राजपथ - जनपथ
कभी खाया है यह फल?
एक भूतपूर्व पत्रकार, और वर्तमान सामाजिक कार्यकर्ता पुरूषोत्तम सिंह ठाकुर सक्रिय पत्रकारिता से बाहर चले गए हैं, लेकिन पत्रकार उनके भीतर से बाहर नहीं जा पाया है। इसलिए वे लगातार फोटोग्राफी के साथ-साथ लिखने का काम भी करते हैं। अभी उन्होंने कुछ जंगली फलों की तस्वीरों को पोस्ट किया, तो शहरों में बसे लोगों को याद आया कि ये फल तो शहरों में मिलते नहीं, और गांव-जंगल में जाना अब होता नहीं है। एक फल, कुसुम की फोटो उन्होंने पोस्ट की और साथ में उसे पकाकर मसाले के साथ किस तरह खाया जाता है उसकी फोटो भी। एक जानकार ने उस पर लिखा कि इस फल में प्रोटीन, फैट, मिनरल, फाईबर, कार्बोहाइड्रेट, कैलोरी, कैल्शियम, फास्फोरस, कितना-कितना होता है। अब जंगली फलों के ये आंकड़े भी पाना आसान नहीं है, लेकिन जाहिर तौर पर आदिवासी ज्ञान और समझ परंपरागत रूप से इन फलों के फायदों को जानते थे, और उनका इस्तेमाल करते थे। किसी ने इस पर पोस्ट किया कि कांकेर के आसपास ये फल अभी भी मिलते हैं। कुछ शहरियों को याद है कि ये खट्टा-मीठा होता है, और देखकर मुंह में पानी आ जाता है। जिन लोगों ने अब तक यह फल न चखा हो, वे अपना तजुर्बा और ज्ञान दोनों बढ़ा सकते हैं।
रिटायर्ड के बारी?
सरकार में फिर रिटायर्ड अफसरों का पुनर्वास हो सकता है। सूचना आयुक्त के एक खाली पद के लिए आवेदन तो ले लिए गए हैं, लेकिन नियुक्ति नहीं हो पाई है। इस पद के लिए कई रिटायर्ड अफसर होड़ में हैं। इनमें पूर्व एसीएस केडीपी राव भी शामिल हैं। इसी तरह पूर्व आईएएस आरपी जैन का कार्यकाल खत्म होने के बाद से विभागीय जांच आयुक्त का पद खाली है। जैन की नियुक्ति दो साल के लिए हुई थी, लेकिन कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्हें एक्सटेंशन मिलते रहा। कुछ माह पहले उनका कार्यकाल खत्म हुआ, तो फिर एक्सटेंशन के लिए फाइल चली। मगर सरकार ने इसमें रूचि नहीं दिखाई। विभागीय जांच आयुक्त पर के लिए दिलीप वासनिकर, निर्मल खाखा, नरेन्द्र शुक्ला सहित कई अन्य रिटायर्ड अफसरों के नामों की चर्चा है। सरकार फिलहाल कोरोना रोकथाम में लगी हुई है। इस वजह से इन रिक्त पदों को भरने में रूचि नहीं ले रही है। हालांकि इन पदों को भरने के लिए सिफारिशें काफी आ रही है। ऐसे में कुछ जानकारों का अंदाजा है कि कम से कम विभागीय जांच आयुक्त पद पर नियुक्ति हो सकती है।
20 के बाद कुछ हो सकता है...
अजीत जोगी के निधन के बाद जोगी पार्टी में हलचल है। पार्टी के कुछ नेता साथ छोडक़र कांग्रेस में चले गए हैं। इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद भी जोगी पार्टी ने चुप्पी साध रखी है। लॉकडाउन के बीच दिवंगत पूर्व सीएम के अंतिम संस्कार के बाद की सारी रस्म अदायगी हो चुकी है। कंवर आदिवासी समाज की रीति-रिवाज के अनुसार अमित जोगी को पागा (पगड़ी) पहनाई गई और सामाजिक रूप से यह मान्यता दी गई कि अमित जोगी अब परिवार के मुखिया हैं।
दिलचस्प बात यह है कि दिवंगत पूर्व सीएम अजीत जोगी के परिवार के सदस्यों बल्कि उनके समर्थकों ने भी दशगात्र के मौके पर मुंडन कराया। तमाम रस्म अदायगी के बाद जोगी परिवार के रूख की तरफ लोगों की नजरें हैं। फिलहाल जोगी परिवार के सदस्य किसी तरह की राजनीतिक टीका-टिप्पणी से बच रहे हैं।
सुनते हैं कि संभवत: 20 तारीख को रायपुर में पूर्व सीएम की आत्मा की शांति के लिए सर्वधर्म प्रार्थना सभा रखी गई है। इसके बाद जोगी परिवार का रूख साफ हो सकता है। मगर जोगी के निधन के बाद खाली मरवाही विधानसभा सीट में उपचुनाव को लेकर अभी से हलचल शुरू हो गई है। पूर्व सीएम के विधायक प्रतिनिधि रहे ज्ञानेन्द्र उपाध्याय, अमित जोगी के पगड़ी रस्म कार्यक्रम के अगले दिन ही कांग्रेस में शामिल हो गए। हालांकि ज्ञानेन्द्र का काफी विरोध हो रहा है। भाजपा के लोग भी सक्रिय हो गए हैं। लॉकडाउन के बावजूद मरवाही इलाके में सरगर्मी है। अमित जोगी का रूख साफ होने के बाद यहां राजनीतिक उठा-पटक तेज हो सकती है।