज सिंह भी पहले राज्य निर्वाचन आयुक्त फिर राज्य योजना आयोग और राज्य पावर कंपनी  के चेयरमैन रहे, वे सीएम के सलाहकार के पद पर भी काम करते रहे। शिवराज सिंह के बाद जॉय उम्मेन और फिर सुनिल कुमार सीएस बने। सुनिल कुमार ने भी योजना आयोग के उपाध्यक्ष, और मुख्यमंत्री के सलाहकार के पद पर काम किया। उनके बाद विवेक ढांड रिटायरमेंट के पहले ही इस्तीफा देकर रेरा के चेयरमैन बने और वे इस पद पर काम कर रहे हैं। विवेक ढांड के बाद अजय सिंह सीएस बनाए गए थे। भूपेश बघेल सरकार ने आते ही अजय सिंह को हटाकर सुनील कुजूर को सीएस बनाया गया। कुजूर को रिटायरमेंट के बाद वर्तमान सरकार ने सहकारिता आयोग के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। अब अजय सिंह को उनके पूर्ववर्तियों की तरह कोई जिम्मेदारी सौंपी जाती है, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। 
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