राजपथ - जनपथ
मॉक ड्रिल किससे पूछकर?
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए धमतरी जिला प्रशासन की मॉकड्रिल विवादों में घिर गई है। इस मॉकड्रिल के चलते बुधवार करीब 4 घंटे तक पूरे धमतरी शहर में तनाव का माहौल रहा। बाद में प्रशासन ने जब वस्तु स्थिति स्पष्ट की, तब कहीं जाकर लोगों ने राहत की सांस ली। भाजपा सांसद सुनील सोनी ने इस मॉकड्रिल पर कड़ी आपत्ति जताई है और उन्होंने सीधे-सीधे प्रशासन को अपने इस कृत्य के लिए एम्स प्रबंधन और स्वास्थ्य टीम से माफी मांगने तक की सलाह दे डाली।
धमतरी में न तो कोरोना इलाज की सुविधा है और न ही जांच के लिए कोई लैब तैयार है। ऐसे में कोरोना से बचाव के लिए जनजागरूकता अभियान चलाने के बजाए मॉकड्रिल के नाम पर भय का वातावरण बनाने की कड़ी आलोचना हो रही है। सुनते हैं कि धमतरी कलेक्टर ने मॉकड्रिल से पहले प्रभारी मंत्री से चर्चा तक नहीं की थी, लेकिन भाजपा के एक पूर्व मंत्री को विश्वास में लिया था और अपनी सारी योजनाओं से अवगत कराया था। पूर्व मंत्री ने तो मॉकड्रिल से असहमत होने के बाद भी कलेक्टर का साथ देते हुए खामोशी ओढ़ ली, लेकिन भाजपा के बाकी नेता कलेक्टर पर पिल पड़े हैं। अब चाहकर भी पूर्व मंत्री, कलेक्टर का बचाव भी नहीं कर पा रहे हैं।
सुब्रमण्यिम के रहने का फायदा मजदूरों को
जम्मू-कश्मीर में दो सौ से ज्यादा 36गढ़ी मजदूर फंसे हैं। मगर प्रशासन उनकी अच्छी तरह देखभाल कर रहा है, और मजदूर भी मोटे तौर पर प्रशासनिक व्यवस्था से खुश हैं। यह सब इसलिए भी हो पा रहा है कि जम्मू-कश्मीर के चीफ सेक्रेटरी बीवीआर सुब्रमण्यिम हैं, जो छत्तीसगढ़ कैडर के अफसर हैं। सुब्रमण्यिम छत्तीसगढ़ में एसीएस (गृह) के पद पर काम कर चुके हैं।
सुनते हैं कि सुब्रमण्यिम ने व्यक्तिगत रूचि लेकर 36गढ़ी मजदूरों को राहत दिलवाई है। सुब्रमण्यिम को लेकर एक बुरी चर्चा यह भी है कि वे ज्यादातर अफसरों का फोन तक नहीं उठाते हैं। अलबत्ता, श्रम सचिव सोनमणी बोरा की सुब्रमण्यिम से फोन पर बातचीत हो जाती है। इसकी एक वजह यह भी है कि बोरा जब आईएएस ट्रेनिंग एकेडमी में ट्रेनिंग ले रहे थे, तब सुब्रमण्यिम उनकी क्लास लेते थे। तब से उनका परिचय है। इसका फायदा भी छत्तीसगढ़ को मिल रहा है।