राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : नाम चिपकाओ, हिसाब चुकताओ
12-Jul-2020 6:35 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : नाम चिपकाओ, हिसाब चुकताओ

नाम चिपकाओ, हिसाब चुकताओ

बिना अपनी किसी गलती के बदनाम हो गए एक मैसेंजर-औजार वॉट्सऐप ने कल फिर अपने तेवर दिखाए और भूतपूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के एक ओएसडी रहे विक्रम सिसोदिया को परेशानी में डालने की कोशिश की। वॉट्सऐप के कुछ ग्रुप पर यह पोस्ट किया गया कि विक्रम ने दिल्ली हाईकोर्ट में राज्य सरकार के खिलाफ एक मुकदमा किया है। पिछली सरकार के सीएम के करीबी लोगों में विक्रम सिसोदिया ही एक ऐसे रहे जो कि मामले-मुकदमे लायक विवाद से परे रहे। अब उन्हें सरकार के सामने एक टकराव की मुद्रा में खड़ा करने का मकसद साफ दिखता है। विक्रम सिसोदिया से समय रहते बात कर ली गई तो पता लगा कि वॉट्सऐप पर फैलाई गई यह खबर पूरी तरह झूठी है।

इसी तरह स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव के नाम से हर दो-चार दिनों में कुछ न्यूज पोर्टल और कुछ वॉट्सऐप ग्रुप पर ऐसे बयान फैलते हैं जो कि उनके दिए हुए नहीं रहते। जब तक उनका कोई खंडन हो सके, तब तक वहां पर बयान देखकर कुछ अखबार और कुछ टीवी चैनल भी उसे आगे बढ़ा चुके रहते हैं। अब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इतने अधिक मामले दायर हो रहे हैं कि किसी भी मामले के साथ किसी का नाम जोडक़र, उसे फैलाकर अपना हिसाब तो चुकता किया ही जा सकता है।

रमन सिंह के ओएसडी रहे अरूण बिसेन तो फिर भी कई किस्म के मामलों में घिरे हुए हैं, लेकिन विक्रम सिसोदिया पिछली सरकार के आखिरी पांच बरस में पूरी तरह हाशिए पर खिसका दिए गए थे, और वे आज आरोपमुक्त घर बैठे हैं।

पूर्व प्रत्याशी सांसद, लोकसभा

 

अब जरा सोचिये, ये सांसद पद के लिए कभी उम्मीदवार रहें होंगे, उसी को आज भी अपनी पहचान बनाये फिर रहे हैं. मगर ये अकेले हैं ऐसा भी नहीं है। कइयों ऐसे मंत्री, सांसद, विधायक, न्यायपालिका, कार्यपालिका से जुड़े लोगों के अलावा छुटभइये हैं जो कभी किसी पद पर रहे होंगे उसे ताउम्र वाहनों की नंबर प्लेट पर या फिर उसके ऊपर एक प्लेट लगाकर लिखाये घूमते फिर रहे हैं।

अपनी पहचान के संकट से जूझते लोग अक्सर इस तरह की पहचान पर ही जि़ंदा रहते हैं। बिलासपुर शहर में कइयों ऐसे भी वाहन हैं जिन पर हाईकोर्ट, जिलाकोर्ट, कलेक्टोरेट, क्कह्ररुढ्ढष्टश्व, आबकारी, राजस्व और फलां-फलां  पूर्व न्यायाधीश, सेवानिवृत आबकारी निरीक्षक, रिटायर्ड कार्यपालन अभियंता और न जाने क्या-क्या लिखा है। पूर्व छोटा लिखा दिखेगा, विधायक-सांसद, मंत्री बड़ा सा लिखा होगा। विधायक प्रतिनिधि, सरपंच पति, पार्षद पति, पूर्व एल्डरमैन। ऐसे लोगों के वाहन की नंबर प्लेट के ऊपर चमकती तख्ती ही शायद इनकी असल पहचान होती है।

इस पहचान का संक्रमण एक वक्त गाडिय़ों पर ‘प्रेस’ के वायरस से ग्रसित था, अब भी है। इस दौर में असंख्य छोटे-बड़े वाहनों, यहां तक कि मालवाहक वाहनों के शीशों पर क्कह्ररुढ्ढष्टश्व लिखा दिखाई पड़ जाएगा। कई सरकारी अफसरों के निजी वाहनों पर भी पदनाम की तख्तियां उनकी हौसलाआफजाई और इज्जतदारी के लिए लगी होती है। नंबर प्लेटों के ऊपर लगी तख्तियों से दिखाया जा रहा पेशा, पद और पहचान का रसूख, नियम कहता है ये गलत है मगर देखेगा कौन ?

 फोटो और टिप्पणी-सत्यप्रकाश पांडेय। 

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