राजपथ - जनपथ
बाजार और धर्मसंकट
लॉकडाउन के बीच दूकान खोलने की अनुमति के लिए नेतागिरी करना कुछ कारोबारियों को भारी पड़ गया। हुआ यूं कि रायपुर के रेड जोन में होने के कारण सिर्फ जरूरी वस्तुओं के कारोबार की अनुमति है। राज्य शासन व्यापारियों की दिक्कतों को देखकर केन्द्र की राय के विपरीत कुछ और अनुमति देने पर विचार कर रहा था कि चेम्बर के राजनीति में हासिए पर चल रहे श्रीचंद सुंदरानी ने नाराज व्यापारियों को एकजुट करना शुरू कर दिया।
सुंदरानी को सांसद सुनील सोनी का भी साथ मिला। सुनील सोनी की कोशिश थी कि शादी-ब्याह के सीजन के चलते सराफा और कपड़ा कारोबार को अनुमति मिल जाए। सुंदरानी ने पहले रमन सिंह के मार्फत केन्द्र सरकार पर रायपुर को रेड जोन से बाहर निकालने के लिए दबाव बनाया। सुनील सोनी ने भी इसके लिए कोशिश की। मगर नतीजा सिफर रहा। अब गेंद राज्य शासन के पाले में आ गई। श्रीचंद के विरोधी कांग्रेस के व्यापारी नेता भी सक्रिय हो गए और फिर नतीजा यह हुआ कि सराफा और मोबाइल को छोडक़र बाकी सारे कारोबार के लिए सशर्त अनुमति जारी कर दी गई। सुनील सोनी और श्रीचंद की दिक्कत यह है कि वे चाहकर भी जिला प्रशासन के फैसले का विरोध नहीं कर पा रहे हैं।
कहानी कॉलर ट्यून की...
लोगों को मोबाइल पर कॉल किया जाए, तो उनके व्यक्तित्व के कई पहलू पता चलते हैं। बहुत से लोग अपनी पसंद के किसी ईश्वर की आराधना का संगीत लगाकर रखते हैं। कुछ लोगों के तो फोन लगने के पहले से उनकी धार्मिक प्राथमिकता उनके नंबरों से पता लग जाती है जब नंबर में 786 होता है जो कि मुस्लिमों के बीच बहुत शुभ नंबर माना जाता है। बहुत से लोग ऐसी अंधाधुंध शोरगुल की म्युजिक लगाकर रखते हैं कि लगता है कि उन्हें लोगों के कानों पर जरा भी रहम नहीं है। शिकायत करने पर ऐसे लोगों का आमतौर पर यह कहना रहता है कि पता नहीं किसी बच्चे ने ऐसा संगीत डाल दिया होगा, या मोबाइल कंपनियां ही किसी बटन के दबने से ऐसा संगीत फोन पर सेट कर चुकी होंगी। वैसे भाजपा सरकार जाने के बाद बहुत से अफसरों ने कई बरस से चली आ रही धार्मिक कॉलर ट्यून को बदला है, और सरकारी दफ्तर के कमरों में कहीं-कहीं गांधी के साथ नेहरू को भी टांग लिया है।
जो भी हो, अगर किसी को फोन लगाने पर उसकी ओर से आने वाला संगीत चूभने वाला हो तो उसकी शिकायत जरूर करनी चाहिए। इन दिनों चारों तरफ मोबाइल फोन पर कोरोना की कॉलर ट्यून इस तरह गूंज रही है कि लोग अब उसे सुनना उसी तरह भूल गए हैं जिस तरह सुबह आने वाली कचरा गाड़ी का संगीत अब सुनाई नहीं देता। लेकिन फिर भी किसी के लिए यह दिलचस्प प्रयोग हो सकता है कि वे राज्य के सारे विधायकों की कॉलर ट्यून, सांसदों की कॉलर ट्यून, और आईएएस, आईपीएस, आईएफएस सेवाओं के अफसरों की कॉलर ट्यून को देखें कि कौन सी कॉलर ट्यून किस तबके में अधिक लोकप्रिय है।
नमकहरामी
लॉकडाउन थ्री के अंतिम चरण में नमक की किल्लत की खबर फैल गई है। जिसके कारण लोग थोक में नमक खरीद रहे हैं। इतना ही नहीं दुकानदारों ने मनमानी कीमत में नमक बेचना शुरु कर दिया है। हालांकि सरकार ने कड़ाई करते हुए छापामार कार्रवाई की है। पुलिस की पेट्रोलिंग पार्टियां भी किराना दुकानों के सामने जाकर एनाउंसमेंट कर रही है कि अधिक कीमत में नमक बेचने पर कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। कल तक 60-70 रुपए किलो में बिक रहा नमक आज 40 रुपए में बिक रहा है। सुपरबाजार में जरुर नमक निर्धारित कीमत में मिल रहा है, लेकिन वहां दो से ज्यादा पैकेट खरीदने की अनुमति नहीं है। नमक को लेकर सोशल मीडिया गरम है। लोग नमक के साथ अमिताभ बच्चन की फिल्म नमकहराम को याद कर रहे हैं। सोचने वाली बात यह है कि नमक की आड में नमकहरामी कौन लोग कर रहे हैं। चर्चा है कि हमारे देश में दोनों की पर्याप्त संख्या है।