राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दिल का दर्द फेसबुक पर?
20-Aug-2020 6:36 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दिल का दर्द फेसबुक पर?

दिल का दर्द फेसबुक पर?

केन्द्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह की उस फेसबुक पोस्ट की जमकर चर्चा है, जिसमें उन्होंने लिखा - गलत तरीके अपनाकर सफल होने से बेहतर है, सही तरीके के साथ काम करके असफल होना। पार्टी के कुछ लोग रेणुका सिंह के इस पोस्ट को सरगुजा और सूरजपुर जिलाध्यक्ष की नियुक्ति के बाद चल रही अंदरूनी खींचतान से जोडक़र देख रहे हैं। चर्चा है कि रेणुका सिंह दोनों जिलाध्यक्षों की नियुक्ति से नाखुश हैं। सूरजपुर के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष बाबूलाल अग्रवाल तो रेणुका सिंह के धुर विरोधी माने जाते हैं। रेणुका सिंह, शशिकांत गर्ग को जिलाध्यक्ष बनवाना चाहती थी, लेकिन उनकी नहीं चली। 

सरगुजा जिलाध्यक्ष पद पर भी रेणुका सिंह की पसंद को दरकिनार कर लल्लन प्रताप सिंह की नियुक्ति कर दी गई। जबकि रेणुका सिंह ने भारत सिंह सिसोदिया का नाम बढ़ाया था। दोनों जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में स्थानीय सांसद रेणुका सिंह की पसंद को दरकिनार किए जाने की पार्टी हल्कों में जमकर चर्चा है। दोनों ही जिलाध्यक्ष आरएसएस की पसंद के बताए जाते हैं। बाबूलाल अग्रवाल तो आर्थिक रूप से काफी सक्षम हैं, और उन्होंने जिले में संघ का भवन बनवाने में काफी सहयोग किया था। सूरजपुर, रेणुका सिंह का गृह जिला है और वहां उनके विरोधी माने जाने वाले नेता की नियुक्ति को बड़ा झटका माना जा रहा है।

दूसरी तरफ, न सिर्फ रेणुका सिंह बल्कि सुनील सोनी, संतोष पाण्डेय और विजय बघेल भी अपने संसदीय क्षेत्र में पसंद का जिलाध्यक्ष बनवा पाने में नाकाम रहे हैं। चर्चा है कि सुनील सोनी, बलौदाबाजार जिले में सुरेन्द्र टिकरिया को अध्यक्ष बनवाना चाहते थे। मगर पार्टी ने गौरीशंकर अग्रवाल और शिवरतन शर्मा की पसंद पर डॉ. सनम जांगड़े को जिले की कमान सौंप दी। इसी तरह राजनांदगांव में संतोष पाण्डेय की राय को अनदेखा कर मधुसूदन यादव की जिलाध्यक्ष पद पर नियुक्ति कर दी गई। विजय बघेल के दुर्ग-भिलाई में तो अभी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हुई है, लेकिन वे अपनी पसंद से एक मंडल अध्यक्ष भी नहीं बनवा पाए हैं।

जितने निकले, उससे दस गुना होंगे...

छत्तीसगढ़ में कोरोना के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। और अब तक पॉजिटिव मिल चुके लोगों से दस गुना अधिक ऐसे लोग होंगे जो कि पॉजिटिव हो चुके होंगे, लेकिन जो अब तक जांच तक नहीं पहुंचे हैं। अधिक खतरनाक हालत अस्पतालों के कर्मचारियों के पॉजिटिव निकलने से खड़़ी हो रही है। एक-एक कर्मचारी के संपर्क वहां दर्जनों दूसरे कर्मचारी आते ही हैं, और लोगों को होमआइसोलेशन पर भेज दिया जा रहा है, लेकिन हर किसी की जांच नहीं हो पा रही है। जांच बढ़ेगी तो पॉजिटिव बढ़ेंगे, और किसी के लिए बिस्तर नहीं रह जाएंगे। आज समझदारी इसमें हैं कि लोग अपने घर-दफ्तर में किसी के पॉजिटिव निकलने की नौबत सोचकर दिमाग में तमाम तैयारियां बिठाकर रखें कि वैसी नौबत आने पर क्या किया जाएगा। आज तो हालत यह है कि लोग खाने-पीने के सामानों की दुकानों पर भीड़ लगाकर छककर खा रहे हैं, न शारीरिक दूरी, और न ही मास्क।

कोरोना के बीच हसरतें

अभी जिन परिवारों में लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं, वे अगर संपन्न परिवार या अधिक संपर्क वाले हैं, तो उसके लोगों का टेलीफोन पर बुरा हाल हो रहा है। चारों तरफ से सेहत पूछने को फोन आ रहे हैं, और लोगों ने नंबर बंद करना शुरू कर दिया है। इस बीमारी के इलाज में अस्पताल और डॉक्टर छोड़ किसी की कोई मदद तो है नहीं, और वैसे में हर किसी से हमदर्दी कोई झेले भी तो कितना झेले। वैसे कई ऐसे दुस्साहसी लोग हैं जो आपसी बातचीत में यह हसरत जाहिर करते हैं कि बिना लक्षणों वाला संक्रमण उन्हें हो जाए, और चले जाए, तो उससे बढिय़ा कोई बात नहीं हो सकती, उसके बाद वे आगे संक्रमण के खतरे से आजाद रहेंगे। यह कुछ उसी किस्म का होगा कि जिस वक्त घर और कारोबार में झाड़ू लगा हुआ हो, उस वक्त इंकम टैक्स का छापा पड़ जाए, कुछ भी हासिल न हो, और अगले तीन बरस किसी छापे का खतरा भी टल जाए।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news