राजपथ - जनपथ
वीआईपी सिंड्रोम के शिकार बेचारे..
रायपुर में कोरोना तेजी से पांव पसार रहा है, और एम्स के साथ राज्य सरकार के चिकित्सा संस्थान के लोग नियंत्रण के लिए भरपूर कोशिश कर रहे हैं। मगर राजनीतिक दलों और प्रभावशाली के लोगों के आगे ये कोरोना योद्धा धीरे-धीरे पस्त पड़ रहे हैं। ऐसे ही एक कोरोना मरीज भाजपा नेता की उटपटांग हरकतों से परेशान होकर एम्स प्रबंधन ने थाने में शिकायत की तैयारी कर ली थी।
दरअसल, कोरोना मरीज भाजपा नेता की नियमों को नजरअंदाज कर लापरवाही बरतने से कई और लोगों के संक्रमण का खतरा पैदा हो गया था। नर्सिंग स्टॉफ ने उन्हें समझाइश देने की कोशिश की, तो केन्द्र में अपनी सरकार होने का हवाला देकर बदसलूकी करने लगा। इसके बाद एम्स प्रबंधन ने कड़ा रूख अपनाया और थाने में रिपोर्ट लिखाने की तैयारी कर ली थी। तभी एम्स से जुड़े एक बड़े भाजपा नेता ने हस्तक्षेप किया और प्रबंधन से जुड़े लोगों से थाने में शिकायत नहीं करने के लिए मान-मनौव्वल की। बाद में कोरोना पीडि़त भाजपा नेता ने एम्स के नर्सिंग स्टॉफ से माफी मांगी, तब कहीं जाकर मामला शांत हुआ।
ऐसे ही रायपुर शहर के एक पूर्व पार्षद परिवार के सदस्य की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। स्वास्थ्य अफसरों ने परिवार के लोगों को हिदायत दी कि एम्बुलेंस आने का इंतजार करें, और घर से बाहर न निकलें । चूंकि एक दिन में दो सौ से अधिक मरीज आ गए थे। एम्स, अंबेडकर और अन्य अस्पतालों की एम्बुलेंस, कोरोना मरीजों को लाने में जुटी रही। पूर्व पार्षद परिवार को एम्बुलेंस का देर से आना बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था। पूर्व पार्षद ने तो अपने करीबी लोगों को मैसेज कर दिया कि यदि उन्हें या उनके परिवार को कुछ हुआ, तो इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार होगी।
बड़े लोगों से डरता है कोरोना?
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जिस रफ्तार से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, उस रफ्तार से लोगों में चौकन्नापन नहीं बढ़ रहा है। लोग निश्ंिचत हैं कि उन्होंने कोई इतने गलत काम तो किए नहीं हैं कि उन्हें कोरोना हो। फिर कोरोना भी यह तो देखेगा ही कि उनकी ताकत क्या है, वे कितने बड़े हैं, कितने संपन्न हैं, कितनी बड़ी गाड़ी में चल रहे हैं, कितने महंगे हैंडवॉश इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके मास्क और सेनेटाइजर ब्रांडेड में भी सबसे महंगे वाले है। इस सोच के चलते अब गरीब और मजदूर बस्तियों से निकलकर कोरोना बड़ी कॉलोनियों तक पहुंच गया है जहां सुबह और रात में टोली बनाकर घूमने निकलने वाले करोड़पति हॅंसी-ठठ्ठा करते चलते हैं, और मास्क तो लगाते नहीं क्योंकि उन्हें मालूम है कि कोरोना को उनकी हैसियत पता है। ऐसी ही एक कॉलोनी में ऐसी ही टोली में रोज साथ घूमने जाने वाले एक कारोबारी को कोरोना पॉजिटिव पाया गया, और अस्पताल ले जाया गया, तो अगली सुबह घूमने वाली टोलियां इसी की बात करती रहीं, लेकिन मास्क से परहेज जारी था। इसके दो दिन बाद जब लॉकडाऊन शुरू हुआ, तो रात को घूमने निकली टोलियां तेज रफ्तार से वापिस लौटते दिखीं कि आगे पुलिस पहुंच गई है, और लोगों को लौटा रही है। इस हॅंसी-मजाक के बीच भी मास्क नहीं था जिसके न रहने पर छत्तीसगढ़ में सौ रूपए जुर्माना है, और केरल में 10 हजार रूपए। जब सरकार की ही दिलचस्पी मास्क लागू करवाने में न हो, तो पुलिस की जान-जोखिम में डालकर लापरवाह लोगों से सौ-सौ रूपए लिए जा रहे हैं, जो कि पुलिस पर होने वाले सरकारी खर्च से भी कम हैं।
अब जगह-जगह मणिकर्णिका?
जिन लोगों को अब तक कोरोना की गंभीरता समझ में नहीं आ रही है, उन्हें हैदराबाद का आज पोस्ट किया गया (इस अखबार की वेबसाईट पर भी) वीडियो देखना चाहिए कि वहां श्मशान में एक साथ 50 कोरोना-मृतक जल रहे हैं। इसके पहले तक तो ऐसा हाल सिर्फ बनारस के मणिकर्णिका घाट के बारे में सुनने मिलता था कि वहां कभी चिताएं जलना बंद नहीं होता, अब हैदराबाद से कुछ वैसा ही नजारा देखने मिला है। बीती रात रायपुर में एक सक्रिय पत्रकार ने इस शहर और प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बारे में अपनी जानकारी बताई कि अब सरकार को जितनी मेहनत अस्पतालों पर करनी है, उतनी ही मेहनत श्मशान-कब्रिस्तान पर भी करनी चाहिए।
सावधानी और फैशन साथ नहीं...
कोरोना से बचने के लिए कैसी सावधानी बरती जाए इस बारे में दुनिया भर के तजुर्बेकार डॉक्टर तरह-तरह की सावधानी सुझा रहे हैं। इसमें से एक तो यह है कि लोग कम से कम सामान पहनकर निकलें। हाथों में चूड़ी, अंगूठी या घड़ी, फिटनेस बैंड न रहे तो बेहतर क्योंकि इनको पूरे वक्त हाथों की तरह सेनेटाईज करना मुमकिन नहीं होता। एक डॉक्टर का कहना है कि नाखूनों को लंबा रखना या नाखूनों पर नेलपॉलिश रखना भी खतरनाक है क्योंकि उनकी भी अधिक सफाई मुमकिन नहीं है। यह बात सुनने में फैशन के शौकीन लोगों को बुरी लग सकती है कि नाखून लंबे न रखे जाएं, और नेलपॉलिश न किया जाए जो कि उधड़ते ही रहता है, और वैसी सतह कोरोना के लिए सोफा जैसी होती है।
इसके अलावा गले में चेन या लॉकेट पहनना भी छोडऩा चाहिए क्योंकि उसकी बारीक डिजाइन को दिन में कई बार सेनेटाईज करना संभव नहीं है, और सामने बोलने वाले जब थूक उड़ाते हैं तो सबसे पहले सामने वाले के चेहरे के आसपास संक्रमण पहुंचता है।