राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : आम का खौफ और खास की बेफिक्री
21-Sep-2020 6:09 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : आम का खौफ और खास की बेफिक्री

आम का खौफ और खास की बेफिक्री

आम लोग कोरोना के खौफ में जी रहे हैं। मगर विशेषकर सरकारी तंत्र से जुड़े कई प्रभावशाली लोग इससे बेपरवाह हैं, और वे अपने साथ-साथ दूसरों की जान भी जोखिम में डालने से पीछे नहीं हट रहे हैं। ऐसे ही एक कोरोना पॉजिटिव अफसर अपने दफ्तर जा धमके। अफसर दफ्तर के मुखिया भी हैं। उन्हें देखकर मातहत हैरान रह गए। वैसे अफसर के करीबी लोग यह तर्क देते रहे कि साहब की रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है। मगर कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी कम से कम पांच दिन क्वॉरंटीन रहना होता है, इस दिशा निर्देश पर पालन करना अफसर ने उचित नहीं समझा। कुछ दिन पहले इसी दफ्तर में डेढ़ दर्जन से अधिक कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। कोरोना से एक की मृत्यु हो चुकी है। पर अफसर बेखौफ हैं, इससे मातहत कर्मचारी काफी बेचैन हंै।

अवैध शराब, खुली छूट

प्रदेश के कई जिलों में लॉकडाउन है। रायपुर में भी इस बार कड़ा लॉकडाउन हो जा रहा है। लॉकडाउन में स्वाभाविक तौर पर शराब दूकानें बंद रहेंगी। ऐसे में शराब के शौकीन कुछ चिंतित हैं। ऐसे लोगों की चिंता एक वाट्सअप ग्रुप में दूर करने की कोशिश की गई। ग्रुप के एक सदस्य ने लिखा कि शराब अवैध रूप से डंप किया जा रहा है। राशि थोड़ी ज्यादा लगेगी लेकिन सम्माननीय लोगों को घर पहुंच सेवा उपलब्ध होगी। समय आने पर संबंधित होटल और रेस्टोरेंट की जानकारी उपलब्ध करा दी जाएगी। पिछले लॉकडाउन में भी चुनिंदा होटलों को अवैध शराब बेचने के लिए खुली छूट थी।

शक्ति, भक्ति और सख्ती

धर्मपरायण देश में कोरोना ने हमारी उत्सवधर्मिता पर बड़ा प्रहार कर दिया है। बीती नवरात्रि फीकी बीती, आने वाली नवरात्रि पर अधिक जमावड़ा होता है। जगह जगह दुर्गा प्रतिमायें विराजित की जाती हैं और तमाम सांस्कृतिक समारोह होते हैं। बड़ी प्रतीक्षा के बाद राज्य शासन की गाइडलाइन आ ही गई। प्रतिमा 6 फीट से ऊंची नहीं होगी, मास्क पहनकर ही दर्शन करना होगा। पांडाल में एक समय में 20 से ज्यादा लोग इक_े नहीं हो पायेंगे। सैनेटाइजर रखना होगा, सोशल डिस्टेंस का नियम मानना होगा। कम से कम तीन हजार वर्गफीट खुली जगह रखनी होगी। गणपति उत्सव के दौरान भी ऐसी ही पाबंदियां थीं। लोगों ने प्रतिमायें ही नहीं रखीं। दुर्गा पूजा न केवल धार्मिक, सामाजिक मेल-मिलाप का माध्यम है बल्कि जनप्रतिनिधियों के लिये अपनी राजनीतिक पकड़ को मजबूत करने का भी जरिया हुआ करता है। एक चुने गये प्रतिनिधि को हर पंडाल के पीछे 50 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक का चंदा देना पड़ता है। इस बार कोरोना ने उनको बचा लिया।

किनके लिये अवसर बनकर आई आपदा

रोज-कमाने खाने वालों पर लॉकडाउन कहर बनकर टूट पड़ता है। मगर बहुत से लोग मजे में हैं। पूरे प्रदेश में हर जगह से ख़बर आ रही है कि सब्जियों के दाम में जबरदस्त उछाल आई। किराना सामान एमआरपी से नीचे मिल जाया करते थे पर लॉकडाउन के बाद विशेषकर खाद्यान्न के दाम बढ़ गये। इस कोरोना ने ऑनलाइन डिलिवरी वालों को बड़ा फायदा पहुंचाया है। लोग दिन रात मोबाइल, लैपटॉप पर चिपके हैं तो इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स का बिजनेस भी उछाल पर है। अफसर, कर्मचारी भी मजे में हैं। दफ्तरों में उनकी कुर्सियां पहले खाली रहती थी तो शिकायत होती थी, अब ऐसा है तो उसके पीछे कोरोना है। सडक़, पुल, पुलिया के काम जैसे भी हों चल रहे हैं, कोई निगरानी नहीं। इन सबसे ऊपर कोरोना के लिये जारी होने वाले बजट का मसला है। 750 करोड़ रुपये अब तक विभिन्न मदों में खर्च हो चुके हैं। कोई सवाल नहीं कि किस तरह खर्च किये गये। किन पर किये गये। जब कोरोना की आंधी गुजर जायेगी तब भी शायद ही कोई पूछताछ करे।

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