राजपथ - जनपथ
दिल्ली जाकर अब पछता रहे हैं...
सरकार बदलने के बाद ख़ासकर पिछली सरकार के करीबी आईएएस अफसरों के केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की होड़ मच गई थी। पहले रिचा शर्मा, फिर सुबोध सिंह, मुकेश बंसल प्रतिनियुक्ति पर चले गए। एक आईपीएस-आईएफएस, पति-पत्नी भी दिल्ली जाने के इच्छुक थे। मगर कोरोना के फैलाव के बाद अफसर तो बैठकों के सिलसिले में भी दिल्ली जाने से परहेज करने लगे हैं। कोरोना के बाद दिल्ली का जीवन डराने लग गया है। सुनते हैं कि जो भी दिल्ली में हैं, वे अब पछताने लग गए हैं। कोरोना के चलते अफसरों के परिवार एक तरह से घर में कैद होकर रह गए हैं। अफसर किसी तरह नौकरी कर पा रहे हैं। एक आईएएस ने बताया की दफ्तर पहुंचकर 30 मिनट तो कंप्यूटर, के बोर्ड, और टेबल खुद साफ करने में लग जाते हैं, उतना ही वक्त घर लौटने के बाद खुद को साफ करने में लग जाता है।
दिल्ली की हालत पर छत्तीसगढ़ में बरसों तक ऊंचे पद पर काम कर चुके एक पूर्व आईएएस अफसर का कहना है कि दिल्ली में भले ही कोरोना पीडि़तों की संख्या 65 हजार के आसपास बताई जा रही है, मगर 10 लाख लोग इससे संक्रमित हैं। बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों को तो डॉक्टर भी नहीं देख रहे हैं। उन्हें घर में ही रहने की सलाह दी जा रही है। उन्होंने बताया कि केवल गंभीर मरीजों का ही इलाज हो पा रहा है। कोरोना पीडि़तों के लिए अस्पतालों में बेड नहीं है। आप चाहे कितने भी बड़े अफसर हैं, दिल्ली में मौजूदा हालत में कोई पूछपरख नहीं रह गई है। दूसरी तरफ, छत्तीसगढ़ में कोरोना का फैलाव तो है, लेकिन जनजीवन सामान्य है। यहां कोरोना पीडि़तों में 85 फीसदी प्रवासी मजदूर हैं। कोरोना संक्रमित भी जल्द ठीक हो जा रहे हैं। ऐसे में जो बाहर हैं उन्हें भी अब छत्तीसगढ़ लुभाने लगा है।
हर मोड़ पर हिना फूड कॉर्नर!
देश भर में चाइनीज खाना खिलाने वाले रेस्त्रां से लेकर खेलों तक की हालत खराब है। अपने बोर्ड से लेकर मेन्यु कार्ड तक चाइनीज नाम का क्या करें? गुजरात में तो लोगों ने कुछ गुजराती सा लगने वाला शब्द चाइनीज की जगह लिख दिया है और लोग उसी से चाइनीज ढांक रहे हैं। लोगों को याद होगा कि साल दो साल पहले जब पाकिस्तान से तनाव हुआ था तो कहीं करांची बेकरी पर हमला हो रहा था, तो कहीं किसी और पाकिस्तानी नाम पर। अब चीनी नामों पर हमला होने के करीब आ गए हैं। ऐसे में एक कल्पनाशील ठेले वाले ने अंग्रेजी के चाइना से च हटा दिया, और हिना रह गया। थोड़े दिन में हिना नाम की लड़की और महिला को अजीब सा लगेगा कि हर मोड़ पर उसके नाम के ठेले या रेस्त्रां हैं।
सेवा के बदले में मेवा?
सरकार के निगम मंडलों में नियुक्ति के लिए कई नाम सोशल मीडिया में तैर रहे हैं। इनमें से एक युवा नेता के नाम पर तो कुछ लोग शर्त लगाने के लिए भी तैयार हैं। सुनते हैं कि युवा नेता को एक बड़े पदाधिकारी के सत्कार की जिम्मेदारी दी गई थी। युवा नेता ने पदाधिकारी के सेवा सत्कार में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।
पार्टी जब संसाधनों की कमी से जूझ रही थी ऐसे समय में भी युवा नेता, पदाधिकारी के लिए रैंज रोवर या फिर फॉर्चूनर गाड़ी लेकर हाजिर रहते थे। बताते हैं कि पदाधिकारी युवा नेता के सेवा से काफी खुश हैं, और वे उन्हें अपने परिवार के सदस्य की तरह मानते हैं। अब जब लालबत्ती बंटने वाली है, तो युवा नेता का नाम चर्चा में है। कुछ लोगों का अंदाजा है कि युवा नेता की लालबत्ती के लिए पदाधिकारी वीटो भी लगा सकते हैं। सेवा के बदले में मेवा मिलता है या नहीं, यह देखना है।
कोचिंग, अभी ठंडी, आगे क्या?
छत्तीसगढ़ के 10वीं और 12वीं के नतीजे निकल गए। अब ऐसा लगता है कि इस बरस तो इन क्लासों के बच्चे राजस्थान के कोटा जाने से रहे जहां पर कोचिंग-उद्योग अभी-अभी कोरोना की वजह से बहुत बुरा हाल देख चुका है। अभी जो नतीजे निकले हैं, ये तो कोटा गए हुए बच्चों के नहीं हैं, और अभी जो 10वीं पास कर रहे हैं उनमें से संपन्न परिवारों के चुनिंदा बच्चे जरूर कोटा जाते हैं, लेकिन इस बार स्थानीय कोचिंग का कारोबार बढऩे की उम्मीद है, जब कभी भी सरकार इसकी छूट देगी। सिर्फ प्रवासी मजदूरों का बाहर जाना कम नहीं होगा, पढऩे के लिए बाहर जाने वाले बच्चे भी यहीं रहकर पढऩे की कोशिश करेंगे। अभी फिलहाल 15 अगस्त तक न स्कूल-कॉलेज खुलते दिख रहे, और न ही कोई कोचिंग क्लास। इसके बाद हो सकता है कि पढ़ाई के नुकसान की भरपाई के लिए अधिक लोग कोचिंग क्लास की ओर देखने लगें। ([email protected])