राजपथ - जनपथ
कोरोना के सामने ताकत का घमंड
बहुत से लोगों की राजनीतिक या सरकारी ताकत होती है, या ताकतवर लोगों के जान-पहचान होती है, और वे लोग कई किस्म के नियम-कायदों से बच निकलते हैं। अभी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ताकत दिखाने का सबसे बड़ा यही जरिया हो गया है कि किस तरह कोरोना के नियमों को धता बताया जाए। लोग अपने परिवार में किसी के कोरोना पॉजिटिव निकलने पर उसे कंटेनमेंट या आइसोलेशन से बचाने को अपनी ताकत मानकर चल रहे हैं। बहुत से मामले ऐसे आए हैं जिनमें लोगों ने कोरोना पॉजिटिव होने पर भी अपनी इमारत सील नहीं करने दी। नतीजा यह निकला कि वहां काम करने वाले घरेलू नौकरों को भी उन घरों में आना-जाना पड़ा, और सब खतरे में पड़ते रहे। अब रोजाना इतने अधिक लोग पॉजिटिव निकल रहे हैं कि एक-एक के लिए एक-एक इलाके को एक पखवाड़े क्वारंटीन करें, तो बांस-बल्ली गाडऩे वाले लोग कम पडऩे लगेंगे।
लेकिन यह समझने की जरूरत है कि लोग सरकारी नियमों को धता बता सकते हैं, लेकिन जब कोरोना भैंसे पर बैठकर गदा लेकर आएगा, तो वह यमराज की और अपनी खुद की, दोनों की ताकत से मारेगा, और फिर उस वक्त राजनीतिक ताकत किसी काम नहीं आएगी।
और तो और प्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टर भी ऐसा दुस्साहस दिखा रहे हैं कि कोरोना वार्ड से लौटकर पूरे अस्पताल में घूम रहे हैं, या कोरोना पॉजिटिव निकलने के बाद भी अस्पताल में सबसे मिलते-जुलते घूम रहे हैं। अफसरों में भी जो बड़े-बड़े लोग हैं वे अपनी मनमानी कर रहे हैं, और खुद के साथ-साथ वे दूसरों पर भी बहुत बुरा खतरा खड़ा कर रहे हैं।
बहुत सींच चुके फल के इंतजार में...
गांवों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए बड़ी योजना पर काम चल रहा है। इसके लिए केन्द्र से भरपूर मदद मिलने वाली है। योजना में हाथ बंटाने के लिए विभाग के छोटे-बड़े ठेकेदार बड़े बेचैन हैं। स्वाभाविक है कि योजना का क्रियान्वयन ठेकेदारों के बिना नहीं हो सकता है। लिहाजा, ज्यादा से ज्यादा काम पाने के लिए ठेकेदार विभाग के जिम्मेदार लोगों के आगे-पीछे हो रहे हैं। सुनते हैं कि कुछ तो काम मिलने की प्रत्याशा में इतना कुछ खर्च कर चुके हैं कि काम थोड़ा बहुत मिला, तो वे गंभीर आर्थिक संकट में फंस सकते हैं। विभाग में पदस्थ एक पुरानी जानकार अफसर पर भी ठेकदार बहुत भरोसा कर चुके हैं।
ठेकेदार विभाग प्रमुखों की बेगारी से काफी त्रस्त हो गए हैं। यदि काम नहीं मिला, तो गुस्सा फूट भी सकता है। फिलहाल तो योजना शुरू होने का बेसब्री से हो रहा है। बस्तर के एक जिले के सप्लायरों का किस्सा भी इससे मिलता-जुलता है। इस जिले में एक करोड़ से अधिक के फर्नीचर और अन्य सामग्रियों की सप्लाई होनी है। यहां एक विधायक ने सप्लायर को काम दिलाने की पेशकश की, तो सप्लायर ने एक झटके में हाथ जोड़ लिए। विधायक महोदय की अपनी डिमांड तो थी ही इलाके के जनप्रतिनिधि ही कुछ इतने जागरूक हैं कि उनकी डिमांड को पूरा कर पाना मुश्किल हो रहा था। चर्चा है कि इस जिले में कोई भी सप्लायर, फर्नीचर-अन्य सामग्रियों की सप्लाई करने का जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं।