राजपथ - जनपथ
पार्टियों का सिलसिला जारी...
लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाने में दौलतमंद और पढ़ा-लिखा तबका पीछे नहीं है। ऐसे ही राजधानी रायपुर की सबसे महंगी कॉलोनियों में से एक लॉ विस्टा के रहवासियों को कोरोना के खतरे को नजरअंदाज कर पार्टी करना भारी पड़ गया। कॉलोनी में पिछले कई दिनों से अलग-अलग लोगों के यहां पार्टी हो रही थी। इन्हीं पार्टियों में शामिल एक की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। इसके बाद से कॉलोनी में हडक़ंप मचा हुआ है। बात यहीं खत्म नहीं हुई। दो दिन पहले कॉलोनी में एक के यहां मारवाड़ी समाज का तीज मिलन कार्यक्रम था।
तीज मिलन में भी इन्हीं पार्टी में शामिल रहने वाली महिलाओं को आमंत्रित किया गया था। इस दौरान खूब जश्न हुआ। अब जब एक की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई है, तो सभी पुरूष और महिलाओं को होम आइसोलेशन में रहने कहा गया है। कुछ लोग तो यहां भी भाठागांव की तर्ज पर कोरोना विस्फोट होने की आशंका जता रहे हैं। फिलहाल तो सभी को कोरोना टेस्ट कराने की सलाह दी गई है।
दूसरी तरफ, लॉकडाउन के बावजूद कई जगहों पर धड़ल्ले से पार्टियां चल रही हैं। शंकर नगर सिंधी पंचायत ने तो बकायदा वाट्सएप मैसेज भेजकर समाज के लोगों को पार्टियों से दूर रहने की सलाह दी है। शदाणी दरबार से जुड़े दर्जनभर से अधिक लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। यह सब देखकर सिंधी पंचायत ने कहा है कि कोरोना से समाज के कई लोग पीडि़त हैं। दो लोगों की मृत्यु हो चुकी है। ऐसे में अपने और परिवार के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए घर से बाहर न निकले। कल रात राज्य सरकार की जो लिस्ट बनी है, उसमें भी रायपुर के एक सिंधी परिवार के 6 लोगों के नाम कोरोना पॉजिटिव हैं।
कल ही रायपुर पुलिस ने रायपुर में खम्हारडीह स्टील सिटी में दारू-पार्टी करते जवान लडक़े-लड़कियां पकड़ाए। केरल की तरह मोटा जुर्माना न लगे तब तक कुछ नहीं होगा।
पंजाब पर चिकन को भरोसा होगा?
हिन्दुस्तान में अक्सर आबादी के एक बड़े हिस्से को शाकाहारी साबित करने की कोशिश की जाती है। लेकिन भारत सरकार के आंकड़े कुछ और बताते हैं। ऐसे पिछले आंकड़े 2014 में इक_ा हुए थे और उनके हिसाब से हिन्दुस्तान का नक्शा बड़ा दिलचस्प बनता है। इंडिया इन पिक्सेल्स नाम की संस्था ने भारत सरकार के आंकड़ों से यह नक्शा बनाया है जिसमें अधिक शाकाहारी राज्य हरे दिख रहे हैं, और अधिक मांसाहारी राज्य लाल दिख रहे हैं। इसके मुताबिक राजस्थान 75 फीसदी शाकाहारियों के साथ सबसे हरा है, और उसके तुरंत बाद 70 फीसदी पर हरियाणा, 67 फीसदी पर पंजाब (हालांकि मुर्गियां इन आंकड़ों पर भरोसा नहीं करेंगी), 61 फीसदी पर गुजरात, 53 फीसदी पर हिमाचल, 51 फीसदी पर मध्यप्रदेश, और फिर 47 फीसदी पर यूपी वगैरह...
दूसरी तरफ मध्यप्रदेश से अलग हुआ छत्तीसगढ़ खानपान में भी मध्यप्रदेश से एकदम अलग है। जहां आज के मध्यप्रदेश में 51 फीसदी शाकाहारी हैं, छत्तीसगढ़ में कुल 18 फीसदी शाकाहारी हैं। लेकिन मांसाहारी बहुलता वाले राज्यों में 1.3 फीसदी शाकाहारियों वाला तेलंगाना है, उसके नीचे बंगाल है जहां कुल 1.4 फीसदी शाकाहारी हैं, इससे जरा ऊपर 3 फीसदी शाकाहारियों वाला केरल है। छत्तीसगढ़ से लगा हुआ झारखंड 3 फीसदी शाकाहारियों वाला है, और ओडिशा में 2.6 फीसदी ही शाकाहारी हैं। दक्षिण भारत से लेकर बंगाल, छत्तीसगढ़, और बिहार के मुकाबले असम अधिक शाकाहारी है जहां 20 फीसदी लोग मांस नहीं खाते। अब इस नक्शे को देखकर अंदाज लगाया जा सकता है कि देश का कुल 29 फीसदी हिस्सा शाकाहारी है, और कर्नाटक से लेकर तमाम उत्तर-पूर्व तक के राज्य कश्मीर और लद्दाख से भी बहुत ही कम शाकाहारी हैं, उनसे बहुत अधिक मांसाहारी हैं।