राजपथ - जनपथ
एम्स में वीवीआईपी सहूलियत के लिए संघर्ष !
कोरोना संक्रमित नेताओं-परिजनों से एम्स प्रबंधन हलाकान है। एम्स के खुद के कोरोना संक्रमित डॉक्टर-नर्सिंग स्टॉफ जनरल वार्ड में भर्ती होकर आम मरीजों की तरह इलाज करा रहे हैं, तो दूसरी तरफ, नेता चाहते हैं कि उनके लिए अलग रूम का इंतजाम किया जाए। और इसके लिए एम्स प्रबंधन पर दबाव भी बनाए हुए हैं।
ऐसे ही एक भाजपा नेता ने एम्स प्रबंधन के नाक में दम कर रखा है। भाजपा नेता की शिका यत है कि जनरल वार्ड में उन्हें नींद नहीं आती। भाजपा संगठन के बड़े नेताओं ने फोन घनघनाया, तो किसी तरह उनके लिए अपेक्षाकृत बेहतर व्यवस्था की गई, जहां सिर्फ तीन-चार मरीज थे। मगर भाजपा नेता को नई व्यवस्था भी रास नहीं आ रही है और उनके लिए रोज कई प्रभावशाली लोगों के फोन आ रहे हैं।
एम्स प्रबंधन ने तीन-चार रूम, वीवीआईपी मरीजों के लिए सुरक्षित रखा है। भाजपा नेता की मांग है कि वीवीआईपी रूम में से एक उन्हें दिया जाए। कांग्रेस के एक प्रभावशाली नेता के परिजन भी कोरोना संक्रमित हैं। कांग्रेस नेता ने तो दबाव बनाकर वीवीआईपी रूम में अपने परिजनों को भर्ती करने की व्यवस्था करा ली थी। भाजपा नेता भी कुछ इसी तरह की ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
यह भी दिलचस्प है कि भाजपा नेता को कोरोना भी एक कांग्रेस नेता के संपर्क में आने से हुआ है। दोनों कॉफी हाऊस में रोजाना घंटों गपियाते थे। कांग्रेस नेता को कोरोना हुआ, तो भाजपा नेता भी इसकी चपेट में आ गया। चर्चा है कि दोनों के बीच ज्यादा से ज्यादा वीवीआईपी सुविधा पाने की होड़ मची हुई है। नेताओं और उनके परिजनों के चक्कर में एम्स की व्यवस्था भी तार-तार हो रही है।
एम्स भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार का अस्पताल है, केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्री भाजपा के हैं, एम्स रायपुर के चेयरमैन भाजपा सांसद सुनील सोनी हैं, फिर भी भाजपा के लोग बर्दाश्त करने तैयार नहीं हैं !
साढ़े तीन लाख के बिल में दवा 405 की!
दुनिया में इतने लोगों की कोरोना मौत के बाद भी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में लोगों का दुस्साहस और अहंकार देखने लायक है। जिस कॉलोनी में कोरोना मरीज निकल रहे हैं, वहां सुबह और रात में घूमते हुए संपन्न लोगों के जत्थे इन्हीं मरीजों की बात कर रहे हैं, लेकिन बिना मास्क लगाए रोज घूम रहे हैं। शायद ऐसे लोगों पर दक्षिण भारत के एक अस्पताल के इस बिल को देखकर कुछ असर हो। सोशल मीडिया पर आज पोस्ट किए गए इस बिल में कोरोना के एक मरीज के 15 दिनों का अस्पताल का बिल 3 लाख 55 हजार बना है, और देखने लायक बात यह है कि उसमें दवाओं का बिल कुल 405 रूपए का है। अस्पताल ने बिल में इस मरीज के लिए दो हजार रूपए दाम वाली 120 पीपीई किट लगने का खर्च जोड़ा है। यानी हर दिन करीब 8 किट! इस बिल को देखने के बाद अपनी लापरवाही के बारे में एक बार फिर सोचना चाहिए क्योंकि संपन्न लोग लापरवाही करेंगे, और उनके आसपास के गरीब लोग भी कोरोना का खतरा झेलेंगे।