राजपथ - जनपथ
पीएससी से जारी लड़ाई अब यूपीएससी तक...
पीएससी-2003 भर्ती घोटाले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकलने के फेर में है। वजह यह है कि इस बैच के डिप्टी कलेक्टर संवर्ग के अफसरों को आईएएस अवॉर्ड के लिए फाइल चल रही है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने भर्ती में घोटाले को माना था और मानव विज्ञान के पेपर की फिर से जांच कर नए सिरे से चयन सूची तैयार करने के आदेश दिए थे। यद्यपि हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है। इस पर सुनवाई होनी है।
यह घोटाला इस दर्जे का है कि पीएससी-प्री में असफल कई अभ्यार्थी तो मेंस और फिर इंटरव्यू निकालकर आज अच्छी खासी नौकरी कर रहे हैं। नए सिरे से चयन सूची तैयार होने की दशा में कुछ डिप्टी कलेक्टर डिमोट हो सकते हैं। कई की नौकरी भी जा सकती है। घोटाले को लेकर वर्षा डोंगरे, रविन्द्र सिंह और चमन सिन्हा ने हाईकोर्ट मेें याचिका दायर की थी। बाद में हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, तो वहां सिर्फ वर्षा डोंगरे और उनके पति संतोष कुंजाम ही लड़ाई लड़ रहे हैं। वर्षा अभी सरगुजा में जेलर हैं और चर्चा है कि उन्हें हाईकोर्ट में प्रकरण वापस लेने के एवज में डीएसपी का पद ऑफर किया गया था। मगर उन्होंने ठुकरा दिया। कानूनी लड़ाई में भागीदार रहे संतोष के साथ बिलासपुर हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद परिणय सूत्र में बंध गई। अब पति-पत्नी बन चुके वर्षा और संतोष की लड़ाई अब भी जारी है।
वर्ष-2003 बैच के डिप्टी कलेक्टर संवर्ग के अफसरों में से वर्तमान में कई अलग-अलग विभागों में ऊंचे पदों पर हैं। इन सभी ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनकी पैरवी देश के एक सबसे महंगे वकील हरीश साल्वे ने की थी और उन्हें फिलहाल राहत भी मिली हुई है। याचिकाकर्ता वर्षा डोंगरे और संतोष कुंजाम के पक्ष में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण पैरवी कर रहे हैं।
ताकतवर हो चुके लोगों के खिलाफ लड़ाई लडऩा आसान नहीं होता है। कदम-कदम पर मुश्किलें आती हैं। इस का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि सभी को व्यक्तिगत रूप से नोटिस तामिल होनी थी, लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग ने संतोष कुंजाम का एड्रेस उपलब्ध कराने से मना कर दिया। बाद में कोर्ट के आदेश पर अखबारों में सूचना प्रकाशित कराकर तामिल कराई गई। अब जब डिप्टी कलेक्टर संवर्ग के अफसरों को आईएएस अवॉर्ड प्रमोशन होना है, तो घोटाले के खिलाफ लड़ाई तेज हो सकती है। क्योंकि इस बार पदोन्नति की प्रक्रिया में न सिर्फ राज्य सरकार बल्कि यूपीएससी और डीओपीटी भी भागीदार रहेंगे, ऐसे में उनके समक्ष यह प्रकरण आता है, तो उनका रूख क्या होगा यह भी देखना है। मगर बरसों से लड़ाई लड़ रहे संतोष कुंजाम इस प्रकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाने की तैयारी कर रहे हैं।
पीएससी से जारी लड़ाई अब यूपीएससी तक पहुंच गयी है, जो कि इस सिलेक्शन में शामिल रहेगा।
अब असली मोर्चा खुला
छत्तीसगढ़ में कोरोना का विस्फोटक रुप दिखने लगा है। रोजाना रिकॉर्ड टूट रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से सौ के आसपास कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पहचान हो रही है। अब कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या हजार के पार हो गई है। राजधानी रायपुर में एक दिन 35 पॉजिटिव केसेस ने सभी की नींद उड़ा दी है। कहा जा रहा है कि प्रवासी कामगारों के दूसरे राज्यों से लौटने के कारण राज्य में नए केसेस बढ़ रहे हैं। जो नए मामले आ रहे हैं, वो ज्यादातर उन्हीं के हैं या फिर उन कामगारों को उनके ठिकानों तक पहुंचाने वाले अमले के लोग संक्रमित हुए हैं। ऐसी स्थिति में सामुदायिक संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। दूसरी तरफ डॉक्टर्स और मेडिकल स्टॉफ के संक्रमित होने की खबरें भी लगातार मिल रही है। जाहिर है कि अब स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी असर पड़ेगा। ऐसे में लोगों को ज्यादा चौकस रहने की जरुरत है। क्योंकि हमारे कोरोना वॉरियर्स भी संक्रमण से अछूते नहीं है। जबकि मार्च-अप्रैल का वो समय भी था, जब राज्य में कोरोना पॉजिटिव की संख्या दहाई के अंक के आसपास थी। इस दौरान कहा जा रहा था कि राज्य ने कोरोना से निपटने के लिए माकूल उपाय किए हैं और खासतौर पर हमारे 13 कोरोना योद्धा दिन-रात इस जंग में फ्रंटफुट पर तैनात हैं। इतना ही नहीं इसे पूरे देश के सामने नजीर के रुप में पेश करने की कोशिश की गई, हालांकि इसमें कोई बुराई भी नहीं है। लेकिन अब जब मामले बढ़ रहे हैं तो ये कोरोना योद्धा गायब हैं। सोशल मीडिया में इन योद्धाओं की तलाश भी शुरू हो गई है।