राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पुनिया की दिलचस्पी यूपी?
05-Sep-2020 5:50 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पुनिया की दिलचस्पी यूपी?

पुनिया की दिलचस्पी यूपी?

खबर है कि प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी पीएल पुनिया को बदला जा सकता है। मध्यप्रदेश और राजस्थान के प्रभारी पहले ही बदल चुके हैं।  हालांकि दोनों राज्यों की स्थिति अलग रही हैं। मध्यप्रदेश के प्रभारी दीपक बावरिया और राजस्थान के प्रभारी अविनाश पाण्डेय को इसलिए हटाया गया कि वे वहां अंदरूनी खींचतान को निपटाने में विफल रहे। मध्यप्रदेश में तो सरकार ही चली गई, और राजस्थान में किसी तरह सरकार बच पाई।

छत्तीसगढ़ की स्थिति अलग है। यहां पुनिया सभी के साथ तालमेल बिठाकर चल रहे हैं। किसी को ज्यादा कुछ शिकायत भी नहीं है। मगर उनके हटने की चर्चा चल रही है, तो कुछ बात होगी। यह बात छनकर आ रही है कि पुनिया यूपी कांग्रेस का अध्यक्ष बनना चाहते हैं। यूपी में दो साल बाद विधानसभा के चुनाव हैं।

ये बात अलग है कि पुनिया के बेटे को लोकसभा और फिर विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया गया था, लेकिन दोनों में कांग्रेस अपनी जमानत नहीं बचा पाई। अब ऐसे में पुनिया की अगुवाई में कांग्रेस विधानसभा का चुनाव लड़ेगी, इसकी संभावना कम दिख रही है लेकिन उन्हें वहां कोई अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। इन सब वजहों से पुनिया को छत्तीसगढ़ से बदले जाने की चर्चा जोर पकड़ रही है।

दुस्साहसी अफसर से खतरे

कोरोना संक्रमण के दौर में बचाव के तौर-तरीकों को नजर अंदाज करना एक सरकारी विभाग के अफसर-कर्मचारियों को भारी पड़ गया।  हाल यह है कि विभाग के कुछ लोग कोरोना के चपेट में आ गए हैं। हुआ यूं कि विभाग के नौजवान आईएएस अपने मातहतों को कोरोना से नहीं डरने की सीख देते थे। वे खुद भी मास्क नहीं लगाते थे, और आम लोगों से मेल मुलाकात में सामाजिक दूरी का पालन नहीं करते थे। इसका प्रतिफल यह रहा कि अफसर अब कोरोना के चपेट में आ गए हैं।

न सिर्फ वे खुद बल्कि उनके विभाग के कुछ और कर्मचारी भी पॉजिटिव  पाए गए हैं। लापरवाही का नुकसान तो होता ही है। कुछ ऐसा ही हाल सीएसआईडीसी दफ्तर का भी है। यहां एक-दो कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। मगर दफ्तर एक भी दिन बंद नहीं रहा। एक दुखद खबर आई है कि सीएसआईडीसी के एक इंजीनियर की कोरोना से मौत हो गई। मगर सीएसआईडीसी दफ्तर का हाल देखिए, न तो एक भी दिन दफ्तर बंद हुआ और दफ्तर को सेनेटाइज तक नहीं किया गया। ऐसे जोखिम उठाकर काम करने में कोरोना का फैलना स्वाभाविक है।

ऐसी ही बददिमागी पुलिस विभाग के कई दफ्तरों में देखने में आयी, लोग कोरोनाग्रस्त होते गए, और बड़े अफसर उनको काम पर भी बुलाते गए. छोटे कर्मचारी एक सीमा से अधिक तो विरोध कर भी नहीं पाते।

छत्तीसगढ़ की टीचर की उपलब्धि

छत्तीसगढ़ की लेक्चरर सपना सोनी ने कमाल किया। वे दुर्ग जिले के जेवरा सिरसा हायर सेकेन्डरी स्कूल में टीचर हैं। उन्हें आज शिक्षक दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। देशभर में शिक्षा में नवाचार का प्रयोग करने, लड़कियों और स्पेशल बच्चों की पढ़ाई के लिये अलग हटकर काम करने वाले देशभर के 47 शिक्षक-शिक्षिकाओं को आज पुरस्कृत किया गया। इनमें मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल से दो-दो उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों से तीन तथा कई अन्य छोटे राज्यों से भी एक से अधिक शिक्षकों का चयन किया गया है, पर छत्तीसगढ़ से अकेली इस व्याख्याता का चयन किया गया। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में जहां गरीबों और आदिवासियों की एक बड़ी संख्या है शिक्षा के क्षेत्र में काम करने की बहुत जरूरत है, संभावनाएं हैं। दूरस्थ अंचलों में ऐसे काम हो भी रहे हैं। उन्हें अगर राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार न भी मिल पाया हो तो कम से कम राज्य स्तर पर ही पुरस्कृत किया जाना चाहिये। कोरोना की वजह से वैसे भी ग्रामीण व दूरस्थ अंचलों में शिक्षा पहुंचाना बेहद चुनौतियों से भरा है। बहुत से लोग अच्छा काम कर रहे हैं। उन्हें इस दिन याद किया जाना चाहिये। 

पुलिस विभाग का व्हाट्सएप ग्रुप

पुलिस महानिदेशक ने प्रदेश के सभी थाना प्रभारियों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाने की बात कही है। इससे वे स्वयं भी जुड़े रहेंगे। प्रदेश भर में 450 से अधिक थाने हैं। इसका मकसद किसी मामले में जांच या कार्रवाई ढीली हो तो पीएचक्यू से सीधी कार्रवाई होगी और जो लोग अच्छा काम करेंगे उनकी प्रशंसा भी इसी ग्रुप में होगी। वैसे हर जिले में पुलिस कप्तान अपने थानेदारों के कामकाज पर नजर रखते हैं। अमूमन उनका वाट्सअप ग्रुप भी बना हुआ है। पुलिस मुख्यालय के इस नये वाट्सअप गु्रप को लेकर थानेदारों से ज्यादा उनके ऊपर बैठे जिला स्तर के अफसरों को है क्योंकि यदि कोई गड़बड़ी और ढिलाई दिखाई देती है तो सीधे जिले के कप्तान को ही एक्शन मोड में आने के लिये कहा जायेगा। पुलिस के साथ जनता का समन्वय अच्छा हो,  बर्ताव मानवीय संवेदना से भरा हो, अपराधों की जांच में तेजी आये, पीडि़तों की एफआईआर लिखी जाये ऐसे कुछ आदर्श तौर तरीकों को बेहतर बनाने के लिये समय-समय पर ऐसी कोशिशें होती रही है। नये व्हाट्सएप गु्रप को भी इसी कड़ी में एक कोशिश कही जा सकती है। इसका आम लोगों के बीच पुलिस की छवि कितनी सुधरेगी यह भविष्य में पता चलेगा।

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