राजपथ - जनपथ
दुबली पार्टी पर मैसेज की मार...
सच्चिदानंद उपासने के बाद वाट्सएप ग्रुप में भाजपा के एक पुराने नेता ने सौदान सिंह, रमन सिंह की कार्यप्रणाली के खिलाफ आवाज उठाई, तो नाराज कार्यकर्ताओं ने मैसेज को हाथों-हाथ लिया। यह मैसेज पूरे प्रदेशभर में वायरल हो रहा है। दिलचस्प बात यह है कि मैसेज को फैलाने में पार्टी के बड़े नेता भी पीछे नहीं हैं। कुछ लोगों का अंदाजा है कि इस मैसेज को हजारों लोग देख चुके हैं।
वायरल मैसेज में यह कहा गया कि वर्ष-2013 से 18 तक प्रदेश में भाजपा के नाम पर जो सरकार बनी थी, उसमें भ्रष्टाचार चरम सीमा पर था। जनता और आम कार्यकर्ता जानते हैं कि किस-किस ने अपार संपत्ति अर्जित की और भ्रष्टाचार को संरक्षण दिया। यह सबके सामने है। इसकी पुनर्रावृत्ति न हो, इस बात को ध्यान में रखकर पार्टी हित में खुलकर उपरोक्त बातों को रखा जाए, तभी हमारा और पार्टी का अस्तित्व है। यह भी लिखा गया आप चुप रहेंगे, डरेंगे, तो गलत लोग जिले से लेकर प्रदेश तक हावी हो जाएंगे। वर्तमान में ऐसे लोग हावी हो गए हैं, जिसका नुकसान पार्टी को लगातार उठाना पड़ रहा है।
एक अन्य मैसेज में तीजा के मौके पर रमन सिंह के अखबारों में विज्ञापन पर भी कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की गई। विज्ञापन में सिर्फ रमन सिंह की तस्वीर थी और भाजपा का चुनाव चिन्ह था। इसमें प्रदेश अध्यक्ष का फोटो नहीं डाला गया। भाजपा नेता ने वाट्सएप ग्रुप में लिखा कि रमन सिंह यह साबित करने की कोशिश में लगे हैं कि उनके बिना पार्टी का प्रदेश में कोई अस्तित्व नहीं है। कुछ इसी तरह की राय दिवंगत पूर्व सीएम अजीत जोगी की भी थी। जोगी खुले तौर पर कहते थे कि कांग्रेस के बिना जोगी नहीं, और जोगी के बिना कांग्रेस नहीं। मगर जोगी के बिना कांग्रेस रिकॉर्ड विधायकों के साथ सत्ता में आई। नेताजी ने सलाह दी कि रमन सिंह को ऐसी कोशिश से बचना चाहिए। क्योंकि विधानसभा, निकाय और पंचायत चुनाव का हाल सबके सामने है। मजे की बात यह है कि पार्टी के जो असंतुष्ट नेता खुलकर कुछ नहीं कह पा रहे हैं, वे इस तरह के मैसेज को फैलाकर समर्थन कर रहे हैं।
काम करते पॉजिटिव, ठीक होकर फिर...
वैसे तो प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। मगर संक्रमण ढूंढने, इलाज के लिए कोरोना वारियर्स जितनी जोखिम उठाकर मेहनत कर रहे हैं, उसकी जितनी तारीफ की जाए, कम है। कुछ कोरोना वारियर्स का स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सम्मान भी किया गया। इन्हीं में से एक अंबेडकर अस्पताल के लैब असिस्टेंट प्रदीप बोगी भी हैं। अस्पताल में कोरोना की जांच के लिए लैब शुरू हुआ था तो प्रदीप को इंचार्ज बनाया गया। वे अलग-अलग स्थानों से सैंपल लेकर खुद आते थे और फिर लैब में जांच सहयोग करते थे। तब उनके पास स्तरीय मास्क भी नहीं था। एक बार तो सैंपल लेकर अंबेडकर अस्पताल जा रहे थे तो उनकी गाड़ी का चालान कर दिया गया।
तब सीएमओ ने खुद वहां पहुंचकर प्रदीप की गाड़ी का चालान पटाया। पुलिस कर्मियों ने उनका यह कहकर चालान कर दिया था कि उन्होंने हेलमेट नहीं पहना है। बाद में पुलिस कर्मियों के इस व्यवहार की स्वास्थ्य मंत्री और डीजीपी तक शिकायत हुई थी। पुलिस कर्मियों को मामूली डांट-फटकार के बाद छोड़ दिया गया। बाद में प्रदीप खुद संक्रमित हो गए। इलाज के बाद ठीक भी हो गए और वे फिर से जोखिम उठाकर कोरोना संदिग्ध के सैंपल की जांच में जुटे हैं। इसकी काफी सराहना भी हो रही है।
लखेश्वर बघेल से सीखें...
कुछ जनप्रतिनिधियों ने भी बिना प्रचार के जन जागरूकता फैलाने और लोगों को सेहतमंद बनाने की दिशा में अच्छा काम किया है। इन्हीं में से एक लखेश्वर बघेल भी हैं, जो कि बस्तर के विधायक हैं और बस्तर आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी हैं। लखेश्वर ने अपने पूरे विधानसभा क्षेत्र में आदिवासियों को काढ़ा वितरित कराया। लोगों को कोरोना से लडऩे के लिए इम्युनिटी मजबूत रहे, इसके लिए काफी काम किया है। इसकी भी काफी सराहना हो रही है। जबकि कई अरबपति जनप्रतिनिधि तो कुछ मोहल्लों में कपड़े का मास्क बंटवाकर मीडिया में इतनी जगह पा चुके हैं कि मानो कोरोना के खिलाफ लड़ाई उन्हीं की अगुवाई में लड़ी जा रही है। ऐसे नेताओं को लखेश्वर बघेल जैसों से सीख लेनी चाहिए।