राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : स्वास्थ्य विभाग, वनवे ट्रैफिक
26-Mar-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ :  स्वास्थ्य विभाग, वनवे ट्रैफिक

स्वास्थ्य विभाग, वनवे ट्रैफिक
कोरोना संक्रमण की वजह से प्रदेश में लॉकडाउन है। स्वास्थ्य विभाग के नीचे का अमला तो ठीक-ठाक काम करता दिख रहा है, मगर आला अफसरों की बेरूखी समझ से परे हैं। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव मुंबई में फंस गए हैं। बावजूद इसके वहां से वे कामकाज पर निगरानी रखे हुए हैं, लेकिन विभागीय सचिव सुश्री निहारिका बारिक सिंह और संचालक नीरज बंसोड़ के कामकाज के तौर तरीकों पर सवाल खड़े हुए हैं। सांसद और कई अन्य जनप्रतिनिधियों की शिकायत है कि स्वास्थ्य सचिव फोन तक रिसीव नहीं कर रही हंै। यही हाल उनके अधीनस्थ नीरज बंसोड़ का भी है।

खुद 'छत्तीसगढ़' के संपादक और संवाददाता ने कई बार उनसे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन दोनों अफसर फोन रिसीव नहीं कर रहे हैं, और यह बात कोरोना का खतरा बढऩे के बाद की नहीं है, पिछले कुछ हफ्तों से स्वास्थ्य विभाग के अफसर वनवे ट्रैफिक हो गए हैं। ऐसे समय में जब विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव जनप्रतिनिधियों और आम लोगों से सुझाव लेने से परहेज नहीं करते हैं। वे प्रदेश में न होने के बावजूद कोई कॉल मिस नहीं कर रहे हैं। यदि वे किसी वजह से फोन नहीं उठा पाते हैं तो कॉल बैक जरूर करते हैं। उनका निजी स्टॉफ भी फौरी प्रतिक्रिया देने से नहीं चूकता है। खुद सीएम भूपेश बघेल ने स्काइप-वॉट्सएप के जरिए कॉफ्रेंसिंग कर अखबार के संपादकों से चर्चा की और उनसे कोरोना को रोकने के उपायों पर राय ली। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य सचिव और संचालक की कार्यशैली चर्चा का विषय बनी हुई है। 

दो और रिटायरमेंट के करीब...
प्रदेश में आईएएस अफसरों की कमी है। ऐसे में 2 और अनुभवी अफसर डॉ. आलोक शुक्ला और नरेंद्र शुक्ला मई महीने में रिटायर हो रहे हैं। प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला को स्कूल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी संभाले कुछ ही महीने हुए हैं, उन्होंने कम दिनों मेें ही विभाग के कामकाज में परिवर्तन लाने की दिशा में ठोस कोशिश की है। वैसे भी डॉ. आलोक शुक्ला को स्कूल शिक्षा विभाग का पुराना तजुर्बा रहा है, और जोगी सरकार के वक्त भी वे स्कूल-मंत्री सत्यनारायण शर्मा के साथ कई किस्म की टकराहट के बाद भी अच्छा काम कर रहे हैं। बीते बरसों में जब आलोक शुक्ला को सरकारी काम से अलग कर दिया गया था, तब भी वे लगातार शिक्षा की बेहतरी के लिए काम करते थे। और इस बार का उनका जिम्मा एक ऐसे वक्त आया जब छत्तीसगढ़ सरकार का स्कूल शिक्षा विभाग बुरी तरह की बदनामी का शिकार होकर पटरी से उतरा हुआ था, और उसे पटरी में लाने के लिए ही चार महीने का वक्त बहुत कम था, कम है। 

उनके साथ-साथ रिटायर होने वाले एक दूसरे आईएएस नरेंद्र शुक्ला आवास एवं पर्यावरण आयुक्त पद पर हैं, वे छत्तीसगढ़ की ही माटी-संतान हैं और डिप्टी कलेक्टर से आगे बढ़ते हुए आईएएस बने हैं। 

सुनते हैं कि रिटायरमेंट के बाद दोनों के अनुभवों का सरकार किसी न किसी रूप में उपयोग कर सकती है। वैसे तो केंद्र सरकार में छत्तीसगढ़ कैडर के आधा दर्जन से अधिक अफसर पदस्थ हैं, लेकिन इनमें से फिलहाल किसी के लौटने की संभावना नहीं है। अलबता, जुलाई महीने में सचिव स्तर की अफसर एम. गीता अध्ययन अवकाश से लौटेंगी। उनका महिला बाल विकास और समाज कल्याण विभाग में काम अच्छा रहा है, ऐसे में आने के बाद उन्हें कोई अहम दायित्व दिया जा सकता है। ([email protected])

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