राजपथ - जनपथ
अध्यक्ष के क्वारंटीन पर जाने से...
मोहन मरकाम होम क्वारेंटीन पर हैं। उन्हें 14 दिन मुलाकातियों से दूर रहना पड़ेगा। मरकाम के क्वारेंटीन पर रहने से कांग्रेस के वे नेता टेंशन में है, जो कि निगम मंडलों की दौड़ में थे। उनकी गैरमौजूदगी में नाम तय करने के लिए बैठक होने की संभावना कम है। वैसे एक बैठक हो चुकी है। इसमें कुछ नाम तय भी किए गए हैं। बाकी नाम तय होने के बाद वे सूची लेकर दिल्ली जाने वाले थे, लेकिन अब नहीं जा पाएंगे। प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया का भी दौरा कुछ समय के लिए टल गया है। ऐसे में निगम मंडलों की दूसरी सूची जारी होने में विलंब हो सकता है। ऐसे में पिछले 18 महीने से निगम मंडलों में जगह पाने की उम्मीद पाले नेताओं में मायूसी स्वाभाविक है।
महासमुंद पुलिस की मेहनत
छत्तीसगढ़ का ओडिशा के रास्ते गांजा आने-जाने का पता नहीं क्या चक्कर है कि आए दिन महासमुंद जिले में गाड़ी घुसते ही पकड़ में आ जाती है। ओडिशा सरहद का यह जिला कभी उस रास्ते कार में छुपाकर लाई गई दसियों लाख की नगदी जब्त करता है, तो कभी मिनी ट्रक भरकर गांजा। अभी नकली नोट छापने या चलाने वालों को जिस तरह से महासमुंद पुलिस ने गिरफ्तार किया है, और 21 लाख रूपए के नकली नोट बरामद किए हैं, वह भी एक बड़ा भांडाफोड़ रहा। पहली बार एसपी बने प्रफुल्ल ठाकुर जिला मिलने के बाद खासी मेहनत करते दिख रहे हैं।
गांजे का इतिहास हजारों बरस पुराना
लेकिन गांजा एक दिलचस्प चीज है। कुछ बरस पहले तक गांजा कानूनी था, और आबकारी विभाग दारू की दुकानों की तरह गांजा-भांग की दुकानें भी नीलाम करता था। बाद में गांजा गैरकानूनी कर दिया गया तो बिक्री बंद हो गई, लेकिन हिन्दुस्तान में सदियों से चली आ रही गांजे की परंपरा कानून की वजह से खत्म नहीं हो पाई है। यहां तो मंदिरों में साधुओं के अलावा आम लोग भी बैठकर चिलम भरकर गांजा पी लेते हैं, और इसे धार्मिक रिवाज से जोड़ दिया गया है, सन्यास से जोड़ दिया गया है। अब इतना गांजा कहां से आता है, कहां जाता है, और इतने थोक में पकड़ाने के बाद गिरफ्तारियों और गाडिय़ां जब्त होने के बाद भी यह धड़ल्ले से कैसे चल रहा है, यह हैरानी की बात है। क्या इतनी गिरफ्तारियां भी इस धंधे में लगे लोगों के मुकाबले बहुत कम हैं?