राजपथ - जनपथ
प्राइवेट अस्पतालों से सेवा-भाव की उम्मीद
निजी अस्पतालों में कोरोना जांच के नाम पर गंभीर बीमार मरीजों के इलाज में देर हो रही है। नतीजा यह है कि उनकी मौत भी हो रही है। निजी अस्पताल इलाज के नाम पर मनमाफिक वसूली कर रहे हैं। इतनी बड़ी रकम जो मरीज के परिवार की क्षमता से बाहर है। व्यापारिक गतिविधियों में अवरोध के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। इसके चलते कर्ज लेने व सम्पत्ति सम्बन्धी कठिनाई हो रही है। इससे न सिर्फ असमानता बढ़ रही है बल्कि कानून व्यवस्था की स्थिति भी पैदा हो रही है। इसे देखते हुए सुझाव है कि जिला व ब्लॉक स्तर पर देखें कि निजी अस्पताल सेवाभाव से न्यूनतम इलाज खर्च ले। जिन निजी अस्पतालों ने अब तक कोविड-19 मरीजों का उपचार किया उन्होंने क्या भुगतान प्राप्त किया उसकी सूची लें और प्रबंधन के दावे और परिवार से बात करके मिलान करें। अधिक राशि वसूल की गई हो तो वापस करें। 12-15 अधिकारियों की टीम बनायें, जो नियमित रूप से इसकी निगरानी रखें।
यह चि_ी है रायपुर के संभागीय कमिश्नर जीआर चुरेन्द्र की, जो उन्होंने अपने क्षेत्र के सभी पांच जिलों के कलेक्टर्स को लिखा है। आम तौर पर कलेक्टर या तो मंत्रालय की सुनते हैं या फिर अपनी खुद की। रायपुर कमिश्नर का यह पत्र उनकी अंतरात्मा से निकली हुई आवाज लगती है। तथ्यात्मक किन्तु भावुकता से भरी अपील है। कलेक्टर्स को अमल करनी चाहिये। निजी अस्पतालों में मरीजों और उनके परिजनों के साथ क्या हो रहा है रोज ख़बरें आ रही हैं। इस विपत्ति को कमाई के मौके में वे न बदल पायें इसके लिये कोई निगरानी कमेटी तो होनी ही चाहिए।
अब लॉकडाउन के लिये भी आंदोलन
कोरोना के बढ़ते मामलों को कैसा रोका जाये इसका कारगर तरीका पूरी दुनिया नहीं ढूंढ पा रही। छत्तीसगढ़ में भी ऐसा ही हो रहा है। अब जब गांव कस्बों में भी संक्रमण और मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है लॉकडाउन की मांग उठ रही है। बहुत से लोग मानते हैं कि लॉकडाउन बेअसर है। चार बार लॉकडाउन के बाद कोरोना तो थमा नहीं लेकिन रोजगार-धंधे चौपट हो गये जो अब तक दुबारा खड़े नहीं हो पाये हैं। रायपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, बिलासपुर जैसे शहरों में लॉकडाउन के दौरान भी लगातार कोरोना संक्रमण के मामले आते रहे। धमतरी में तो व्यापारी सडक़ पर प्रदर्शन ही करने लगे। यहां वे कलेक्टर से नाराज चल रहे हैं कि वादे के मुताबिक उन्होंने लॉकडाउन नहीं किया। मुंगेली में लोगों की लगातार मांग के बाद आज 17 सितम्बर से लॉकडाउन शुरू कर दिया है, जो लगातार 23 सितम्बर तक रहेगा। बिलासपुर में भी तीन दिन से बयान दे देकर जिला प्रशासन पर दबाव बनाया गया है कि वे लॉकडाउन का फैसला लें। व्यापारियों के साथ वहां आज बैठक हो रही है। लॉकडाउन सही है या गलत इस पर अलग-अलग राय हो सकती है पर, इसमें तो दो राय नहीं हो सकती कि अनलॉक हुए बाजार, दफ्तरों में सैनेटाइजर, मास्क, शारीरिक दूरी के नियम का हर जगह घोर उल्लंघन हो रहा है और इससे कोरोना के केस बढ़ रहे हैं।