राजपथ - जनपथ
समर्थक बेचैन हैं...
पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के कट्टर समर्थक बेचैन हैं। उन्हें संगठन में पद नहीं मिल रहा है। जबकि राजेश मूणत अपने कई करीबियों को प्रदेश कार्यकारिणी में जगह दिला चुके हैं। पार्टी के कई नेता मानने लगे हैं कि संगठन में पद पाने के लिए रमन सिंह का आशीर्वाद जरूरी है। हाल यह है कि रमन सिंह के धुर विरोधी माने जाने वाले बृजमोहन अग्रवाल के समर्थक अब रमन सिंह के दरवाजे जाने से परहेज नहीं कर रहे हैं।
बृजमोहन के एक करीबी युवा नेता ने तो उज्जैन महाकाल मंदिर के सामने से बकायदा वीडियो जारी कर रमन सिंह को जन्मदिन की बधाई दी। वे यह बताने से नहीं चूके कि रमन सिंह के दीर्घायु होने के लिए भगवान महाकाल से प्रार्थना की है। इतना सबकुछ करने के बावजूद प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति में उनका नाम नहीं जुड़ पाया।
ऐसे ही बृजमोहन के एक करीबी पूर्व विधायक पिछले कुछ महीनों से रमन सिंह के निवास मौलश्री विहार के चक्कर काट रहे हैं। पूर्व विधायक की इच्छा जिला अध्यक्ष बनने की है, और वे इसके लिए रमन सिंह का समर्थन पाने की उम्मीद से हैं। सुनते हैं कि पूर्व विधायक के पद के लिए जोगी पार्टी के एक नेता ने भी पैरवी की है। जोगी पार्टी के इस नेता के रमन सिंह से काफी अच्छे संबंध हैं। मगर पूर्व विधायक की इच्छा पूरी हो पाती है या नहीं, देखना है।
उम्मीद से हैं..
जोगी की जाति प्रकरण पर संतकुमार नेताम ने लंबी लड़ाई लड़ी है। पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर संतकुमार नेताम भाजपा के आदिवासी मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यालय मंत्री रहे हैं, और वे नंदकुमार साय के करीबी माने जाते हैं। नेताम को प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी, तो उन्हें पद मिलने की उम्मीद थी। मगर उन्हें कुछ नहीं मिला। थक हारकर विधानसभा चुनाव के कुछ समय पहले कांग्रेस में शामिल हो गए।
कांग्रेस में शामिल होने के बाद नेताम जोगी परिवार के खिलाफ जाति प्रमाण पत्र प्रकरण को लेकर और भी ज्यादा मुखर हो गए। अमित जोगी और ऋचा जोगी का नामांकन निरस्त होने के बाद वे सुर्खियों में हैं। नेताम ने मरवाही सीट से टिकट भी मांगी थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला, मगर वे निराश नहीं हैं। वजह यह है कि सरकार के निगम-आयोग में उन्हें जगह मिल सकती है। पिछले दिनों आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने उन्हें साफ तौर पर बता दिया कि चुनाव के बाद सरकार उन्हें आयोग में पद देगी। ऐसे में नेताम का खुश होना लाजमी है।
कृषि कानून, अब बढ़ेगी धान की तस्करी?
नये कृषि बिल के रुझान आने लगे हैं। किसी भी जगह से कोई ऐसी ख़बर नहीं है कि किसानों को समर्थन मूल्य से ज्यादा देकर उपज खरीदने के लिये कोई व्यापारी तैयार हो, अलबत्ता पंजाब में यूपी और बिहार के धान की तस्करी होने लगी है। राइस मिलर्स 900 रुपये से 1100 रुपये क्विंटल पर धान खरीदकर ला रहे हैं। पंजाब में एमएसपी 1880 रुपये है। क्विंटल पीछे भाड़ा भी 100-150 रुपये जोड़ देने पर वे 500 रुपये प्रति क्विंटल मुनाफे में हैं। पंजाब पुलिस और मंडी के अधिकारी इस तस्करी को रोकने के लिये सीमाओं पर तैनात हैं। हाल ही में करीब 1.5 करोड़ रुपये का धान पकड़ा भी गया। छत्तीसगढ़ भी धान के बड़े उत्पादक राज्यों में है। यहां तो धान का समर्थन मूल्य पंजाब से भी 620 रुपये ज्यादा है। सीमाओं पर वैसे भी निगरानी बढ़ानी पड़ती है क्योंकि एमपी और दूसरे लगे हुए राज्यों का धान स्थानीय किसानों की ऋ ण पुस्तिका का इस्तेमाल कर बेच दिया जाता है। पंजाब की तरह छत्तीसगढ़ सरकार ने भी केन्द्र का कानून लागू नहीं करने का निर्णय लिया है। विधानसभा के विशेष सत्र में जो राज्यपाल द्वारा फाइल लौटाने की वजह से चर्चा में आ गया है, इसी पर चर्चा होगी। यानि अब राज्य के उडऩ दस्तों को एम पी की शराब के साथ चावल की गाडिय़ों पर भी नजर रखना जरूरी हो जायेगा।
जब जिंदा होने का सबूत देना पड़े...
कहते हैं गांवों में कलेक्टर से ज्यादा ताकतवर पटवारी होता है। पर यह मुहावरा सरपंचों पर भी सही बैठता है। मुंगेली जिले के लोरमी ब्लॉक के चेचानडीह गांव की चार वृद्ध महिलायें दूर गांव से चलकर लाठियां टेकते वहां कलेक्टोरेट पहुंचीं। उन्होंने बताया कि वे यहां अपने जिंदा माने जाने की फरियाद लेकर आई हैं। सरपंच ने आवास मंजूरी के लिये ग्राम सभा बुलाई और हमारा नाम मृत लोगों की सूची में डाल दिया। आवास तो चलो मिले न मिले, लेकिन पेंशन और राशन भी इसकी वजह से बंद हो गई है। एक बार नाम कटने के बाद दुबारा जुडऩा मुश्किल है। इनके पास कोई सिफारिश भी नहीं है। सरपंच बताते हैं कि पूर्व सरपंच ने किसी बात का बदला लेने के लिये यह किया है। शायद आवास योजना का कोटा अपने लोगों के लिये तय करना होगा। इन वृद्धाओं को उम्मीद है कि अब उन्हें जीते जी, जिंदा होने का कागज मिल जायेगा और राशन पेंशन भी।